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चित्रकूट : बुंदेलखंड के हरे सोने में बट्टा लगा रहे हैं वन विभाग के कर्मचारी

चित्रकूट में फैले जंगल में बहुतायत रूप में हरा सोना कहे जाने वाले तेंदू पत्ता प्रचूर मात्रा में है. यह तेंदू पत्ता उच्च कोटि का माना गया है. वन विभाग द्वारा इन तेंदू पत्ता के पेड़ों की समय-समय पर कल्चर और देखभाल भी की जाती है और समय आने पर वन निगम इन पत्तों की तुड़वाई भी करता है.

इन पत्तों से स्थानीय ग्रामीण अपनी रोजीरोटी कमाते हैं.
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Published : May 12, 2019, 4:17 AM IST

चित्रकूट : हरा सोना के नाम से विख्यात तेंदू पत्ता का प्रयोग बीड़ी बनाने में मुख्य रूप से किया जाता है. वन विभाग द्वारा इन जंगलों की निगरानी की जाती है और इसकी रखवाली की जाती है. मई और जून के समय इन पत्तों से स्थानीय ग्रामीण अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. आरोप है कि बाहरी जनपद के लोग वनकर्मियों की मिली भगत से पैसे देकर पत्तों की तुड़वाई करते हैं.

इन पत्तों से स्थानीय ग्रामीण अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं.


क्या है पूरा मामला

  • वन निगम स्थानीय निवासियों से पत्तों को तुड़वाकर खरीदता है, जिससे ग्रामीणों की आय हो जाती है.
  • तेंदू पत्ता ग्रामीणों की आय का एक स्रोत भी है, लेकिन इसमें भी कर्मचारियों की मिलीभगत से खेल शुरू हो गया है.
  • कर्मचारियों की मिलीभगत से बाहरी जनपद के लोगों को तेंदू पत्ता तोड़ने की आजादी दी जाती है.
  • बाहरी लोगों से इन कर्मचारियों को जेबें लगातार गर्म होती रहती हैं.
  • इस संबंध में कर्मचारियों से बात की गई तो इन कर्मचारियों ने अपना बचाव करते हुए कहा कि हम नहीं रेलवे कर्मचारी इन लोगों से पैसा वसूलते हैं.
  • ऐसे में कहीं न कहीं वन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही उजागर होती है.
  • वन विभाग कर्मियों का आरोप है कि रेलवेकर्मी इन बाहरी लोगों से पैसे वसूल करते हैं और हमें उनके ऊपर कार्रवाई से रोकते हैं.

चित्रकूट : हरा सोना के नाम से विख्यात तेंदू पत्ता का प्रयोग बीड़ी बनाने में मुख्य रूप से किया जाता है. वन विभाग द्वारा इन जंगलों की निगरानी की जाती है और इसकी रखवाली की जाती है. मई और जून के समय इन पत्तों से स्थानीय ग्रामीण अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. आरोप है कि बाहरी जनपद के लोग वनकर्मियों की मिली भगत से पैसे देकर पत्तों की तुड़वाई करते हैं.

इन पत्तों से स्थानीय ग्रामीण अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं.


क्या है पूरा मामला

  • वन निगम स्थानीय निवासियों से पत्तों को तुड़वाकर खरीदता है, जिससे ग्रामीणों की आय हो जाती है.
  • तेंदू पत्ता ग्रामीणों की आय का एक स्रोत भी है, लेकिन इसमें भी कर्मचारियों की मिलीभगत से खेल शुरू हो गया है.
  • कर्मचारियों की मिलीभगत से बाहरी जनपद के लोगों को तेंदू पत्ता तोड़ने की आजादी दी जाती है.
  • बाहरी लोगों से इन कर्मचारियों को जेबें लगातार गर्म होती रहती हैं.
  • इस संबंध में कर्मचारियों से बात की गई तो इन कर्मचारियों ने अपना बचाव करते हुए कहा कि हम नहीं रेलवे कर्मचारी इन लोगों से पैसा वसूलते हैं.
  • ऐसे में कहीं न कहीं वन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही उजागर होती है.
  • वन विभाग कर्मियों का आरोप है कि रेलवेकर्मी इन बाहरी लोगों से पैसे वसूल करते हैं और हमें उनके ऊपर कार्रवाई से रोकते हैं.
Intro:एंकर-बुंदेलखंड के चित्रकूट में हरा सोने से विख्यात हैं तेंदू पत्ता। तेंदू पत्ता का प्रयोग बीड़ी बनाने में मुख्य रूप से किया जाता है। वनविभाग द्वारा इन जंगलो की निगरानी की जाती है और इसकी रखवाली की जाती है।मई और जून के समय इन पत्तों की तोड़वाई स्थानीय ग्रामीण अपनी रोजीरोटी कमाते हैं।वनविभाग गांव-गांव में फड़ लगा कर ग्रामीणों से टूट पत्ते सूखा कर खरीदे जाते है।
पर बाहरी जनपद के लोग चोरी से कर्मियों की मिली भगत से पैसे देकर पत्तो की तोड़वाई करते है ।
वनविभाग कर्मियों का आरोप रेल्वे कर्मी इन बाहरी लोगों से पैसे वसूल करतेहै और हमे उनके ऊपर कार्यवाही के लिए रोकते हैं।


Body:वीओ- चित्रकूट में फैले जंगल में बहुतायत रूप में हरा सोना कहे जाने वाले तेंदूपत्ता प्रचुर मात्रा में है और यहां का तेंदूपत्ता उच्च कोटि का माना गया है ।वन विभाग द्वारा इन तेंदूपत्ता के पेड़ों की समय-समय पर कल्चर और देखभाल भी की जाती है और समय आने पर वन निगम इन पत्तों की तोड़वाई करता है ।स्थानीय निवासियों से इसकी तुड़ाई करवा कर गरीब ग्रामीणों से इन पत्तो को खरीदता है जिससे इस ग्रामीणों की आय हो जाती है तेंदू पत्ता ग्रामीणों की आय का एक स्रोत भी है हरा सोने में भी कर्मचारियों की मिलीभगत से खेल शुरू हो गया है। कर्मचारियों की मिलीभगत से बहरी जनपद के लोगों को तेंदूपत्ता तोड़ने की आजादी दी जाती है ।क्योंकि इन बाहरी जनपद लोगों से इन कर्मचारियों को जेबे लगातार गर्म होती रहती हैं। जब इस संबंध में इन कर्मचारियों से ईटीवी भारत में बात की तो यह कर्मचारी अपना बचाव करते हुए कहा कि हम नहीं रेलवे कर्मचारी इन लोगों से पैसा वसूलते हैं। पर कहीं न कहीं स्थानीय जनता जो इन पेड़ों की समय-समय पर कर्मचारियों के साथ मिलकर देखभाल करती है वह ठगी सी महसूस कर रही है।और सरकार को जो इन तेंदू पत्ता से राजस्व का फायदा होता है उसमें भी इन कर्मचारियों द्वारा बट्टा लगाया जा रहा है। ऐसे में कही न कही वनविभाग की कर्मचारियों की लापरवाही उजागर होती हैं।


Conclusion:बाइट-रानुवा (ग्रामीण)
बाइट-हुब लाल सिंह(फारिस्टर)
बाइट-महेश कुमार त्रिपाठी(वाचर वनविभाग)
बाइट-ओमप्रकाश सोनकर(रेन्जर वनविभाग)
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