चित्रकूट : हरा सोना के नाम से विख्यात तेंदू पत्ता का प्रयोग बीड़ी बनाने में मुख्य रूप से किया जाता है. वन विभाग द्वारा इन जंगलों की निगरानी की जाती है और इसकी रखवाली की जाती है. मई और जून के समय इन पत्तों से स्थानीय ग्रामीण अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. आरोप है कि बाहरी जनपद के लोग वनकर्मियों की मिली भगत से पैसे देकर पत्तों की तुड़वाई करते हैं.
क्या है पूरा मामला
- वन निगम स्थानीय निवासियों से पत्तों को तुड़वाकर खरीदता है, जिससे ग्रामीणों की आय हो जाती है.
- तेंदू पत्ता ग्रामीणों की आय का एक स्रोत भी है, लेकिन इसमें भी कर्मचारियों की मिलीभगत से खेल शुरू हो गया है.
- कर्मचारियों की मिलीभगत से बाहरी जनपद के लोगों को तेंदू पत्ता तोड़ने की आजादी दी जाती है.
- बाहरी लोगों से इन कर्मचारियों को जेबें लगातार गर्म होती रहती हैं.
- इस संबंध में कर्मचारियों से बात की गई तो इन कर्मचारियों ने अपना बचाव करते हुए कहा कि हम नहीं रेलवे कर्मचारी इन लोगों से पैसा वसूलते हैं.
- ऐसे में कहीं न कहीं वन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही उजागर होती है.
- वन विभाग कर्मियों का आरोप है कि रेलवेकर्मी इन बाहरी लोगों से पैसे वसूल करते हैं और हमें उनके ऊपर कार्रवाई से रोकते हैं.