ETV Bharat / state

विश्व स्तनपान सप्ताह: वैक्सीन से कम नहीं बच्चों के लिए मां का दूध

1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह(World Breastfeeding Week) मनाया जाता है. जिसमें महिलाओं को स्तनपान(Breastfeeding) के लिए प्रेरित किया जाता है. इसी सिलसिले में बस्ती जिला महिला अस्पताल (Basti Women District hospital) के बाल विभाग में गुरुवार को डॉक्टरों ने महिलाओं को स्तनपान के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें उपहार देकर जागरूक किया.

विश्व स्तनपान सप्ताह
विश्व स्तनपान सप्ताह
author img

By

Published : Aug 6, 2021, 9:55 AM IST

Updated : Aug 6, 2021, 10:51 AM IST

बस्ती: अगस्त महीने के पहले हफ्ते को विश्व स्तनपान सप्ताह(World Breastfeeding Week) के रूप में मनाया जाता है, इसका उद्देश्य लोगों को स्तनपान के महत्व के प्रति जागरुक करना है. डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे के लिए मां का दूध किसी संजीवनी से कम नहीं है. मां का दूध न सिर्फ शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है, बल्कि उसे कई गंभीर रोगों से भी बचाता है. कोरोना काल में शिशुओं के लिए यह वैक्सीन से ज्यादा कारगर है. इतना ही नहीं श्वांस रोग, मधुमेह, एलर्जी जैसी बीमारियों से भी बचाता है.

वहीं गुरुवार को बस्ती जिला महिला अस्पताल(Basti Women District hospital) में विश्व स्तनपान सप्ताह(World Breastfeeding Week) मनाया गया. जिसमें बाल विभाग के डिपार्टमेंट हेड डॉक्टर पीके श्रीवास्तव, बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तैय्यब और महिला अस्पताल एसआईसी सुषमा सिन्हा ने एक अनूठी पहल की. जिसमे उन कमजोर बच्चों की मां को प्रेरित किया गया जिन्होंने अपने बच्चो को मौत के मुंह से वापस लाकर आज स्वास्थ्य हालत में खड़ा किया है. उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए डॉक्टर पीके श्रीवास्तव और डॉक्टर तैय्यब ने मिलकर उन मां व उनके बच्चे को गिफ्ट देकर उत्साहवर्धन किया.

विश्व स्तनपान सप्ताह
डॉक्टर पीके श्रीवास्तव का कहना है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है. स्तनपान से न सिर्फ बच्चे स्वस्थ रहते हैं, बल्कि मां से उनका भावनात्मक लगाव भी बढ़ता है. हर मां को बच्चों के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान के महत्व को समझना होगा. उन्होंने कहा कि स्तनपान को लेकर जागरुकता के लिए 1 अगस्त से 7 अगस्त में विश्व स्तनपान सप्ताह(World Breastfeeding Week) घोषित किया गया है, जिसका फायदा दिख रहा है. 2005 में स्तनपान कराने का अनुपात देश मे 46 फीसद था जो बढ़कर 64 फीसद हो गया है. उन्होंने बताया कि मां को दूध नहीं उतरने पर बच्चे को सीने से लगाएं. बच्चे के स्पर्श मात्र से मां को दूध उतरना शुरू हो जाता है. बच्चों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए हर मां को स्तनपान कराना चाहिए. मां का दूध सर्वोत्तम आहार के साथ बच्चे के लिए अमृत के समान है. आज अधिकतर महिलाएं आधुनिक बनने और सुंदर दिखने के चक्कर में अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराकर उनकी जिंदगी और स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही हैं, लेकिन स्तनपान कराने से महिलाओं की सुंदरता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. स्तनपान कराने से पहले व बाद में स्तनों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए. प्रसव के तुरंत बाद जो महिलाएं बच्चों को स्तनपान कराना शुरू कर देती हैं उन्हें गर्भाशय और स्तन कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.

