चित्रकूटः कार्तिकेय मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में मनाए जा रहे धनतेरस पर्व में सिंह लग्न धनत्रयोदशी शनिवार रात 1:21 से प्रारंभ होकर 3:35 रात्रि तक रहेगा. इस लग्न में पूजा करना, सभी मनोकामनाओं और इच्छाओं की पूर्ति करता है. गोधूली बेला में धनत्रयोदशी की पूजा उत्तम मानी जाती है.
आचार्य आजाद मिश्रा ज्योतिषाचार्य ने धनतेरस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें ईटीवी भारत के साथ साझा की. उन्होंने पूजा का समय, पंच पर्व और इसके इतिहास के साथ-साथ पूजा की विधि भी बताई.
जानकारी देते ज्योतिषाचार्य. पूजा का समयः सिंह लग्न धनत्रयोदशी शनिवार रात 1:21 से 3:35 को लग रहे इस लग्न में पूजा करना सभी मनोकामना और इच्छाओं की पूर्ति करता है. गोधूली बेला (शाम और रात के बीच का समय) में धनत्रयोदशी की पूजा उत्तम मानी जाती है.
पंचपर्वः 5 दिन के महोत्सव में पहला पर्व धनतेरस है, जो शुक्रवार से प्रारंभ होता है. धनत्रयोदशी से शुरू यह पर्व नरक चतुर्थी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के साथ 5 दिनों के पूजन के साथ समाप्त होता है.
टोटकाः आचार्य आजाद मानते हैं कुछ टोटके करने से भी लक्ष्मी घर आती हैं. जैसे कि जुते हुए खेत के हल में लगी मिट्टी में गोवंश का दूध मिलाकर उसे 3 बार ओम धनमंत्राय नमः कर अपने सिर के ऊपर से फेरते हुए ईशान कोण की तरफ छोड़ दें. इसके बाद अपने मस्तक में कुमकुम लगाएं.
खरीदः मूल्यवान धातु की खरीद और बिक्री करें. स्वर्ण-चांदी बर्तन इत्यादि, लेकिन ध्यान रहे काले वस्त्र और वस्तुओं की खरीद कदापि न करें.
यमराज की पूजाः इनका भी पूजन विशेष रूप से किया जाता है. यह रात्रि में 11:58 में घर की माता और बहनें चतुर्मुखी दीपक सरसों के तेल में जलाकर घर के दरवाजे पर रखती हैं और पूजा कर प्रार्थना करती हैं. साथ ही यह प्रार्थना करती हैं कि हे भगवान यमराज हमारे घर में आपकी कृपा हमेशा बनी रहे और घर में किसी भी सदस्य के साथ अनिष्ट न हो.