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भाजपा संस्थापक सदस्य बोले - 'न सुलझे अयोध्या विवाद तो बौद्धों को दे दो विवादित स्थल'

अयोध्या मंदिर मामले में 18 जुलाई को मध्यस्थता समिति को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश करनी है. इससे पहले बीजेपी के संस्थापक सदस्य और पूर्व मंत्री संघप्रिय गौतम ने एक खुला पत्र लिखते हुए दिलचस्प जानकारी साझा की है.

भाजपा संस्थापक सदस्य संघप्रिय गौतम ने सुझाया अयोध्या विवाद का हल.
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Published : Jul 18, 2019, 7:35 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक की जिम्मेदारी निभा चुके संघप्रिय गौतम ने अयोध्या विवाद को लेकर खुला पत्र लिखा है. अटल बिहारी वाजपेयी और बाबा साहेब आंबेडकर के सहयोगी रहे संघप्रिय ने अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए कई सुझाव भी दिए हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि अयोध्या की विवादित भूमि न हिंदुओं की है, और न मुसलमानों की बल्कि वह भूमि बौद्ध धर्म की है. अगर इस जमीन विवाद का कोई हल न निकल पाए तो इस जमीन को बौद्ध धर्म के लोगों को लौटा दिया जाए.

भाजपा संस्थापक सदस्य संघप्रिय गौतम ने सुझाया अयोध्या विवाद का हल.

क्या बोले संघप्रिय गौतम
संघप्रिय गौतम ने अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए कई रास्ते सुझाये. उन्होंने कहा कि 30 सितंबर 2010 को हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ के एक न्यायाधीश ने अपने निष्कर्ष में कहा था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, ऐसे सबूत फाइल में नहीं हैं. वहीं दूसरे न्यायमूर्ति ने कहा था कि अयोध्या में मंदिर नहीं तोड़ा गया और समतल भूमि पर मस्जिद बनाई गई है, जबकि न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा था कि मस्जिद में जो 40 खंभे मिले थे वह बनारस के बौद्ध स्मारक के खंभों से मिलते-जुलते हैं. इससे प्रतीत होता है कि मस्जिद के नीचे बौद्ध स्मारक रहे होंगे. इससे जाहिर होता है कि विवादित भूमि बौद्धों की है. अगर यह जमीन हिंदू और मुसलमानों के पक्ष में नहीं जाती तो बौद्धों को मिलनी चाहिए. विवादित भूमि को लेकर मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट से कोई हल निकलता नजर न आए तो उस जमीन को बौद्ध धर्म के लोगों को लौटा दिया जाए. इसके अलावा इस जमीन पर राष्ट्रीय महत्व का एक विशाल स्मारक भी बनाया जा सकता है.

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भाजपा संस्थापक सदस्य संघप्रिय गौतम ने सुझाया अयोध्या विवाद का हल.

मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट से विवाद हल होने की उम्मीद
संघप्रिय गौतम ने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय से यह अपील भी करना चाहते हैं कि हिंदुओं की भावनाओं को समझते हुए उस जमीन को हिंदूओं के सुपुर्द कर दें. साथ ही उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को आने वाली रिपोर्ट से उन्हें काफी उम्मीदें हैं. उम्मीद है कि इससे कोई बेहतर हल निकलने वाला है. इस दौरान संघप्रिय गौतम ने साफ तौर पर कहा कि वह हर हाल में इस विवाद का निपटारा चाहते हैं. साथ ही उन्होंने अपने दुख का इजहार करते हुए कहा कि काफी लंबा समय हो चुका है लेकिन कोई समाधान नहीं हो पा रहा है. इससे न सिर्फ देश की जनता में असंतोष है बल्कि लोगों की भावनाएं भी लगातार आहत होती चली आ रही हैं.

