बुलंदशहर: देश की खातिर करगिल में अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीद ऋषिपाल सिंह डागर के परिजनों से 20 साल पहले सरकार ने जो वायदे किये थे, उनमें से कई वायदे आज तक भी पूरे नहीं हुए. शहीद के परिजनों का कहना है कि सरकार हमारी दशा पर ध्यान दे और जो सुविधाएं देने का वायदा किया गया था. उन वादों को पूरा किया जाए.
करगिल में शहीद हुए थे ऋषिपाल सिंह डागर
बुलंदशहर के गुलावठी ब्लॉक अंतर्गत कुरली गांव के रहने वाले ऋषिपाल सिंह डागर पुत्र करतार सिंह डागर करगिल वार के दौरान सात जुलाई 1999 को दुश्मन से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे. जब मिलिट्री की गाड़ी उनके पार्थिव शरीर को लेकर गांव पहुंची थी तो उस शहीद को अन्तिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था.
20 साल बाद भी नहीं पूरे हुए वादे
उस वक्त नायक ऋषिपाल सिंह के अबोध बच्चों को कुछ समझ तक नहीं थी कि उनके सिर से पिता का साया उठ चुका है. सरकार की तरफ से तब न सिर्फ सांत्वना के पुष्प अर्पित किए गए बल्कि कुछ घोषणाएं भी की गई थीं. जिनका जिक्र करते हुए शहीद की पत्नी मुकेश देवी का कहना है कि कुछ वादे अभी तक पूरे नहीं हुए. शहीद नायक ऋषिपाल सिंह डागर की पत्नी का कहना है कि उस वक्त उन्हें 20 बीघा जमीन का पट्टा दिए जाने की बातें हुई थी, लेकिन वो जमीन पूरी नहीं मिली. कुल 13 बीघा जमीन ही मिली है.
हर जगह गए, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ-
इस बारे में करगिल शहीद ऋषिपाल के बेटे गौरव डागर का कहना है कि उन्होंने प्रत्येक जगह इस बारे में सम्पर्क किया. अफसरों की चौखट से लेकर जहां-जहां से उन्हें तनिक भी उम्मीद थी हर जगह गए, लेकिन कुछ हासिल न हुआ. घर में एक बंदूक का लाइसेंस ऋषिपाल सिंह ने तब लिया था, लेकिन इसे लापरवाही ही कहेंगे कि आज तक भी उस बंदूक का लाइसेंस तक न तो शहीद की पत्नी के नाम पर हो पाया और न हीं उनके बेटों के नाम हुआ. एक गैस एजेंसी उन्हें जरूर मिली, लेकिन उसके लिए भी उन्हें काफी भागदौड़ करनी पड़ी. 20 साल हो चुके हैं, अब इस परिवार को उन वादों के पूरे होने की उम्मीद नहीं रही.
हमारी दशा पर ध्यान दे सरकार
शहीद ऋषिपाल की बेटी का कहना है कि वो चाहती हैं कि सरकार ऐसे परिवारों की दशा पर ध्यान दे और जो सुविधाएं देने का वादा किया गया था. उन वादों को पूरा किया जाए.