चित्रकूट: गर्मियां शुरू होते ही बुंदेलखंड में पानी का संकट गहराने लगता है. बुंदेलखंड के चित्रकूट में बूंद-बूंद पानी के लिए लोग कई किलोमीटर दूर तक जाते हैं. चित्रकूट के गांव जमुनेहाई और गोपीपुर चुरेह कशेरुवा में नाबालिक बच्चे रेलगाड़ियों की आवाजाही के बीच पटरियों को पार करके पानी भरते हैं, जो किसी खतरे से कम नहीं है.
चित्रकूट जिला मुख्यालय से लगभग 40 से 60 किमी. दूर बसे गांव जमुनेहाई और गोपीपुर चुरेह कशेरुवा आदिवासी बाहुल्य गांव हैं. इस गांव का रास्ता भी किसी खतरे से कम नहीं है. गर्मियां शुरू होते ही इस गांव में पानी की भीषण किल्लत होती है. पिछली पंचवर्षीय योजना में पानी की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी गांव में टैकरों की खरीद की थी.
अब उन्हीं टैंकरों से ग्रामीणों को एक समय पानी वितरित किया जा रहा है, जिसमें एक घर को 60 लीटर पानी दिया जाता है. इस दौरान यहां पानी लेने वालों की इतनी भीड़ इकट्ठा हो जाती है कि लोग कोरोना वायरस को भूलकर सामाजिक दूरी को भी नजरअंदाज कर देते हैं.
पानी की कमी के कारण नहीं होती हैं शादियां
इन गांवों में लोग पानी की कमी के कारण अपनी लड़कियों की शादियां करना पसंद नहीं करते हैं. यहां की महिलाएं पति से ज्यादा पानी की कीमत रखती हैं. जिन लड़कियों का विवाह इस गांव में हो चुका है तो वह लड़कियां शर्मिंदा महसूस करती हैं. इन गांवों में महिलाएं अपने सिर से घूंघट नहीं उठाती हैं. उन्हें यह लगता है कि उनके सगे संबंधी और परिवार वालों को यह पता न चले कि वह किस मुसीबत में इस गांव में रह रही हैं.
बैलगाड़ी से पानी भरने को मजबूर हैं लोग
पहले भी यहां के लोग बैलगाड़ी से पानी भरते थे और आज भी बैलगाड़ी से ही पानी भरकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. 70 सालो में यहां योजनाओं की बाढ़ तो जरूर लगी पर इनके पानी भरने के तरीकों में कोई बदलाव नहीं हुआ. यहां के लोग आज भी बैलगाड़ियों से पानी भर रहे हैं.
पानी की समस्या को किया जाएगा दूर
प्रभारी खण्ड विकास अधिकारी, मानिकपुर, राजेश नायक ने बताया कि जल्द ही रिपोर्ट आ जाएगी. हमें पानी की समस्या का पहले से ही पता है. हम पानी की समस्या दूर करने के लिए कटिबद्ध हैं. जहां बोर होगा बोर किया जाएगा और जहां मरम्मत की जरूरत है वहां मरम्मत की जाएगी. मानिकपुर विकास खण्ड हमेशा से पानी की समस्या से जूझता रहा है पर मैं इस समस्या दूर करने के लिए कटिबद्ध हूं.