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धनतेरस का जानिए मुहूर्त, ऐसे करें पूजा ताकि घर में बरसे धन - यमराज की पूजा

देश भर में दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं. वहीं धनतेरस पर शुक्रवार को बड़ी संख्या लोग घरों से निकल कर कुछ न कुछ खरीद कर अपने घर ला रहे हैं. ऐसे में चित्रकूट के ज्योतिषाचार्य आजाद मिश्रा ने ईटीवी भारत के माध्यम से बताया कि धनतेरस पर क्या खरीदें और पूजा-पाठ कैसे करनी है.

धनतेरस का पर्व.
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Published : Oct 25, 2019, 6:17 PM IST

Updated : Oct 25, 2019, 8:24 PM IST

चित्रकूटः कार्तिकेय मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में मनाए जा रहे धनतेरस पर्व में सिंह लग्न धनत्रयोदशी शनिवार रात 1:21 से प्रारंभ होकर 3:35 रात्रि तक रहेगा. इस लग्न में पूजा करना, सभी मनोकामनाओं और इच्छाओं की पूर्ति करता है. गोधूली बेला में धनत्रयोदशी की पूजा उत्तम मानी जाती है.

आचार्य आजाद मिश्रा ज्योतिषाचार्य ने धनतेरस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें ईटीवी भारत के साथ साझा की. उन्होंने पूजा का समय, पंच पर्व और इसके इतिहास के साथ-साथ पूजा की विधि भी बताई.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य.
पूजा का समयः सिंह लग्न धनत्रयोदशी शनिवार रात 1:21 से 3:35 को लग रहे इस लग्न में पूजा करना सभी मनोकामना और इच्छाओं की पूर्ति करता है. गोधूली बेला (शाम और रात के बीच का समय) में धनत्रयोदशी की पूजा उत्तम मानी जाती है.पंचपर्वः 5 दिन के महोत्सव में पहला पर्व धनतेरस है, जो शुक्रवार से प्रारंभ होता है. धनत्रयोदशी से शुरू यह पर्व नरक चतुर्थी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के साथ 5 दिनों के पूजन के साथ समाप्त होता है.टोटकाः आचार्य आजाद मानते हैं कुछ टोटके करने से भी लक्ष्मी घर आती हैं. जैसे कि जुते हुए खेत के हल में लगी मिट्टी में गोवंश का दूध मिलाकर उसे 3 बार ओम धनमंत्राय नमः कर अपने सिर के ऊपर से फेरते हुए ईशान कोण की तरफ छोड़ दें. इसके बाद अपने मस्तक में कुमकुम लगाएं.खरीदः मूल्यवान धातु की खरीद और बिक्री करें. स्वर्ण-चांदी बर्तन इत्यादि, लेकिन ध्यान रहे काले वस्त्र और वस्तुओं की खरीद कदापि न करें.

यमराज की पूजाः इनका भी पूजन विशेष रूप से किया जाता है. यह रात्रि में 11:58 में घर की माता और बहनें चतुर्मुखी दीपक सरसों के तेल में जलाकर घर के दरवाजे पर रखती हैं और पूजा कर प्रार्थना करती हैं. साथ ही यह प्रार्थना करती हैं कि हे भगवान यमराज हमारे घर में आपकी कृपा हमेशा बनी रहे और घर में किसी भी सदस्य के साथ अनिष्ट न हो.

चित्रकूटः कार्तिकेय मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में मनाए जा रहे धनतेरस पर्व में सिंह लग्न धनत्रयोदशी शनिवार रात 1:21 से प्रारंभ होकर 3:35 रात्रि तक रहेगा. इस लग्न में पूजा करना, सभी मनोकामनाओं और इच्छाओं की पूर्ति करता है. गोधूली बेला में धनत्रयोदशी की पूजा उत्तम मानी जाती है.

