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बिजनौर: हानिकारक तरंगों से रक्षा करेंगी ये इको फ्रेंडली राखियां

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में मार्केट में ईको फ्रेंडली राखियों की बिक्री काफी तेजी से हो रही है. ये राखियां गाय के गोबर से तैयार की जाती हैं और इनकी मांग देशभर में हैं.

इको फ्रेंडली राखी.
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Published : Aug 13, 2019, 5:29 PM IST

बिजनौर: राखी के त्योहार के चलते पूरे बाजारों में तरह-तरह की राखियां देखने को मिल रही हैं. जहां एक तरफ बाजारों में चमचमाती राखियों का काफी चलन हैं. वहीं दूसरी तरफ जिले में ऐसी अनोखी राखियां भी देखने को मिल रही हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

गाय के गोबर से तैयार की जाती हैं ये राखियां.

मार्केट में ईको फ्रेंडली राखियों की मांग-

  • मार्केट में बढ़ी ईको फ्रेंडली राखियों की मांग.
  • गाय के गोबर से तैयार की जाती हैं ये राखियां.
  • ये राखियां न सिर्फ जिले में बल्कि देशभर में अपनी पहचान बना चुकी हैं.
  • गाय के गोबर से बनी ये राखियां कई हानिकारक तरंगों से बचाएंगी.
  • रक्षाबंधन के बाद इन राखियों को उर्वरक की तरह भी इस्तेमाल कर गमले में डाल सकते हैं.

गोबर से बनी राखियों को लेकर कुंभ गई थी, जहां पर आनंद श्री विभूषित महामंडलेश्वर मां, श्री योग योगेश्वरी यति, श्री पंचदशी जाम जूना अखाड़ा ने खूब प्रशंसा की और सुझाव दिया कि ये राखियां मार्केट में भी बेची जानी चाहिए. तभी से मैंने गाय के गोबर से बनी इन राखियों को बाजार में उतारा.
-अलका, गो सेविका

बिजनौर: राखी के त्योहार के चलते पूरे बाजारों में तरह-तरह की राखियां देखने को मिल रही हैं. जहां एक तरफ बाजारों में चमचमाती राखियों का काफी चलन हैं. वहीं दूसरी तरफ जिले में ऐसी अनोखी राखियां भी देखने को मिल रही हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

गाय के गोबर से तैयार की जाती हैं ये राखियां.

मार्केट में ईको फ्रेंडली राखियों की मांग-

  • मार्केट में बढ़ी ईको फ्रेंडली राखियों की मांग.
  • गाय के गोबर से तैयार की जाती हैं ये राखियां.
  • ये राखियां न सिर्फ जिले में बल्कि देशभर में अपनी पहचान बना चुकी हैं.
  • गाय के गोबर से बनी ये राखियां कई हानिकारक तरंगों से बचाएंगी.
  • रक्षाबंधन के बाद इन राखियों को उर्वरक की तरह भी इस्तेमाल कर गमले में डाल सकते हैं.

गोबर से बनी राखियों को लेकर कुंभ गई थी, जहां पर आनंद श्री विभूषित महामंडलेश्वर मां, श्री योग योगेश्वरी यति, श्री पंचदशी जाम जूना अखाड़ा ने खूब प्रशंसा की और सुझाव दिया कि ये राखियां मार्केट में भी बेची जानी चाहिए. तभी से मैंने गाय के गोबर से बनी इन राखियों को बाजार में उतारा.
-अलका, गो सेविका

Intro:एंकर।मन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बड़े से बड़ा काम भी आसान हो जाता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया अलका ने जिसने गाय के गोबर से राखियां तैयार की है। जो सेहत के लिहाज से भी कारगर साबित हो रही है और यही वजह है कि बिजनौर की राखियां देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है।

Body:वीओ।बिजनौर के नगीना की रहने वाली अलका लहोटी जो पिछले कई सालों से श्रीकृष्ण गोशाला चलाकर गो सेवा कर रही है ।दो साल पहले इनके मन में ख्याल आया क्यों न गोबर से बनी राखियां बनाई जाए। पिछले साल बनी राखियो में भले ही इन्हें क़ामयाबी न मिली हो लेकिन अलका ने हिम्मत नहीं हारी और उसी का नतीजा यह रहा कि वह राखियां बनाने में कामयाब हो गई। यही वजह है कि गाय के गोबर से बनी राखियां देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूम मचा रही है ।
बाइट-अल्का लहोटी,गो सेविका

Conclusion:इस साल पहली मर्तबा अलका गोबर से बनी राखियों को लेकर कुंभ गई थी। जहां पर आनंद श्री विभूषित महामंडलेश्वर मां श्री योग योगेश्वरी यति श्री पंचदशी जाम जूना अखाड़ा ने खूब प्रशंसा की थी।तभी से अल्का को राखी बनाने की लगन लग गई। अलका की गौशाला में वैसे तो गाय के गोबर से कई मॉडल बनाए जाते हैं। लेकिन गोबर से बनाई गई राखी को डिज़ाइन करके तैयार किया जा रहा है।इसका नतीजा यह रहा कि दिन-रात एक करके राखी को बनाने के लिए गौशाला में 8 कारीगर राखी को बनाने में जुटे हैं। रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक आते ही अलका ने गोबर से बनी 1000 राखियां अब तक सेल कर दी हैं।जिसकी कीमत महज ₹50 रखी गई है। गोबर से बनी राखियां सेहत के लिहाज़ से भी बेहद मुफीद है मोबाइल ,टीवी, लैपटॉप ,से निकलने वाली हानिकारक किरणों को गोबर कम कर देता है। साथ ही आध्यात्मिक तौर पर भी हिंदू धर्म में गोबर को पूजा के तौर पर पूजा जाता है। घर में रखे गमले में गोबर को खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

बाइट-अल्का लहौटी,गो सेविका
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