बुलंदशहर: परमवीर चक्र पदक विजेता योगेंद्र सिंह का आज 10 मई को 42वां जन्मदिन है. सन् 1980 में जिले के गांव औरंगाबाद अहीर में योगेंद्र यादव का जन्म हुआ था. इन्होंने कारगिल युद्ध में अविस्मरणीय पराक्रम दिखाया था. परमवीर चक्र पदक विजेता योगेंद्र सिंह का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से अमृत महोत्सव के रूप में प्रदेश के हर जिले में मनाया जा रहा है. इन्होंने कई गोलियां लगने के बावजूद भी दुश्मन के छक्के छुड़ाए थे. इतना ही नहीं युद्ध में अपने साथियों के जीवन की रक्षा भी की थी.
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कारगिल युद्ध में 15 गोलियां लगी थीं
योगेंद्र सिंह यादव 19 साल में परमवीर चक्र पाने वाले ऐसे फौजी है, जो कारगिल युद्ध में 15 गोलियां लगने के बाद भी लड़ते रहे थे. उस समय भारतीय सेना किसी भी कीमत पर सेक्टर द्रास की टाइगर हिल पर अपना कब्जा चाहती थी. 4 जुलाई सन् 1999 को 18 ग्रेनेडियर्स के एक प्लाटून को टाइगर हिल के तीन दुश्मन बंकरों पर कब्जा करने का दायित्व सौंपा गया था. यहां तक पहुंचने के लिए काफी ऊंची चढ़ाई करनी पड़ी थी. इन बंकरों तक पहुंचना आसान नहीं था. लेकिन प्लाटून का नेतृत्व कर रहे योगेंद्र यादव ने इसे संभव कर दिखाया. इस युद्ध के बाद योगेंद्र सिंह को 1999 में 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. योगेंद्र सिंह सबसे कम उम्र के सैनिक हैं, जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है. सूबेदार मेजर यादव की बहादुरी के चर्चे भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित है.
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