चित्रकूट: उत्तर प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए निरंतर लॉकडाउन की समय अवधि बढ़ा दी जा रही है. लगातार बढ़ते लॉकडाउन से चित्रकूट में गरीबों के सामने रोजगार और राशन की समस्या हो गई है. यह लोग एक समय के भोजन के लिए परेशान हैं. ऐसे में कुछ पत्रकारों और समाजसेवी संस्था परहित सेवा संस्थान के बैनर तले गरीबों को राशन के साथ सब्जियां और मसाले भी मुहैया करा रहे हैं. ईटीवी भारत द्वारा प्रकाशित 'लॉकडाउन से क्षेत्र में दिनों दिन बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या' के खबर प्रकाशन को लेकर संस्था के प्रबंधक ने ईटीवी भारत के कार्य को सराहा है.
बेरोजगारी की समस्या बढ़ी
चित्रकूट में ऐसे संस्थान नहीं हैं, जो कि गरीबों और बेरोजगारों को रोजगार दे सके. जिसके चलते सूरत, दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में काम करने वाले स्थानीय कामगार और मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. लॉकडाउन के बाद कई प्रवासी मजदूर अपने गृह जनपद वापस आ गए हैं, जिससे क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या और भी बढ़ गई है. स्थानीय तौर पर चित्रकूट में एक बहुत बड़ा आदिवासियों का तबका जंगलों से सटे गांव में रहता आ रहा है. यह लोग जंगल की जलाऊ लकड़ी, जड़ी बूटियां, वन संपदा पर आश्रित हैं. जिन्हें वह शहरों और कस्बों में बेचकर अपना जीविकोपार्जन करते आ रहे हैं. लेकिन लगातार बढ़ते लॉकडाउन के बाद वह अपने घरों तक सीमित हो गए हैं, जिससे उनके सामने रोजगार और धन की समस्या उत्पन्न हो रही है. वह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं हैं.
दूसरे स्टेज के लॉकडाउन में ज्यादा समस्या
पहले दौर के लॉकडाउन के समय सी पी गर्ग और कई समाजसेवियों ने राशन, कपड़े और बना हुआ भोजन इन ग्रामीणों को मुहैया करवाया था. जिससे गरीब आदिवासियों को इतनी समस्याएं नहीं थी. दिल्ली के रहने वाले समाज सेवी सी पी गर्ग का कोरोना से निधन होने के बाद किसी ने इन गरीबों की तरफ मुड़कर नहीं देखा. सरकार द्वारा इन गरीबों को एक माह में मात्र 1 यूनिट यानि 5 किलो राशन का ही वितरण हो रहा है, जिससे इन्हें समस्या हो रही है. पहले स्टेज में केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे मनरेगा के कार्य भी बहुतायत में थे. प्रवासी मजदूरों से लेकर स्थानीय मजदूरों ने मनरेगा में कार्य किया. जिसके चलते इन्हें प्रथम दौर के लॉकडाउन में समस्याएं नहीं हुई.
पत्रकारों बने गरीबों के मसीहा
बढ़ती बेरोजगारी से लोगों को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही थी. धरातल पर चित्रकूट जनपद में समाज सेवा का दम भरने वाले समाजसेवी भी कहीं दिखाई नहीं पड़ रहे थे, जिसके चलते पत्रकारों को सामने आना पड़ा. इस समय पत्रकार एक पुराने एनजीओ (परहित समाज सेवा संस्थान) के साथ मिलकर राशन, सब्जी और मसालों का वितरण कर रहे हैं.
ईटीवी भारत के प्रकाशन को संस्थापक ने सराहा
बढ़ती बेरोजगारी और भुखमरी की खबर का प्रकाशन लगातार ईटीवी भारत के प्लेटफार्म से किया जा रहा था, जिससे सरकार की आंखे खुलें और समाज सेवी संस्थाएं आगे आकर लोगों के बीच समाज सेवा का काम करें. ऐसे में कुछ जागरूक पत्रकार ईटीवी भारत के प्रकाशन से प्रेरित होकर उन गांव तक पहुंचे, जहां पर ज्यादा समस्याएं थीं. इस पहल को लेकर परहित सेवा संस्थान के संस्थापक अनुज हनुमत ने ईटीवी भारत की खबरों के प्रकाशन की सराहना की है.
परहित समाज सेवा संस्थान के संस्थापक और पत्रकार ने कहा कि वह ईटीवी भारत का हृदय से धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने ऐसी खबर का प्रकाशन किया था, जिससे हम लोग सुदूर के उन गांव तक पहुंच सके हैं, यहां पर ज्यादा समस्याएं थीं. समाज सेवा का कार्य हम लोगों द्वारा स्वयं के घरों में रखे अनाज वितरण से किया गया है. उन्होंने कहा कि अब जनपद के कई लोगों का भी सहयोग मिल रहा है. जनपद में कई ऐसी समाजसेवी संस्थाएं हैं जो कि चित्रकूट में समाज सेवा का दम भरती हैं, उन्हें आगे आकर ऐसे कार्य करने चाहिए.