ETV Bharat / state

चित्रकूट: यहां गांव‌ तो‌ ओ‌डी‌एफ‌ हो‌ गए पर लोगों को शौचालय नहीं मिला

शौचालयों की अहमियत और स्वच्छता पर जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर में 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस (world toilet day) मनाया जाता है. 2018-19 में चित्रकूट जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया. लेकिन मौजूदा हालात यह है कि आज भी आपको चित्रकूट में ढेरों ऐसे लोग मिलेंगे, जिनके पास शौचालय नहीं है और है भी तो वे अधूरे पड़े हैं. जिसके कारण आज भी लोगों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है.

शौच को बाहर जाने के लिए मजबूर हैं ग्रामीण
शौच को बाहर जाने के लिए मजबूर हैं ग्रामीण
author img

By

Published : Nov 20, 2021, 11:38 AM IST

चित्रकूट: शौचालयों की अहमियत और स्वच्छता पर जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर में 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस (world toilet day) मनाया जाता है. 2018-19 में चित्रकूट जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया. लेकिन मौजूदा हालात यह है कि आज भी आपको चित्रकूट में ढेरों ऐसे लोग मिलेंगे, जिनके पास शौचालय नहीं है और है भी तो वे अधूरे पड़े हैं. जिसके कारण आज भी लोगों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है. शुक्रवार को पूरे विश्व के साथ ही भारत में भी वर्ल्ड टॉयलेट डे यानी विश्व शौचालय दिवस मनाया गया.

दरअसल, शौचालय दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2001 में विश्व शौचालय संगठन की ओर से की गई. आधिकारिक तौर पर विश्व शौचालय दिवस को 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने मनाने की मंजूरी दी.

शौच को बाहर जाने के लिए मजबूर हैं ग्रामीण

वहीं, 2014 में नई सरकार के बनते ही स्वच्छ भारत अभियान का नारा दिया गया और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक कर उन्हें खुले में शौच न जाने और उससे होने वाले नुकसानों के बारे में बताया गया. साथ ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय के निर्माण को 12 हजार (12 thousand for the construction of toilet) की सहयोग राशि दी गई.

इसे भी पढ़ें -अब चाय-नाश्ते पर होगी बात, दलितों को पढ़ाएंगे राष्ट्रवाद का पाठ!

खैर, यह प्रोत्साहन राशि ग्रामीणों के निजी बैंक अकाउंट में आनी थी पर ग्रामीणों के खातों में आने वाली राशि को ग्राम पंचायत के खातों में डाल दिया गया. इधर, ग्राम प्रधान के नेतृत्व में ग्रामीण इलाकों में शौचालय के निर्माण कराए गए, पर आज भी ज्यादातर शौचालयों के कार्य अधूरे पड़े हुए हैं.

यही कारण है कि आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर है. ईटीवी भारत ने जब जनपद चित्रकूट के विकासखंड मानिकपुर के कई गांव जैसे सरहट, बारहमाफी व बहिलपुरवा क्षेत्र के गावों का दौरा किया तो पाया कि अभी भी यहां कुछ नहीं बदला है. लोग आज भी बाहर ही शौच जा रहे हैं.

वहीं, कई ऐसे भी शौचालय देखने को मिले, जिनमें छत ही नहीं है. सिर्फ किसी तरह से तीन दीवार खड़ी कर दी गई है. उनमें न तो दरवाजा है और न ही सेफ्टी टैंक व सीट की व्यवस्था है. ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि वे जानबूझकर खेतों में शौच के लिए नहीं जाते हैं, बल्कि व्यवस्था न होने के कारण उन्हें मजबूरन बाहर शौच को जाना पड़ता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

चित्रकूट: शौचालयों की अहमियत और स्वच्छता पर जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर में 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस (world toilet day) मनाया जाता है. 2018-19 में चित्रकूट जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया. लेकिन मौजूदा हालात यह है कि आज भी आपको चित्रकूट में ढेरों ऐसे लोग मिलेंगे, जिनके पास शौचालय नहीं है और है भी तो वे अधूरे पड़े हैं. जिसके कारण आज भी लोगों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है. शुक्रवार को पूरे विश्व के साथ ही भारत में भी वर्ल्ड टॉयलेट डे यानी विश्व शौचालय दिवस मनाया गया.

दरअसल, शौचालय दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2001 में विश्व शौचालय संगठन की ओर से की गई. आधिकारिक तौर पर विश्व शौचालय दिवस को 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने मनाने की मंजूरी दी.

शौच को बाहर जाने के लिए मजबूर हैं ग्रामीण

वहीं, 2014 में नई सरकार के बनते ही स्वच्छ भारत अभियान का नारा दिया गया और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक कर उन्हें खुले में शौच न जाने और उससे होने वाले नुकसानों के बारे में बताया गया. साथ ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय के निर्माण को 12 हजार (12 thousand for the construction of toilet) की सहयोग राशि दी गई.

इसे भी पढ़ें -अब चाय-नाश्ते पर होगी बात, दलितों को पढ़ाएंगे राष्ट्रवाद का पाठ!

खैर, यह प्रोत्साहन राशि ग्रामीणों के निजी बैंक अकाउंट में आनी थी पर ग्रामीणों के खातों में आने वाली राशि को ग्राम पंचायत के खातों में डाल दिया गया. इधर, ग्राम प्रधान के नेतृत्व में ग्रामीण इलाकों में शौचालय के निर्माण कराए गए, पर आज भी ज्यादातर शौचालयों के कार्य अधूरे पड़े हुए हैं.

यही कारण है कि आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर है. ईटीवी भारत ने जब जनपद चित्रकूट के विकासखंड मानिकपुर के कई गांव जैसे सरहट, बारहमाफी व बहिलपुरवा क्षेत्र के गावों का दौरा किया तो पाया कि अभी भी यहां कुछ नहीं बदला है. लोग आज भी बाहर ही शौच जा रहे हैं.

वहीं, कई ऐसे भी शौचालय देखने को मिले, जिनमें छत ही नहीं है. सिर्फ किसी तरह से तीन दीवार खड़ी कर दी गई है. उनमें न तो दरवाजा है और न ही सेफ्टी टैंक व सीट की व्यवस्था है. ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि वे जानबूझकर खेतों में शौच के लिए नहीं जाते हैं, बल्कि व्यवस्था न होने के कारण उन्हें मजबूरन बाहर शौच को जाना पड़ता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.