आचार्य आजाद मिश्रा ज्योतिषाचार्य ने धनतेरस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें ईटीवी भारत के साथ साझा की. उन्होंने पूजा का समय, पंच पर्व और इसके इतिहास के साथ-साथ पूजा की विधि भी बताई.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य.
पूजा का समयः सिंह लग्न धनत्रयोदशी शनिवार रात 1:21 से 3:35 को लग रहे इस लग्न में पूजा करना सभी मनोकामना और इच्छाओं की पूर्ति करता है. गोधूली बेला (शाम और रात के बीच का समय) में धनत्रयोदशी की पूजा उत्तम मानी जाती है.पंचपर्वः 5 दिन के महोत्सव में पहला पर्व धनतेरस है, जो शुक्रवार से प्रारंभ होता है. धनत्रयोदशी से शुरू यह पर्व नरक चतुर्थी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के साथ 5 दिनों के पूजन के साथ समाप्त होता है.टोटकाः आचार्य आजाद मानते हैं कुछ टोटके करने से भी लक्ष्मी घर आती हैं. जैसे कि जुते हुए खेत के हल में लगी मिट्टी में गोवंश का दूध मिलाकर उसे 3 बार ओम धनमंत्राय नमः कर अपने सिर के ऊपर से फेरते हुए ईशान कोण की तरफ छोड़ दें. इसके बाद अपने मस्तक में कुमकुम लगाएं.खरीदः मूल्यवान धातु की खरीद और बिक्री करें. स्वर्ण-चांदी बर्तन इत्यादि, लेकिन ध्यान रहे काले वस्त्र और वस्तुओं की खरीद कदापि न करें.

यमराज की पूजाः इनका भी पूजन विशेष रूप से किया जाता है. यह रात्रि में 11:58 में घर की माता और बहनें चतुर्मुखी दीपक सरसों के तेल में जलाकर घर के दरवाजे पर रखती हैं और पूजा कर प्रार्थना करती हैं. साथ ही यह प्रार्थना करती हैं कि हे भगवान यमराज हमारे घर में आपकी कृपा हमेशा बनी रहे और घर में किसी भी सदस्य के साथ अनिष्ट न हो.

Intro:कार्तिकेय मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में मनाए जा रहे धनतेरस पर्व में सिंह लग्न धनत्रयोदशी आज रात 1:21 से प्रारंभ होकर 3:35 रात्रि को इस लग्न में पूजा कर आना आपकी सभी मनोकामना और इच्छाओं की पूर्ति करता है। या फिर गॉधील बेला सायंकाल को धनत्रयोदशी की पूजा उत्तम मानी जाती है।


Body:जोतिषाचार्य आचार्य आजाद मिश्रा ने बताया कि
धनतेरस यानेकी धन मंत्री जयंती भगवान धानमंत्री की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान स्वर्ण कलश में अमृत लिए हुए हुई थी ।साथ में इनके आयुर्वेद की जड़ी बूटी भी थी ।इसलिए इन्हें आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। सौ तरह के मृत्यु को का इन्होंने विवेचना की एक मृत्यु अकाट्य है बाकी मृत्यु का विवेचन अपने आयुर्वेद में वर्णित किया है

पूजा का समय----सिंह लग्न धनत्रयोदशी आज रात 1:21 से 3:35 रात को इस लग्न में पूजा करना आपकी सभी मनोकामना और इच्छाओं की पूर्ति करता है या फिर गॉधील बेला सांयकाल को धनत्रयोदशी की पूजा उत्तम मानी जाती है।

पंचपर्णाव पर्व---5 दिन का महोत्सव में पहला पर्व धनतेरस है जो आज से प्रारंभ होता है इसे पंचपर्णाव महोत्सव भी कहते हैं। धनत्रयोदशी से शुरू यह पर्व नरक चतुर्थी ,दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के साथ 5 दिनों के पूजन का समापन होता है।

टोटका---आचार्य आजाद मानते हैं कुछ टोटके करने से भी आज लक्ष्मी घर आती है जिसेकि जूते हुए खेत के हल में लगी मिट्टी में गोवंश का दूध मिलाकर उसे 3 बार ओम धनमंत्राय नमः कर अपने सर के ऊपर से फेरते हुए ईशान कोण की तरफ छोड़ दें और अपने मस्तक में कुमकुम लगाएं

ख़रीद -- खरीद बिक्री में आज मूल्यवान धातु की खरीद और बिक्री करें स्वर्ण चांदी बर्तन इत्यादि लेकिन ध्यान रहे काले वस्त्र या वस्तुओं की खरीद कदापि न करें जिससे आपके घर में लक्ष्मी का वास हो
यमराज की पूजा----जो मृत्यु के देवता यमराज है उनका भी पूजन आज विशेष रूप से किया जाता है जो रात्रि में 11:58 में घर की माता या बहनें चतुर्मुखी दीपक सरसों के तेल में जलाकर घर के दरवाजे पर रखती हैं और पूजा कर प्रार्थना करती हैं कि हे भगवान यमराज हमारे घर में आपकी कृपा हमेशा बनी रहे और घर में किसी भी सदस्य के साथ अनिष्ट ना हो।
बाइट-आचार्य आजाद मिश्रा(ज्योतिषचार्य)


Conclusion:
Last Updated : Oct 25, 2019, 8:24 PM IST
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