बुलंदशहर: दिल्ली एनसीआर समेत जिले की आबोहवा भी पूरी तरह दूषित हो चुकी है. एनजीटी की तरफ से बढ़ते प्रदूषण पर नकेल कसने के लिए जिले में पांच तरह के उपकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि अनुसंधान केंद्र में भेजे गए हैं. यह उपकरण किसानों को मुहैया कराए जा रहे हैं और उन्हें पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है.
पराली जलाने से हवा हो रही दूषित
पिछले कई सालों से लगातार देखा जा रहा है कि दीपावली के आसपास मौसम में जब सर्दी के चलते बदलाव होना शुरू होता है तो सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पटाखों के बारूदी धुएं से लोगों को तकलीफ होती है. यह वह समय होता है, जब खेतों में किसान धान की फसल काटने के बाद पराली भी जलाते देखे जा सकते हैं. इसके बाद मौसम में परिवर्तन होता है और हवा भी दूषित हो जाती है.
एनजीटी कर रहा मॉनिटरिंग
देश की राजधानी समेत एनसीआर क्षेत्र और बुलंदशहर में भी हवाओं के दूषित होने से इसका असर पेड़-पौधों से लेकर जीव-जंतुओं तक भी पड़ रहा है. वहीं समय-समय पर एनजीटी की तरफ से हो रही मॉनिटरिंग के बाद जुर्माना भी लगाया जाता है.
प्रशासन ने मशीनों का किया इंतजाम
हाल ही में एनजीटी की तरफ से बुलंदशहर में भी सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि अनुसंधान केंद्र को पांच ऐसे कृषि यंत्र उपलब्ध कराए गए हैं जो न सिर्फ किसानों के लिए फायदेमंद हैं बल्कि इसके जरिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वह इन मशीनों का इस्तेमाल करें. इस तरह उन्हें पराली भी नहीं जलानी पड़ेगी और उनके खेत की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी.
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सभी यंत्र किसानों के लिए उपलब्ध हैं और लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह खेतों में पराली या फिर गन्ने की पत्ती को आग न लगाएं. यह मशीनें खासी महत्वपूर्ण हैं और इनके उपयोग के बाद न सिर्फ खेत की जुताई शानदार तरीके से हो जाती हैं बल्कि जो पराली न जलाने से वातावरण भी शुद्ध रहेगा.
-शिव सिंह, इंचार्ज, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि अनुसंधान केंद्र