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अब हाइब्रिड घास खाएंगे बुलंदशहर के पशु, प्रशासन उगाएगा 'नेपियर हाइब्रिड ग्रास' - napier hybrid grass

बुलंदशहर जिला प्रशासन ने गो आश्रय स्थलों में रहने वाले बेसहारा गोवंशों के लिए नेपियर हाइब्रिड ग्रास उगाने की तैयारी की है. इससे पशुओं को पौष्टिक आहार मिलेगा और भूसे की खपत भी कम होगी. जल्द ही नेपियर हाइब्रिड ग्रास की जड़ें भारतीय ग्रास अनुसंधान संस्थान झांसी से मंगाई जाएगी.

नेपियर हाइब्रिड ग्रास उगाने की तैयारी कर रहा बुलंदशहर जिला प्रशासन.
नेपियर हाइब्रिड ग्रास उगाने की तैयारी कर रहा बुलंदशहर जिला प्रशासन.
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Published : Jun 12, 2020, 11:28 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: कोरोना संकट काल में प्रशासन ने बेसहारा गोवंशों के लिए एक प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत गोवंशों को हरा चारा उपलब्ध कराया जाएगा. मेरठ मंडल में सर्वाधिक बेसहारा गोवंश जिले में ही संरक्षित हैं. यहां सबसे अधिक पशुओं के लिए आश्रय स्थल भी हैं. जिले में कुल 154 गोशालाओं में वर्तमान में 10,300 से अधिक गोवंश हैं, जिनके लिए प्रतिदिन शासन स्तर से प्रति गोवंश 30 रुपये की धनराशि गोवंश डाइट के तौर पर उपलब्ध कराई जाती है, जो निश्चित तौर पर कम पड़ रही है.

हाइब्रिड घास की जानकारी देते मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक पांडेय.

ऐसे में अब जिला प्रशासन ने यहां एक प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत भारतीय ग्रास अनुसंधान संस्थान झांसी में वैज्ञानिकों से चर्चा करके न्यूजीलैंड प्रजाति की 'नेपियर हाइब्रिड ग्रास' को उगाने की तैयारी है. इस बारे में मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जिले के ग्राम समाज की चरागाह भूमि पर मनरेगा के तहत कार्य कराते हुए घास उगाने के लिए प्रशासन ने एक प्लान तैयार किया है. उन्होंने बताया कि इससे गोशालाओं में रह रहे गोवंशों के लिए हरे चारे की व्यवस्था हो सकेगी.

जल्द गोशालाओं को उपलब्ध कराया जाएगा चारा
मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक पांडेय ने बताया कि 'नेपियर हाइब्रिड ग्रास' मूलतः न्यूजीलैंड की एक प्रजाति है. इसके लिए प्रदेश के झांसी रिसर्च सेंटर से इस हाइब्रिड ग्रास की जड़ें मंगाने के लिए वैज्ञानिकों से भी बात हो चुकी है. इसे झांसी से मंगाने के लिए प्लान तैयार करके जल्द ही गोशालाओं में रह रहे गोवंशों को पर्याप्त चारा उपलब्ध कराने के लिए इसे उगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि चरागाह की जमीनों में 60 फीसदी जमीन को चिन्हित कर लिया गया है. मनरेगा मजदूरों के सहयोग से नेपियर ग्रास को उगाया जाएगा.

पौष्टिक चारा है 'नेपियर हाइब्रिड ग्रास'
वहीं इस बारे में जिले के मुख्य चीफ वेटनरी ऑफिसर लक्ष्मी नारायण ने बताया कि नेपियर हाइब्रिड ग्रास अपने आप में एक कंप्लीट सप्लीमेंट की तरह है. पहली बार इसे लगाने के बाद दो से तीन महीने में इसकी कटिंग शुरू हो जाती है. ये काफी पौष्टिक चारा है. इसके इस्तेमाल से पशु स्वस्थ भी रहेंगे और भूसे की खपत भी कम होगी.

पर्याप्त चारा न मिलने से कई पशुओं ने तोड़ा दम
ईटीवी भारत ने जब गोशालाओं का दौरा किया तो पाया कि वहां रह रहे गोवंशों को मात्र भूसा ही चारा के रूप में दिया जा रहा है. हरे घास न मिलने से गोवंशों में दुर्बलता, कई बीमारियां पनपने की संभावना बनी हुई है. भूसे से गोवंशों को पर्याप्त न्यूट्रिशंस भी नहीं मिल पाता है. कई बार तो यह भी देखा गया है कि पर्याप्त डाइट न मिलने से गोवंशों की मौत भी हुई है.