बुलंदशहर: भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक की जिम्मेदारी निभा चुके संघप्रिय गौतम ने अयोध्या विवाद को लेकर खुला पत्र लिखा है. अटल बिहारी वाजपेयी और बाबा साहेब आंबेडकर के सहयोगी रहे संघप्रिय ने अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए कई सुझाव भी दिए हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि अयोध्या की विवादित भूमि न हिंदुओं की है, और न मुसलमानों की बल्कि वह भूमि बौद्ध धर्म की है. अगर इस जमीन विवाद का कोई हल न निकल पाए तो इस जमीन को बौद्ध धर्म के लोगों को लौटा दिया जाए.

भाजपा संस्थापक सदस्य संघप्रिय गौतम ने सुझाया अयोध्या विवाद का हल.

क्या बोले संघप्रिय गौतम
संघप्रिय गौतम ने अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए कई रास्ते सुझाये. उन्होंने कहा कि 30 सितंबर 2010 को हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ के एक न्यायाधीश ने अपने निष्कर्ष में कहा था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, ऐसे सबूत फाइल में नहीं हैं. वहीं दूसरे न्यायमूर्ति ने कहा था कि अयोध्या में मंदिर नहीं तोड़ा गया और समतल भूमि पर मस्जिद बनाई गई है, जबकि न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा था कि मस्जिद में जो 40 खंभे मिले थे वह बनारस के बौद्ध स्मारक के खंभों से मिलते-जुलते हैं. इससे प्रतीत होता है कि मस्जिद के नीचे बौद्ध स्मारक रहे होंगे. इससे जाहिर होता है कि विवादित भूमि बौद्धों की है. अगर यह जमीन हिंदू और मुसलमानों के पक्ष में नहीं जाती तो बौद्धों को मिलनी चाहिए. विवादित भूमि को लेकर मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट से कोई हल निकलता नजर न आए तो उस जमीन को बौद्ध धर्म के लोगों को लौटा दिया जाए. इसके अलावा इस जमीन पर राष्ट्रीय महत्व का एक विशाल स्मारक भी बनाया जा सकता है.

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भाजपा संस्थापक सदस्य संघप्रिय गौतम ने सुझाया अयोध्या विवाद का हल.

मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट से विवाद हल होने की उम्मीद
संघप्रिय गौतम ने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय से यह अपील भी करना चाहते हैं कि हिंदुओं की भावनाओं को समझते हुए उस जमीन को हिंदूओं के सुपुर्द कर दें. साथ ही उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को आने वाली रिपोर्ट से उन्हें काफी उम्मीदें हैं. उम्मीद है कि इससे कोई बेहतर हल निकलने वाला है. इस दौरान संघप्रिय गौतम ने साफ तौर पर कहा कि वह हर हाल में इस विवाद का निपटारा चाहते हैं. साथ ही उन्होंने अपने दुख का इजहार करते हुए कहा कि काफी लंबा समय हो चुका है लेकिन कोई समाधान नहीं हो पा रहा है. इससे न सिर्फ देश की जनता में असंतोष है बल्कि लोगों की भावनाएं भी लगातार आहत होती चली आ रही हैं.

Intro:भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक की जिम्मेदारी निभा चुके पूर्ण मंत्री संघ फ्री है गौतम ने आज एक खुला पत्र लिखकर कहा है कि अयोध्या में जो विवादित भूमि है वह ना हिंदुओं की है, और ना मुसलमानों की बल्कि वह भूमि बौद्ध धर्म की है और अगर वहां कोई हल ना निकल पाए तो इस जमीन को बौद्ध धर्म के लोगों को लौटा दिया जाए, साथ ही उन्होंने अपनी मंशा भी जाहिर की , उनका कहना है कि वह चाहते हैं कि वहां राष्ट्रीय स्मारक बने तो वहीं उन्होंने मुस्लिमों से भी अपील की कि वह चाहते हैं कि हिंदुओ की भावनाओं को देखते हुए मुस्लिम समुदाय मन्दिर बनाने में सहयोग करें।इस मौके पर ईटीवी भारत ने वयोवृद्ध नेता ने संघप्रिय गौतम से इस बारे में तमाम मुद्दों पर चर्चा की पेश हैं मुख्य अंश।


