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बुलंदशहर: स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोल रहे शौचालय में बने गोदाम - बुलंदशहर ताजा खबर

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार ने ढाई लाख शौचालयों का निर्माण कराया है. बावजूद इसके व्यवस्था सुधरती नहीं दिख रही है. वहीं शौचालयों का इस्तेमाल अन्य कई कार्यो के लिये किया जा रहा है.

स्वच्छ भारत मिशन की जमीनी हकीकत.
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Published : Aug 5, 2019, 1:01 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: जिले में अकेले अब तक ढाई लाख शौचालय का निर्माण सरकार की तरफ से कराया गया है. 2012 में एक सर्वेक्षण सरकार के द्वारा कराया गया था, जिसमें ये जानकारी हासिल की गई थी कि बिना शौचालयों के कितने परिवार हैं. जिले में सरकार की स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जहां पहले चरण में कुल एक लाख 40 हजार शौचालय के निर्माण हुआ था. वहीं दूसरे चरण में भी बाकी के चिन्हित किये गए करीब 9 हजार परिवारों में शौचालयों का निर्माण कराया गया, लेकिन उसके बाद भी लोग हैं कि सुधरने को तैयार नहीं हैं.

स्वच्छ भारत मिशन की बदहाल स्थिति.
  • हैरानी की बात ये है कि जिन पात्रों को शौचालय मिल गए, वे इनका पूरी तरह से उपयोग अपने घर में नहीं करना चाहते हैं.
  • कुछ लोगों ने शौचालयों को मिनी गोदाम के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
  • जिस मंशा को लेकर आमजन के लिए शौचालय निर्माण कराए गए, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है.

करीब ढाई लाख शौचालयों का निर्माण जनपद में कराया गया है,और सबसे बड़ी समस्या है लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना. क्योंकि व्यवहार परिवर्तन कराना शौचालय निर्माण के मुकाबले में ज्यादा कठिन है और जो लोग अपनी आदत में शौचालय को नहीं ला पा रहे हैं, अभियान चलाकर ऐसे लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. वॉल पेंटिंग, नुक्कड़ नाटक और वालेंटियर्स के जरिए लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास और कवायदें बार-बार की जा रही हैं लेकिन उसके बावजूद भी यह सच्चाई है कि कुछ लोग अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं करना चाहते, हालांकि तमाम कवायद जारी हैं.
-अमरजीत सिंह, जिला पंचायत राज अधिकारी, बुलंदशहर

बुलंदशहर: जिले में अकेले अब तक ढाई लाख शौचालय का निर्माण सरकार की तरफ से कराया गया है. 2012 में एक सर्वेक्षण सरकार के द्वारा कराया गया था, जिसमें ये जानकारी हासिल की गई थी कि बिना शौचालयों के कितने परिवार हैं. जिले में सरकार की स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जहां पहले चरण में कुल एक लाख 40 हजार शौचालय के निर्माण हुआ था. वहीं दूसरे चरण में भी बाकी के चिन्हित किये गए करीब 9 हजार परिवारों में शौचालयों का निर्माण कराया गया, लेकिन उसके बाद भी लोग हैं कि सुधरने को तैयार नहीं हैं.

स्वच्छ भारत मिशन की बदहाल स्थिति.
  • हैरानी की बात ये है कि जिन पात्रों को शौचालय मिल गए, वे इनका पूरी तरह से उपयोग अपने घर में नहीं करना चाहते हैं.
  • कुछ लोगों ने शौचालयों को मिनी गोदाम के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
  • जिस मंशा को लेकर आमजन के लिए शौचालय निर्माण कराए गए, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है.

करीब ढाई लाख शौचालयों का निर्माण जनपद में कराया गया है,और सबसे बड़ी समस्या है लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना. क्योंकि व्यवहार परिवर्तन कराना शौचालय निर्माण के मुकाबले में ज्यादा कठिन है और जो लोग अपनी आदत में शौचालय को नहीं ला पा रहे हैं, अभियान चलाकर ऐसे लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. वॉल पेंटिंग, नुक्कड़ नाटक और वालेंटियर्स के जरिए लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास और कवायदें बार-बार की जा रही हैं लेकिन उसके बावजूद भी यह सच्चाई है कि कुछ लोग अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं करना चाहते, हालांकि तमाम कवायद जारी हैं.
-अमरजीत सिंह, जिला पंचायत राज अधिकारी, बुलंदशहर

Intro:स्वच्छ भारत मिशन के तहत भले ही सरकार की मंशा हो कि हर घर में शौचालय बने, लेकिन बावजूद तमाम प्रशासनिक कवायदों के भी लोग हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं ,उन शौचालयों का लोग किसी और काम में इस्तेमाल कर रहे हैं ,देखिए बुलंदशहर से ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव खबर ।


Body:लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार राष्ट्र को संबोधित किया था ,तो उन्होंने साफ तौर पर स्वच्छ भारत मिशन पर जोर दिया था,लेकिन उसके बावजूद देश की जनता है कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है, बुलंदशहर की अगर बात की जाए तो बुलंदशहर जिले में अकेले अब तक ढाई लाख शौचालय का निर्माण सरकार की तरफ से कराया गया है, 2012 में एक सर्वेक्षण सरकार के द्वारा कराया गया था,जिसमे ये जानकारी हांसिल की गई थी की बिना शौचालयों के कितने परिवार हैं,बुलन्दशहर में सरकार की स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जहां पहले चरण में कुल एक लाख 40 हजार शौचालय का निर्माण यहां की सरकारी मशीनरी ने कराया वहीं दूसरे चरण में भी बाकी के चिन्हित किये गए करीब 9 हजार परिवारों में शौचालयों का निर्माण कराया गया,लेकिन उसके बाद भी लोग है कि सुधरने को तैयार नहीं हैं।
लेकिन हैरत की बात तो यह है कि जिन पात्रों को शौचालय मिल गए वो उनका शतप्रतिशत उपयोग अपने घर में नहीं करना चाहते ,
यही वजह है कि कुछ लोग उन शौचालयों को जैसे मिनी गोदाम के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिए हैं ,आलम ये है कि जिस मंशा को लेकर आमजन के लिए शौचालय निर्माण किया गया उसे पलीता दिखाने में भी लोग पीछे नहीं हैं,
हालांकि जिले के जिम्मेदार जिला पंचायतीराज अधिकारी अमरजीत सिंह का कहना है कि करीब ढाई लाख शौचालयों का निर्माण बुलंदशहर जनपद में कराया गया है ,और सबसे बड़ी समस्या है लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना अमरजीत सिंह मानते हैं कि क्योंकि व्यवहार परिवर्तन कराना शौचालय निर्माण के मुकाबले में ज्यादा कठिन है ,और जो लोग अपनी आदत में शौचालय को नहीं ला पा रहे अभियान चलाकर ऐसे लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है ,वॉल पेंटिंग, नुक्कड़ नाटक और वालेंटियर्स के जरिए लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास और कवायदें बार-बार की जा रही हैं, लेकिन उसके बावजूद भी यह सच्चाई है कि कुछ लोग अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं करना चाहते हालांकि तमाम कवायद जारी हैं।
बाइट तो बाइट...रमादेवी,बुजुर्ग ग्रामीण महिला,
बाइट तो बाइट....एक बालिका,
बाइट....अमरजीत सिंह,जिलापंचायती राज अधिकारी,बुलन्दशहर ।
पीटीसी.....श्रीपाल तेवतिया बुलन्दशहर ।


Conclusion:9213400888,
श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर ।
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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