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लखनऊ: घरेलू उपाय और फूल आपको देंगे प्राकृतिक रंग और गुलाल - लखनऊ न्यूज

होली का त्यौहार शुरु हो गया है, ऐसे में लोगों को केमिकल युक्त गुलाल और रंगों से उनके त्वचा को कहीं कोई नुकसान ना पहुंचे. इसके लिए लोग प्राकृतिक रंगो से होली खेलेगे. जिससे शरीर पर कोई नुकसान न पहुंचे.

प्राकृतिक रंगो से खेले होली.
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Published : Mar 21, 2019, 6:25 AM IST

लखनऊ: होली का त्यौहार शुरू हो गया है. ऐसे में लोगों की सबसे बड़ी परेशानी होती है कि केमिकल युक्त गुलाल और रंगों से उनके त्वचा को कहीं कोई नुकसान ना पहुंचे. प्रकृति के आसपास देखे तो कुछ ऐसे फुल मौजूद हैं जिन से प्राकृतिक रंग बनाए जा सकते हैं. जो हमारे शरीर पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे इन प्राकृतिक रंगों में टेसू या पलाश का फूल भी शामिल है.

प्राकृतिक रंगो से खेले होली.

टेसू या पलाश के फूल उत्तर प्रदेश के राज्य पुष्प के रूप में जाने जाते हैं. ये फूल अपनी रंगत की वजह से ही हरियाली में अनुपम सौंदर्य का प्रदर्शन करते हैं. नेशनल बोटानिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीनियर टेक्निकल ऑफिसर अभिषेक निरंजन का कहना है कि पौराणिक काल से ही पलाश के फूलों का इस्तेमाल प्राकृतिक रंग बनाने में किया जाता रहा है. इसके अलावा हल्दी, चुकंदर, पालक और कुछ घरेलू और प्राकृतिक तत्व से गुलाल या रंग बनाया जा सकता है.

टेसू के फूल नारंगी से सुर्ख लाल रंग में होते हैं. इन फूलों को सुखाकर इन्हें पीसकर गुलाल या रंग के रूप में होली में इस्तेमाल किया जा सकता है. खास बात यह है कि इससे शरीर पर किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और खुशबू के साथ यह होली का असली त्यौहार मनाने में भी सक्षम हो सकते हैं. इसके अलावा हल्दी पाउडर को गर्म पानी में डाल कर पीला रंग, चुकंदर के रस से गुलाबी रंग और पालक के जूस से हरा रंग बनाया जा सकता है. यह प्राकृतिक रंग शरीर पर किसी भी तरह की एलर्जी होने से रोकते हैं.

लखनऊ: होली का त्यौहार शुरू हो गया है. ऐसे में लोगों की सबसे बड़ी परेशानी होती है कि केमिकल युक्त गुलाल और रंगों से उनके त्वचा को कहीं कोई नुकसान ना पहुंचे. प्रकृति के आसपास देखे तो कुछ ऐसे फुल मौजूद हैं जिन से प्राकृतिक रंग बनाए जा सकते हैं. जो हमारे शरीर पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे इन प्राकृतिक रंगों में टेसू या पलाश का फूल भी शामिल है.

प्राकृतिक रंगो से खेले होली.

टेसू या पलाश के फूल उत्तर प्रदेश के राज्य पुष्प के रूप में जाने जाते हैं. ये फूल अपनी रंगत की वजह से ही हरियाली में अनुपम सौंदर्य का प्रदर्शन करते हैं. नेशनल बोटानिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीनियर टेक्निकल ऑफिसर अभिषेक निरंजन का कहना है कि पौराणिक काल से ही पलाश के फूलों का इस्तेमाल प्राकृतिक रंग बनाने में किया जाता रहा है. इसके अलावा हल्दी, चुकंदर, पालक और कुछ घरेलू और प्राकृतिक तत्व से गुलाल या रंग बनाया जा सकता है.

टेसू के फूल नारंगी से सुर्ख लाल रंग में होते हैं. इन फूलों को सुखाकर इन्हें पीसकर गुलाल या रंग के रूप में होली में इस्तेमाल किया जा सकता है. खास बात यह है कि इससे शरीर पर किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और खुशबू के साथ यह होली का असली त्यौहार मनाने में भी सक्षम हो सकते हैं. इसके अलावा हल्दी पाउडर को गर्म पानी में डाल कर पीला रंग, चुकंदर के रस से गुलाबी रंग और पालक के जूस से हरा रंग बनाया जा सकता है. यह प्राकृतिक रंग शरीर पर किसी भी तरह की एलर्जी होने से रोकते हैं.

Intro:लखनऊ। होली का त्यौहार शुरू हो गया है ऐसे में लोगों की सबसे बड़ी परेशानी होती है कि केमिकल युक्त गुलाल और रंगों से उनके त्वचा को कहीं कोई नुकसान ना पहुंचे। अकरम में प्रकृति के आसपास देखे तो कुछ ऐसे मौजूद हैं जिन से प्राकृतिक बुला लो रंग बनाए जा सकते हैं जो हमारे शरीर पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे इन प्राकृतिक रंगों में टेसू या पलाश का फूल भी शामिल है जो प्रकृति के सौंदर्य का सानी है।


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टेसू या पलाश के फूल उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प के रूप में जाने जाते हैं। यह फूल अपनी रंगत की वजह से ही हरियाली में अनुपम सौंदर्य का प्रदर्शन करते हैं। नेशनल बोटानिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीनियर टेक्निकल ऑफिसर अभिषेक निरंजन का कहना है कि पौराणिक काल से ही पलाश के फूलों का इस्तेमाल प्राकृतिक रंग बनाने में किया जाता रहा है। इसके अलावा हल्दी, चुकंदर, पालक और कुछ घरेलू और प्राकृतिक तत्व गुलाल या रंग बनाया जा सकता है।

टेसू के फूल नारंगी से सुर्ख लाल रंग में होते हैं। इन फूलों को सुखाकर इन्हें पीसकर गुलाल या रंग के रूप में होली में इस्तेमाल किया जा सकता है। खास बात यह है कि इससे शरीर पर किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और खुशबू के साथ यह होली का असली त्यौहार मनाने में भी सक्षम हो सकते हैं। इसके अलावा हल्दी पाउडर को गर्म पानी में डाल कर पीला रंग, चुकंदर के रस से गुलाबी रंग और पालक के जूस से हरा रंग बनाया जा सकता है। यह प्राकृतिक रंग शरीर पर किसी भी तरह की एलर्जी होने से रोकते हैं।


Conclusion:बाइट- डॉ अभिषेक निरंजन

रामांशी मिश्रा
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