बुलंदशहर: अब प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे भी सौरमंडल का हाल जान सकेंगे. इसके लिए विद्यालयों में खगोलीय लैब बनाई गई है, जहां बच्चों को सौरमंडल के ग्रह नक्षत्रों के बारे में बताया जाएगा. सिकंदराबाद देहात ग्राम पंचायत के माजरा मुकुंदगढ़ी के प्राथमिक विद्यालय में खगोलीय लैब तैयार की गई है. ग्राम पंचायत के छह माजरों के प्राथमिक विद्यालय में लैब बनाया गया है, जहां बच्चों को सौरमंडल की जानकारी दी जाएगी.
दरअसल, विद्यालय की कक्षा 5वीं में पढ़ने वाली भावना अब यह समझ चुकी है कि टेलीस्कोप का महत्व क्या है और कैसे हम तारों के करीब जा सकते हैं. खैर, भावना ही नहीं, बल्कि हिमांशु, गौरव और सुमित भी जानते हैं कि सूरज की रोशनी से दिशाएं कैसे तय की जाती हैं. इसके अलावे भी यहां के छात्र पृथ्वी, सूरज और न जाने कितने ग्रहों के बारे में विशेष जानकारियां रखते हैं या यूं कहे कि इन बच्चों की तारों से अब दोस्ती हो गई है.
ग्रहों और तारों के बीच आपसी रिश्ते की टेलीस्कोप ही नहीं, यहां और भी बहुत सारे मॉडल मौजूद हैं, जो खगोलशास्त्र के रहस्य से पर्दा उठाते हैं और बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान समझने में मदद करते हैं. बच्चे यहां खगोल विज्ञान से होने वाली सारी जानकारियां प्राप्त करते हैं. मॉडल्स के जरिए इन बच्चों को समझाने के लिए टीचर्स भी हैं, ऐसी व्यवस्थाएं करते हैं, जो पहले महंगे स्कूलों में ही संभव हुआ करता था.
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लेकिन अब ये लैब गांव के स्कूल में है. वहीं, गांव में लैब बनने का सबसे बड़ा फायदा यहां के स्कूली बच्चों को मिला है, जो यहां अक्सर आते हैं. इस लैब से न केवल बच्चों का ज्ञान बढ़ रहा है, बल्कि उनकी शिक्षा का स्तर भी बढ़ा है. शिक्षा के व्यवसायीकरण चर्चाओं के बीच ऐसे प्रयोग सरकारी स्कूल के सुधार का एक मौका ही है. इसे और लगातार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. लैब के विस्तार की संभावनाओं के साथ संसाधनों को बढ़ाने की भी तैयारी हो रही है.
दरअसल, इस लैब की बुनियाद उन आईएएस अधिकारियों ने डाली है, जो रोजर्मरा की नौकरी से कुछ अलग करना चाहते हैं. सिर्फ स्कूल के स्तर पर नहीं, बल्कि खुद के स्तर पर इन अधिकारियों ने अलग लकीर खींची है. गांव की जमीन पर अंतरिक्ष की दुनिया ही अब इन अधिकारियों ने पहचान बन गई है. जिला अधिकारी बुलंदशहर रविंद्र कुमार और मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक पांडे उन आईएएस अधिकारियों की सूची में शामिल हैं, जो हमेशा हटकर काम करते हैं.
वे माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाले इकलौते आईएएस अधिकारी भी हैं. खैर, दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने ये काम एक बार नहीं, बल्कि दो बार किया है. पहली बार साल 2013 में और दूसरी बार 2019 में.
इधर, लैब के बनने में करीब ढाई लाख रुपए का खर्च आया था. ऐसे में अब इस लैब के तर्ज पर ही 5 और लैब खोलने की तैयारी है. वहीं, बताया गया कि प्रशासन की ओर से 150 ग्राम पंचायतों को लैब की सौगात दी जाएगी और इसमें बड़ी भूमिका अभिषेक पांडे की है, जो मुख्य विकास अधिकारी हैं. जिन पर गांव के विकास का जिम्मा है.
आईआईटी रुड़की से बीटेक कर सिविल सर्विसेज में दाखिल होने वाले अभिषेक खगोलशास्त्र से खासा लगाव रखते हैं. इस लैब की प्रेरणा वह महात्मा गांधी को बताते हैं. साथ ही इसरो की मदद से नई ऊंचाइयों पर ले जाने की वकालत करते हैं. अधिकारियों की यह मुहिम शिक्षा में नया प्रयोग है.