बुलंदशहर: पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है और ऐसे में श्रमिक शहर से अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं. ऐसे में श्रमिकों को मनरेगा में रोजगार देने में देशभर में टॉप 12 जिलों में बुलंदशहर भी शामिल है. जिले में कोरोना संकटकाल के दौरान सवा लाख मनरेगा श्रमिकों को रोजगार मिला है. श्रमिकों को काम देने वालों की सूची में बुलंदशहर जिले ने देश में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. यही वजह है कि देश के टॉप 12 जिलों में बुलंदशहर भी शामिल है.
जिला प्रशासन ने खाली हाथों को दिया भरपूर काम
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान करीब 40 हजार मजदूर जिले में आए थे. अफसरों की मानें तो उस दौरान उनके सामने रोजगार का कोई साधन नहीं था. ऐसे में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से काफी मजदूरों को जोड़ा गया और लोगों को काम दिया गया. शासन से 850 करोड़ रुपये इस वित्तीय वर्ष में शुरू होते ही विभाग को मिल गया था.
कोरोना काल में बढ़े मनरेगा मजदूर
लॉकडाउन से पहले मनरेगा में एक लाख 40 हजार श्रमिक पंजीकृत थे, जिनमें से 32 हजार श्रमिक सिर्फ एक्टिव थे. वहीं अब इन पंजीकृत श्रमिकों की संख्या औऱ भी बढ़ गई है. वर्तमान में श्रमिकों की संख्या जिले में सवा लाख हो गई है. आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 49844 मजदूर वर्तमान में जिले में सक्रिय हैं.
साढ़े आठ करोड़ रुपये का बजट
परियोजना निदेशक सर्वेश चन्द्र ने ईटीवी भारत को बताया कि 850 करोड़ का रुपये बजट इस वित्तीय वर्ष के लिए ग्रामीण विकास विभाग को आवंटित हुआ था, जो कि मजदूरों को रोजगार देने में खर्च किया जा चुका है. लक्ष्य पूरा करने से पहले ही प्रदेश में बुलंदशहर समेत तीन जिलों ने अपना बजट खत्म कर दिया है. ऐसे में अब अतिरिक्त बजट की डिमांड की जा रही है. ग्रामीण विकास विभाग को 2.55 लाख मानव दिवस करने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन लॉकडाउन में जब श्रमिक बाहर से आए तो मानव दिवस का आंकड़ा भी बढ़ गया. मनरेगा मजदूरों की संख्या भी बढ़ गया. मानव दिवस का आंकड़ा 3.99 लाख हो गई. यानी लगभग 49844 सक्रिय श्रमिक प्रतिदिन मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं.
सरकार की मंशा के मुताबिक कार्य
मनरेगा को लेकर जिला ग्राम्य विकास के परियोजना निदेशक सर्वेश चंद्रा ने बताया कि यूपी सीएम की तरफ से स्पष्ट दिशा-निर्देश थे कि प्रवासी श्रमिकों को विशेष तौर से रोजगार उपलब्ध कराए जाएं. जिले में डीएम रविन्द्र कुमार व युवा मुख्यविकास अधिकारी अभिषेक पांडेय के मार्गदर्शन में इस दिशा में बेहतर कदम उठाए गए. अब तक करीब चार लाख मानव दिवस दिलाकर विभाग ने यह रैंकिंग हासिल की है.