बुलंदशहर : जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत पोषाहार लाभार्थियों को गेहूं और चावल का आवंटन तो शुरू हो गया है लेकिन दूध और घी नहीं मिल रहा है. हालांकि अधिकारी जल्द ही दूध और घी के वितरण करने की संभावना जता रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों पर तीन माह पहले तक पंजीकृत लाभार्थियों जैसे गर्भवती, धात्री, किशोरी और बच्चों को मीठा और नमकीन दलिया दिया जाता था. अब शासन ने यह खाद्य सामग्री समाप्त कर दी है. इसके स्थान पर अब राशन, देसी घी और दूध के साथ गेहूं, चावल और दाल देने की व्यवस्था की गई है. इसके वितरण की जिम्मेदारी 828 महिला स्वयं सहायता समूह को दी गई है.
जिला कार्यक्रम अधिकारी हरिओम बाजपेई ने बताया कि जनपद के 3967 आंगनबाड़ी केंद्रों पर करीब ढाई लाख लाभार्थी पंजीकृत हैं. इनमें गर्भवती और धात्री महिलाएं, छह माह से तीन साल तक और तीन माह से छह साल तक के बच्चों के अलावा कुपोषित बच्चे और 11 से 14 वर्ष तक की स्कूल न जाने वाली किशोरी शामिल हैं. इन सभी को शासन के नए आदेश के तहत गेहूं, चावल, दाल, घी और दूध दिया जाना है. फिलहाल गेहूं और चावल का वितरण शुरू हो गया है लेकिन अभी दूध और घी का आवंटन नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि इसके लिए शासन स्तर से तैयारी चल रही है. दूध और घी के आवंटन के लिए एक कंपनी को भी निर्धारित किया गया है. वहीं प्रदेश के कुछ जिलों में इसका आवंटन शुरू हो गया है.
कुपोषित बच्चों में सुधार
बुलंदशहर मैं पिछले कुछ सालों से कुपोषण को स्थिति में धीरे-धीरे काफी सुधार आया है. यहां मौजूद आंगनबाड़ी केंद्र की संख्या 3966 में आंगनवाड़ी वर्कर की संख्या 3585 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 4485 है. सातो ब्लॉक और गांव के बच्चे कुपोषण की जद में कम आ रहे हैं और जो अति कुपोषित थे वह भी तेजी से स्वास्थ्य होते गए.
पोषाहार की व्यवस्था जटिल
प्रदेश में पोषाहार की व्यवस्थाओं के अनुसार अब आंगनबाड़ियों में मिलने वाले पौष्टिक आहार की जगह बच्चों को डेढ़ किलो गेहूं, 1 किलो चावल और 750 ग्राम दाल का एक पैकेट दिया जाता है. देसी घी 450 ग्राम, दूध पाउडर 400 ग्राम, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 2 किलो गेहूं, चावल 1 किलो 750 ग्राम दाल, दूध पाउडर 750 ग्राम, 450 ग्राम घी दिया जाता है. इसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पैकेट बनाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंपना होता है. फिलहाल लॉक डाउन के बाद से आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों का आना बंद है. तैयार भोजन के बदले बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सूखा राशन घर पर दे दिया जाता है. नवंबर के बाद से फ्री राशन नहीं आ रहा है.