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बस्ती: RTI से जानकारी के लिए देने पड़े 7200 रुपये, फिर भी मिले गलत कागजात - right to information

बस्ती में सूचना के अधिकार के तहत शिकायतकर्ता हीरालाल ने जानकारी मांगी. हीरालाल का आरोप है कि उसको जो सूचना मिली वो गलत थी. इसके साथ ही उससे 7,200 रुपये भी वसूले गए हैं.

basti
शिकायतकर्ता.
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Published : Jul 20, 2020, 3:05 PM IST

बस्ती: सूचना के अधिकार के तहत देश का कोई नागरिक सरकारी विभाग से जानकारी मांग सकता है. बस्ती जनपद में एक व्यक्ति को आरटीआई से सूचना मांगना महंगा पड़ गया. सरकारी तंत्र में गोलमाल का आलम यह है कि व्यक्ति को पहले तो जानकारी के लिए 7,200 रुपये चुकाने पड़े. उसके बाद भी सूचना गलत दे दी गयी. अब वह अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर है.

मामला जनपद के बहादुरपुर ब्लॉक के धौरहरा गांव का है. यहां के हीरालाल ने गांव में हुए विकास कार्यों से जुड़ी एक सूचना, सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी थी. इसके बाद ग्राम पंचायत अधिकारी ने सूचना देने के लिए हीरालाल को 7,200 रुपये का नोटिस भेज दिया था. वहीं जब सूचना के तहत आये पेजों की गिनती की तब हीरालाल के होश उड़ गए. सूचना के नाम पर एक हजार पेज दिए गए. इतना ही नहीं जो पेपर उसे दिए गए वो भी उसकी मांगी गई जानकारी से अलग थे. अब ऐसे में हीरालाल ने इसकी शिकायत डीपीआरओ विनय सिंह से की है.

शिकायतकर्ता और अधिकारी ने दी जानकारी.

शिकायतकर्ता हीरालाल ने बताया कि उसने आरटीआई के माध्यम से अपने गांव धौरहरा में सीसी रोड, सड़क निर्माण और खड़ंजा की जानकारी मांगी थी. इसके लिए उसने 7200 रुपये जमा भी कराए, लेकिन उसे गलत जानकारी दी गई. जानकारी के नाम पर सिर्फ 1000 पेज का बंडल थमा दिया गया, जिसमें सिर्फ मनरेगा की जानकारी है. उसके द्वारा दिए गए 8 बिन्दुओं में से किसी भी बिंदु से जुड़ी जानकारी नहीं दी गयी है.

वहीं डीपीआरओ विनय सिंह ने बताया कि सूचना के अधिकार की नियमावली के अनुसार एक पेज का 2 रुपये लिया जाता है. वो भी पहले सूचना दी जाती है. उन्होंने कहा कि अगर शिकायत सही पाई जाती है तो जिम्मेदार पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

बस्ती: सूचना के अधिकार के तहत देश का कोई नागरिक सरकारी विभाग से जानकारी मांग सकता है. बस्ती जनपद में एक व्यक्ति को आरटीआई से सूचना मांगना महंगा पड़ गया. सरकारी तंत्र में गोलमाल का आलम यह है कि व्यक्ति को पहले तो जानकारी के लिए 7,200 रुपये चुकाने पड़े. उसके बाद भी सूचना गलत दे दी गयी. अब वह अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर है.

मामला जनपद के बहादुरपुर ब्लॉक के धौरहरा गांव का है. यहां के हीरालाल ने गांव में हुए विकास कार्यों से जुड़ी एक सूचना, सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी थी. इसके बाद ग्राम पंचायत अधिकारी ने सूचना देने के लिए हीरालाल को 7,200 रुपये का नोटिस भेज दिया था. वहीं जब सूचना के तहत आये पेजों की गिनती की तब हीरालाल के होश उड़ गए. सूचना के नाम पर एक हजार पेज दिए गए. इतना ही नहीं जो पेपर उसे दिए गए वो भी उसकी मांगी गई जानकारी से अलग थे. अब ऐसे में हीरालाल ने इसकी शिकायत डीपीआरओ विनय सिंह से की है.

शिकायतकर्ता और अधिकारी ने दी जानकारी.

शिकायतकर्ता हीरालाल ने बताया कि उसने आरटीआई के माध्यम से अपने गांव धौरहरा में सीसी रोड, सड़क निर्माण और खड़ंजा की जानकारी मांगी थी. इसके लिए उसने 7200 रुपये जमा भी कराए, लेकिन उसे गलत जानकारी दी गई. जानकारी के नाम पर सिर्फ 1000 पेज का बंडल थमा दिया गया, जिसमें सिर्फ मनरेगा की जानकारी है. उसके द्वारा दिए गए 8 बिन्दुओं में से किसी भी बिंदु से जुड़ी जानकारी नहीं दी गयी है.

वहीं डीपीआरओ विनय सिंह ने बताया कि सूचना के अधिकार की नियमावली के अनुसार एक पेज का 2 रुपये लिया जाता है. वो भी पहले सूचना दी जाती है. उन्होंने कहा कि अगर शिकायत सही पाई जाती है तो जिम्मेदार पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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