बिजनौर: 20 दिसंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन मामले में पुलिस ने सैकड़ों लोगो को उपद्रवी मानकर गिरफ्तार कर अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा था, लेकिन बिजनौर कोर्ट में पुलिस आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई. इस पर बिजनौर एडीजे प्रथम जज ने जेल में बन्द 48 बंदियों की जमानत मंजूर करते हुए रिहाई के आदेश दिये हैं.
20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद सीएए के विरोध में मुस्लिम समाज के लोगो ने जुलूस की शक्ल में विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान कुछ इलाकों में आगजनी के साथ पत्थरबाजी हुई थी. वहीं बिजनौर के बाद नजीबाबाद, नहटौर, धामपुर, नगीना में भी बवाल हुआ था. पुलिस इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था.
पुलिस द्वारा पकडे़ गए आरोपियों की पैरवी बिजनौर के वकील अहमद जकावत कर रहे हैं. अहमद जकावत ने बताया कि पुलिस ने गलत तरीके से लोगों को गिरफ्तार किया है.
20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद मेरे बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. मेरा बेटा बेकसूर था. वो स्टूडेंट है. लेकिन पुलिस ने हमारी एक भी नहीं सुनी और मेरे बेटे के साथ ज्यादती करते हुए उसके हाथ-पैर तोड़ डाले.
-मोहम्मद नाजिर, पीड़ित पिताबिजनौर एडीजे प्रथम संजीव पाण्डेय ने 48 प्रदर्शनकारियों को सबूत न होने के अभाव में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.
- अहमद ज़कावत, वकील