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चित्रकूट: किसानों की आर्थिक और समजिक वृद्धि पर काम कर रहा 'कृषि विज्ञान केंद्र'

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Published : Aug 28, 2019, 10:24 AM IST

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में पंडित दीनदयाल शोध संस्थान तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र किसानों की स्थिति बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है. यहां से लाखों किसान लाभान्वित होकर उन्नत किस्म की खेती और पशुपालन कर आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं.

किसानों की आर्थिक और समजिक वृद्धि पर काम कर रहा 'कृषि विज्ञान केंद्र'

चित्रकूट: पंडित दीनदयाल शोध संस्थान तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र चित्रकूट को नाना जी देशमुख ने बुंदेलखंड के किसानों की आर्थिक समृद्धि और सामाजिक वृद्धि के लिए ही स्थापित किया था. आज यहां से लाखों किसान लाभांवित होकर उन्नत किस्म की खेती और पशुपालन कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र के बारे में जानकारी देते वैज्ञानिक

पंडित दीनदयाल शोध संस्थान तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र-

  • सरकार से पोषित पंडित दीनदयाल शोध संस्थान 1992 से चित्रकूट से काम कर रहा है.
  • किसानों की आर्थिक और सामाजिक वृद्धि के लिए नई तकनीक मशीनों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
  • वर्तमान समय में 230 गांव के किसान किसी न किसी रूप से कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े हुए हैं.
  • कृषि विज्ञान केंद्र समय-समय पर बुंदेलखंड के वातावरण को देखते हुए अनाज के बीजों का प्रदर्शन करता रहता है.
  • बुंदेलखंड वैसे भी दलहन-तिलहन के लिए प्रसिद्ध है.
  • कृषि विज्ञान केंद्र में दलहन और तिलहन के उन्नत शील बीज का उत्पादन कर स्थानीय किसानों को दलहन-तिलहन के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं.

ये भी पढ़ें:- दो अक्टूबर से पहले प्रदेश को पॉलीथिन मुक्त बनाएं: CM योगी

कृषि विज्ञान केंद्र में हैं कई इकाईयां-
कृषि विज्ञान केंद्र में कई इकाइयां हैं, जिनमें बीज उत्पादन, इंटीग्रेटेड फसल पद्धति, बकरी पालन, बुंदेलखंड की प्रजाति से लेकर अभी कालीन भेड़ की प्रजाति, मुर्गी पालन, सूकर पालन, मछली पालन, बतख पालन और जिन किसानों को अच्छे नस्ल की गाय-भैंस चाहिए होते हैं, उनके लिए ब्रीडिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है.


चित्रकूट: पंडित दीनदयाल शोध संस्थान तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र चित्रकूट को नाना जी देशमुख ने बुंदेलखंड के किसानों की आर्थिक समृद्धि और सामाजिक वृद्धि के लिए ही स्थापित किया था. आज यहां से लाखों किसान लाभांवित होकर उन्नत किस्म की खेती और पशुपालन कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र के बारे में जानकारी देते वैज्ञानिक

पंडित दीनदयाल शोध संस्थान तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र-

  • सरकार से पोषित पंडित दीनदयाल शोध संस्थान 1992 से चित्रकूट से काम कर रहा है.
  • किसानों की आर्थिक और सामाजिक वृद्धि के लिए नई तकनीक मशीनों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
  • वर्तमान समय में 230 गांव के किसान किसी न किसी रूप से कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े हुए हैं.
  • कृषि विज्ञान केंद्र समय-समय पर बुंदेलखंड के वातावरण को देखते हुए अनाज के बीजों का प्रदर्शन करता रहता है.
  • बुंदेलखंड वैसे भी दलहन-तिलहन के लिए प्रसिद्ध है.
  • कृषि विज्ञान केंद्र में दलहन और तिलहन के उन्नत शील बीज का उत्पादन कर स्थानीय किसानों को दलहन-तिलहन के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं.