सूखे भूसे से नहीं भरता पशुओं का पेट
गौशाला में बतौर केयरटेकर कार्यरत संजय ने बताया कि सूखा भूसा खाने से न तो पशु का पेट ही ठीक से भर पाता है और न ही वह उसकी पर्याप्त डाइट ही है. उन्होंने बताया कि हरा चारा अगर पशु को मिलता है तो वो आराम से पेट भर लेता है.

बुलंदशहर: कोरोना संकट काल में प्रशासन ने बेसहारा गोवंशों के लिए एक प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत गोवंशों को हरा चारा उपलब्ध कराया जाएगा. मेरठ मंडल में सर्वाधिक बेसहारा गोवंश जिले में ही संरक्षित हैं. यहां सबसे अधिक पशुओं के लिए आश्रय स्थल भी हैं. जिले में कुल 154 गोशालाओं में वर्तमान में 10,300 से अधिक गोवंश हैं, जिनके लिए प्रतिदिन शासन स्तर से प्रति गोवंश 30 रुपये की धनराशि गोवंश डाइट के तौर पर उपलब्ध कराई जाती है, जो निश्चित तौर पर कम पड़ रही है.

हाइब्रिड घास की जानकारी देते मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक पांडेय.

ऐसे में अब जिला प्रशासन ने यहां एक प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत भारतीय ग्रास अनुसंधान संस्थान झांसी में वैज्ञानिकों से चर्चा करके न्यूजीलैंड प्रजाति की 'नेपियर हाइब्रिड ग्रास' को उगाने की तैयारी है. इस बारे में मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जिले के ग्राम समाज की चरागाह भूमि पर मनरेगा के तहत कार्य कराते हुए घास उगाने के लिए प्रशासन ने एक प्लान तैयार किया है. उन्होंने बताया कि इससे गोशालाओं में रह रहे गोवंशों के लिए हरे चारे की व्यवस्था हो सकेगी.

जल्द गोशालाओं को उपलब्ध कराया जाएगा चारा
मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक पांडेय ने बताया कि 'नेपियर हाइब्रिड ग्रास' मूलतः न्यूजीलैंड की एक प्रजाति है. इसके लिए प्रदेश के झांसी रिसर्च सेंटर से इस हाइब्रिड ग्रास की जड़ें मंगाने के लिए वैज्ञानिकों से भी बात हो चुकी है. इसे झांसी से मंगाने के लिए प्लान तैयार करके जल्द ही गोशालाओं में रह रहे गोवंशों को पर्याप्त चारा उपलब्ध कराने के लिए इसे उगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि चरागाह की जमीनों में 60 फीसदी जमीन को चिन्हित कर लिया गया है. मनरेगा मजदूरों के सहयोग से नेपियर ग्रास को उगाया जाएगा.

पौष्टिक चारा है 'नेपियर हाइब्रिड ग्रास'
वहीं इस बारे में जिले के मुख्य चीफ वेटनरी ऑफिसर लक्ष्मी नारायण ने बताया कि नेपियर हाइब्रिड ग्रास अपने आप में एक कंप्लीट सप्लीमेंट की तरह है. पहली बार इसे लगाने के बाद दो से तीन महीने में इसकी कटिंग शुरू हो जाती है. ये काफी पौष्टिक चारा है. इसके इस्तेमाल से पशु स्वस्थ भी रहेंगे और भूसे की खपत भी कम होगी.

पर्याप्त चारा न मिलने से कई पशुओं ने तोड़ा दम
ईटीवी भारत ने जब गोशालाओं का दौरा किया तो पाया कि वहां रह रहे गोवंशों को मात्र भूसा ही चारा के रूप में दिया जा रहा है. हरे घास न मिलने से गोवंशों में दुर्बलता, कई बीमारियां पनपने की संभावना बनी हुई है. भूसे से गोवंशों को पर्याप्त न्यूट्रिशंस भी नहीं मिल पाता है. कई बार तो यह भी देखा गया है कि पर्याप्त डाइट न मिलने से गोवंशों की मौत भी हुई है.

सूखे भूसे से नहीं भरता पशुओं का पेट
गौशाला में बतौर केयरटेकर कार्यरत संजय ने बताया कि सूखा भूसा खाने से न तो पशु का पेट ही ठीक से भर पाता है और न ही वह उसकी पर्याप्त डाइट ही है. उन्होंने बताया कि हरा चारा अगर पशु को मिलता है तो वो आराम से पेट भर लेता है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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