Body:अयोध्या मन्दिर मामले में कल यानी 18 जुलाई को मध्यस्थता समिति को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में देनी है ,उससे पहले संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के सहयोगी के तौर पर कार्य कर चुके ,बीजेपी के संस्थापक सदस्य व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक कि जिम्मेदारी तक निभा चुके पुर्व मंत्री सँघप्रिय गौतम ने आज एक खुला पत्र लिखते हुए कुछ दस्तावेज संलग्न करते हुए कहा कि अयोध्या के विवाद का अब अंत होना चाहिए ,इस मौके पर उन्होंने कई रास्ते भी सुझाये , अपने वक्तव्य में संघप्रिय गौतम ने कहा कि अयोध्या विवादित भूमि ना हिंदुओं की और ना मुसलमानों की है बल्कि वह बौद्धों की है ,आज उन्होंने अपने आवास पर ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि 30 सितंबर 2010 को हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ के एक न्यायाधीश ने अपने निष्कर्ष में कहा था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, ऐसे सबूत फाइल में नहीं है, तो वहीं दूसरे न्यायमूर्ति ने कहा था कि अयोध्या में मंदिर नहीं तोड़ा गया और समतल भूमि पर मस्जिद बनाई गई है , जबकि न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने अपने फैंसले में उस वक्त कहा था कि मस्जिद में जो मैटीरियल लगा है उसमें जो मस्जिद में 40 खंभे मिले थे वह बनारस के बौद्ध स्मारक के खंभों से मिलते जुलते हैं, जिससे प्रतीत होता है कि मस्जिद के नीचे आसपास बौद्ध स्मारक रहे होंगे इससे प्रतीत होता है कि विवादित भूमि बौध्दों की है इसलिए विवादित हिंदू और मुसलमान के पक्ष में नहीं जाती तो बौद्धों को मिलनी चाहिए ,हम आपको बता दें कि अटल बिहारी सरकार में सँगप्रिय गौतम मंत्री भी रह चुके हैं,साथ ही गौतम ने एक पत्र भी लिखा और उस पत्र में उन्होंने स्पष्ट लिखा कि वह चाहते हैं कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बने और अगर मंदिर मस्जिद विवादित भूमि को लेकर समझौता समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में 18 जुलाई को जो रिपोर्ट होनी है अगर उससे कोई हल निकलता नजर ना आए तो उस जमीन को बौद्ध धर्म के लोगों को लौटा दिया जाए और इस जमीन पर वहां पर एक विशाल स्मारक राष्ट्रीय महत्व का बनाया जाए, इस मौके पर संघप्रिय गौतम ने कहा कि हमारे देश भारत के हिंदू बहुसंख्यक देश होने के नाते वह मुस्लिम समुदाय से यह अपील भी करना चाहते हैं कि हिंदुओं की भावनाओं को समझते हुए वहां मंदिर के निर्माण में वह सहयोग करें साथ ही उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को जो रिपोर्ट आने वाली है ,उसे लेकर उन्हें काफी उम्मीदें हैं और उन्हें लगता है कि उससे कोई बेहतर हल निकलने वाला है, इस दौरान संघप्रिय गौतम ने साफ तौर पर यह भी कहा कि वह वहां हर हाल में इस विवाद का निपटारा चाहते हैं। साथ ही उन्होंने अपने दुख का इजहार करते हुए कहा कि काफी लंबा समय हो चुका है लेकिन कोई समाधान नहीं हो पा रहा है जिससे न सिर्फ देश की जनता में असंतोष है बल्कि लोगों की भावनाएं भी लगातार आहत होती चली आ रही हैं।
one to one with संघप्रिय गौतम,पूर्व केंद्रीय मंत्री व संस्थापक सदस्य बीजेपी ।


Conclusion:श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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