ये भी पढ़ें:- दो अक्टूबर से पहले प्रदेश को पॉलीथिन मुक्त बनाएं: CM योगी

कृषि विज्ञान केंद्र में हैं कई इकाईयां-
कृषि विज्ञान केंद्र में कई इकाइयां हैं, जिनमें बीज उत्पादन, इंटीग्रेटेड फसल पद्धति, बकरी पालन, बुंदेलखंड की प्रजाति से लेकर अभी कालीन भेड़ की प्रजाति, मुर्गी पालन, सूकर पालन, मछली पालन, बतख पालन और जिन किसानों को अच्छे नस्ल की गाय-भैंस चाहिए होते हैं, उनके लिए ब्रीडिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है.


Intro:मरणोपरांत 8 अगस्त को भारत रत्न से सम्मानित हुए नानाजी देशमुख का बुंदेलखंड के प्रति समर्पण का ही उपक्रम है पंडित दीनदयाल शोध संस्थान तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र चित्रकूट नाना जी ने बुंदेलखंड के किसानों की आर्थिक समृद्धि व सामाजिक वृद्धि के लिए ही चित्रकूट में स्थापित किया था कृषि विज्ञान केंद्र और आज कृषि विज्ञान केंद्र चित्रकूट क्या बुंदेलखंड का नजीर बन गया है यहां से लाखों किसान लाभान्वित होकर उन्नत किस्में की खेती और पशुपालन कर आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं कृषि विज्ञान केंद्र से किसानों को उन्नत किस्में के दलहन और तिलहन से लगाकर अनाज के बीच उपलब्ध कराता है वही प्रदर्शन और प्रशिक्षण के माध्यम से नई-नई तकनीकें पहुंचाने के काम कृषि विज्ञान केंद्र चित्रकूट 1992 से लगातार करता रहा है


Body: सरकार से पोषित पंडित दीनदयाल शोध संस्थान 1992 से चित्रकूट से काम कर रहा है किसानों की आर्थिक और सामाजिक वृद्धि के लिए नये तकनीक कि मशीनो से लगा कर किसानों को प्रशिक्षण के माध्यम से ज्ञान वृद्धि करना प्रदर्शन के माध्यम से तकनीकी का विस्तार करना तकनीक जो किसानों ने अभी तक नहीं अपनाई है उन तकनीकों और प्रशिक्षण के जरूरत के हिसाब से प्रदर्शित करना दीनदयाल कृषि विज्ञान केंद्र करता रहता है वर्तमान समय में 230 गांव के किसान किसी न किसी रूप से कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े हुए हैं कृषि विज्ञान केंद्र समय-समय पर बुंदेलखंड की वातावरण को देखते हुए दलहन तिलहन और अनाज का के बीजों का प्रदर्शन करता रहता है बुंदेलखंड वैसे भी दलहन तिलहन के लिए प्रसिद्ध है इसी को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र बुंदेलखंड में दलहन और तिलहन के उन्नतशील बीज का उत्पादन कर स्थानीय किसानों को दलहन तिलहन और अनाज के बीज उपलब्ध कराता है कृषि विज्ञान केंद्र में कई इकाइयां हैं जिनमें बीज उत्पादन इंटीग्रेटेड अकादमीक फसल पद्धति ,बकरी पालन बुंदेलखंड की प्रजाति से लेकर अभी कालीन भेड़ की प्रजाति, मुर्गी पालन, सूकर ,मछली ,बत्तख़ पालन और जिन किसानों को अच्छे नस्ल की गाय भैंस चाहिए होते हैं उनके लिए ब्रीडिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराता है


Conclusion: वास्तव में नानाजी देशमुख की दूरदर्शिता आज चित्रकूट क्या बुंदेलखंड के किसानों का भविष्य निर्धारण कर रही है बुंदेलखंड हमेशा से सूखे से जूझता रहा है ऐसे में पंडित दीनदयाल शोध संस्थान तुलसी विज्ञान के ऐसे बीजों का शोध कर उत्पादन करता है जिसमें बुंदेलखंड की धरती में आसानी से और कम पानी में अच्छी फसलें किसान दोहन कर सके जिससे उनकी आर्थिक और समाजिक वृद्धि निरंतर होती रह रही है
बाइट-डॉ चंद्रमणि त्रिपाठी(वैज्ञानिक दीनदयाल कृषि शोधसंस्थान )
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