बुलंदशहर : प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय में स्मार्ट क्लासेस की घोषणा काफी पहले की गई थी. पीपीपी मॉडल पर जिले के अफसरों ने कई परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास चलाने की बातें कही थी,कवायदें भी हुईं, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है. किए दावे सारे के सारे धरे नजर आ रहे हैं. प्राथमिक स्कूल में उपलब्ध कराए संसाधन सिर्फ धूल फांकते देखे जा रहे हैं.
स्मार्ट क्लास संचालित करने का दावा करने वाले विद्यालयों में प्रोजेक्टर तो है, लेकिन न ही तो कहीं उन क्लासरूम में उस तरह का माहौल दिखा और न ही कहीं ऐसा कुछ जिससे ये साबित हो पाए कि वहां स्मार्ट क्लास होती भी है. सिकन्द्राबाद तहसील के मंडावर गांव के प्राथमिक स्कूल को भी स्मार्ट क्लास का तोहफा दिया गया था, लेकिन सच्चाई उसके इतर है. कक्षा में कहीं कोई उस तरह का माहौल ही नहीं है.
स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी कहते हैं कि पहले प्रोजेक्ट के जरिये कुछ दिन शुरुआत में पढ़ाई हुई भी, लेकिन उसके बाद अचानक से कुछ ही दिन बाद ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाई होने लगी. जो कि अब तक भी हो रही है. नन्हें ननिहाल मासूमियत से जवाब देते दिखे तो कहीं न कहीं उन्हें ये भी लग रहा था कि कहीं उनके अध्यापक सच बोलने पर बुरा न मान जाएं.
बच्चों को स्मार्ट क्लास में पढ़ाया तो जाता है, लेकिन बिना प्रोजेक्टर और अन्य आवश्यक उपकरणों के यानी सामान्य तरीके से. इतना ही नहीं स्मार्ट क्लास के लिए जो मानक तय हैं, वह भी क्लास में क्या पूरे विद्यालय में कहीं नजर नहीं आता. कहने को तो स्मार्ट क्लास बच्चों में बौद्धिक विकास करती हैं, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है.
छात्रों की बेहतरी के लिए स्मार्ट क्लास की शुरुआत जिले में हुई थी जरूर,लेकिन जहां हुई भी वहां भी अनियमितताओं और लापरवाहिओं के चलते विधार्थियों को फायदा तो नहीं होता दिख रहा,हालांकि इस बारे में मंडावरा प्राथमिक स्कूल की जिम्मेदार प्रधानाध्यपिका ये जरूर कहती नजर आ रही हैं कि स्मार्ट क्लास के लिए भी उन संसाधनों से ज्यादा अध्यापक का पढ़ाने का तरीका और ढंग ही सब कुछ है , यानी प्रधानाध्यपिका स्मार्ट क्लास के बारे में सफाई जरूर देती नजर आईं ,उनका कहना है कि तकनीकी खराबी है,प्रोजेक्टर खराब है ,और जल्द इसे ठीक कर लिया जाएगा,साथ ही वो ये भी मानती हैं कि फिलहाल उनके यहाँ स्मार्ट क्लास लिखा पढ़ी में है तो सही ,लेकिन फिलहाल छात्रों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.