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बिजनौर हिंसा: कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 48 बंदियों को छोड़ने के दिया आदेश

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 20 दिसंबर को हुई हिंसा मामले में पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन सबूतों के अभाव में बिजनौर एडीजे प्रथम ने 48 बंदियों को छोड़ने का आदेश दिया है.

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कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 48 बंदियों को छोड़ने के आदेश दिये
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Published : Jan 31, 2020, 3:58 PM IST

बिजनौर: 20 दिसंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन मामले में पुलिस ने सैकड़ों लोगो को उपद्रवी मानकर गिरफ्तार कर अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा था, लेकिन बिजनौर कोर्ट में पुलिस आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई. इस पर बिजनौर एडीजे प्रथम जज ने जेल में बन्द 48 बंदियों की जमानत मंजूर करते हुए रिहाई के आदेश दिये हैं.

कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 48 बंदियों को छोड़ने के आदेश दिये

20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद सीएए के विरोध में मुस्लिम समाज के लोगो ने जुलूस की शक्ल में विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान कुछ इलाकों में आगजनी के साथ पत्थरबाजी हुई थी. वहीं बिजनौर के बाद नजीबाबाद, नहटौर, धामपुर, नगीना में भी बवाल हुआ था. पुलिस इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था.

पुलिस द्वारा पकडे़ गए आरोपियों की पैरवी बिजनौर के वकील अहमद जकावत कर रहे हैं. अहमद जकावत ने बताया कि पुलिस ने गलत तरीके से लोगों को गिरफ्तार किया है.

20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद मेरे बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. मेरा बेटा बेकसूर था. वो स्टूडेंट है. लेकिन पुलिस ने हमारी एक भी नहीं सुनी और मेरे बेटे के साथ ज्यादती करते हुए उसके हाथ-पैर तोड़ डाले.
-मोहम्मद नाजिर, पीड़ित पिता

बिजनौर एडीजे प्रथम संजीव पाण्डेय ने 48 प्रदर्शनकारियों को सबूत न होने के अभाव में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.
- अहमद ज़कावत, वकील

बिजनौर: 20 दिसंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन मामले में पुलिस ने सैकड़ों लोगो को उपद्रवी मानकर गिरफ्तार कर अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा था, लेकिन बिजनौर कोर्ट में पुलिस आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई. इस पर बिजनौर एडीजे प्रथम जज ने जेल में बन्द 48 बंदियों की जमानत मंजूर करते हुए रिहाई के आदेश दिये हैं.

कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 48 बंदियों को छोड़ने के आदेश दिये

20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद सीएए के विरोध में मुस्लिम समाज के लोगो ने जुलूस की शक्ल में विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान कुछ इलाकों में आगजनी के साथ पत्थरबाजी हुई थी. वहीं बिजनौर के बाद नजीबाबाद, नहटौर, धामपुर, नगीना में भी बवाल हुआ था. पुलिस इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था.

पुलिस द्वारा पकडे़ गए आरोपियों की पैरवी बिजनौर के वकील अहमद जकावत कर रहे हैं. अहमद जकावत ने बताया कि पुलिस ने गलत तरीके से लोगों को गिरफ्तार किया है.

20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद मेरे बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. मेरा बेटा बेकसूर था. वो स्टूडेंट है. लेकिन पुलिस ने हमारी एक भी नहीं सुनी और मेरे बेटे के साथ ज्यादती करते हुए उसके हाथ-पैर तोड़ डाले.
-मोहम्मद नाजिर, पीड़ित पिता

बिजनौर एडीजे प्रथम संजीव पाण्डेय ने 48 प्रदर्शनकारियों को सबूत न होने के अभाव में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.
- अहमद ज़कावत, वकील

Intro:एंकर।बीस दिसम्बर को हुए हिंसक प्रदर्शन मामले में पुलिस ने सैकड़ो लोगो को उपद्रवी मानकर गिरफ्तारी कर संगीन धाराओ में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा था।लेकिन बिजनौर कोर्ट में पुलिस आरोपियों के खिलाफ पुख़्ता सबूत कोर्ट में नही दे पाई। इसी बिना पर बिजनौर एडीजे प्रथम जज ने जेल में बन्द 48 बंदियों की जमानत मंजूर करते हुए रिहाई के आदेश कर दिये है।

Body:वीओ।बीस दिसम्बर को जुमे की नमाज़ के बाद सीएए के विरोध में मुस्लिम समाज के लोगो ने जुलूस की शक्ल में विरोध प्रदर्शन किया था। जिसमे पथराव व कुछ इलाकों में आगजनी भी की गई थी।बिजनौर के नजीबाबाद,नहटौर,धामपुर,नगीना में बवाल हुआ था। उसी दिन पुलिस ने कई लोगो को गिरफ़्तार कर धारा 307 सहित कई संगीन धाराओ में सैकड़ो लोगो को उपद्रव बवाल करने के मामले में जेल भेजा था ।इसी के तहत बिजनौर के तेज तर्रार वकील अहमद ज़कावत तकरीबन सौ से ज़्यादा पुलिस द्वारा आरोपी बनाए लोगो का केस लड़ रहे है।उसी के तहत बिजनौर एडीजे प्रथम संजीव पाण्डेय जज ने 48 उपद्रवी को इस बिना पर ज़मानत मंजूर की है कि बिजनौर पुलिस आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत कोर्ट में पेश नही कर पाई ।जेल में बन्द 48 आरोपियों की जेल से जल्द रिहाई होने की उम्मीद है।
बाईट-अहमद ज़कावत,वकील

Conclusion:एफ वीओ।बीस दिसम्बर को जुमे की नमाज़ के बाद पकडा गया अनस जो बीटेक थर्ड ईयर का छात्र था। जिसका उस दौरान एग्जाम चल रहा था। जेल जाने के बाद गरीब परिवार का बेटा का साल खराब हो गया ।पीड़ित परिजनों की माने तो उनका बेटा बे कसूर था स्टूडेंट था बिजनौर पुलिस ने इतनी ज़्यादती की उसके हाथ पैर तोड़ डाले और धारा 307 लगा दी।इनकी मांग है बेकसूर बेटे को फसाने वाली पुलिस के खिलाफ कानूनी कार्यवही होनी चाहिए।

बाईट-मोहम्मद नाज़िर, पीड़ित पिता
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