बच्चों को कितना दूध पिलाना चाहिए

जन्म से लेकर 6 महीने तक बच्चों को हर डेढ़ घंटे से तीन घंटे के अंतराल में दूध पिलाते रहना चाहिए. इसे इस तरह से भी कहा जा सकता है कि जितनी जरूरत उतना दूध. छह महीने तक बच्चे को पानी ग्राइप वाटर या घुट्टी की जरूरत नहीं होती है. बच्चे का पेट अच्छे से भरा होगा तभी वह कम रोएगा और आराम से सो पाएगा. यदि किसी कारण से बच्चा दूध पीने के बाद भी लगातार रोता है, तो इसका मतलब है उसका पेट मां के दूध से नहीं भर पा रहा है. ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए.

कोरोना और स्तनपान

डॉक्टर पीके श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना काल में लोगों के बीच भ्रांति है कि कोरोना संक्रमित या सस्पेक्टेड मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती, लेकिन संक्रमित मां भी कुछ सावधानियों के साथ शिशु को स्तनपान करा सकती हैं. स्तनपान कराने से पहले अच्छी तरह हाथ धोना चाहिए और मास्क लगाकर स्तनपान कराना चाहिए.

इसी भी पढ़ें-स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए घर से काम करने की व्यवस्था को दे बढ़ावा : केंद्र

कैसा हो जच्चा का खानपान

जच्चा यानि नई मां का खाना पोषक तत्वों से भरा होना चाहिए. पौष्टिक खाने के साथ बहुत जरूरी है कि वह आयरन और कैल्शियम परिष्टि भी ले, जो उसके शरीर में खून की कमी को दूर करेगा. साथ ही उसकी हड्डियों को भी मजबूत बनाएगा. हम भारतीयों में वैसे भी बच्चे के जन्म के उपरान्त मेथी के लड्डू और पंजीरी खिलाने की परंपरा है. लेकिन बहुत जरूरी है इस बात को समझना की जो भी खाये नई मां एक निर्धारित मात्रा में ही खाये. किसी भी चीज की अति आपके शरीर को किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचा सकती है.

स्तनपान से शिशु को होने वाले फायदे

  • अच्छा और संपूर्ण आहार होता है मां का दूध.
  • दूध में पाए जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है.
  • शिशु को रोगों से बचाता है.
  • शिशु की वृद्धि अच्छे से होती है.
  • बच्‍चों में अस्‍थमा या अन्‍य गंभीर बीमारियों का खतरा भी कम होता है.
  • बच्चों को सांस या कानों में संक्रमण का खतरा भी कम होता है.

बस्ती: अगस्त महीने के पहले हफ्ते को विश्व स्तनपान सप्ताह(World Breastfeeding Week) के रूप में मनाया जाता है, इसका उद्देश्य लोगों को स्तनपान के महत्व के प्रति जागरुक करना है. डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे के लिए मां का दूध किसी संजीवनी से कम नहीं है. मां का दूध न सिर्फ शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है, बल्कि उसे कई गंभीर रोगों से भी बचाता है. कोरोना काल में शिशुओं के लिए यह वैक्सीन से ज्यादा कारगर है. इतना ही नहीं श्वांस रोग, मधुमेह, एलर्जी जैसी बीमारियों से भी बचाता है.

वहीं गुरुवार को बस्ती जिला महिला अस्पताल(Basti Women District hospital) में विश्व स्तनपान सप्ताह(World Breastfeeding Week) मनाया गया. जिसमें बाल विभाग के डिपार्टमेंट हेड डॉक्टर पीके श्रीवास्तव, बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तैय्यब और महिला अस्पताल एसआईसी सुषमा सिन्हा ने एक अनूठी पहल की. जिसमे उन कमजोर बच्चों की मां को प्रेरित किया गया जिन्होंने अपने बच्चो को मौत के मुंह से वापस लाकर आज स्वास्थ्य हालत में खड़ा किया है. उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए डॉक्टर पीके श्रीवास्तव और डॉक्टर तैय्यब ने मिलकर उन मां व उनके बच्चे को गिफ्ट देकर उत्साहवर्धन किया.

विश्व स्तनपान सप्ताह
डॉक्टर पीके श्रीवास्तव का कहना है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है. स्तनपान से न सिर्फ बच्चे स्वस्थ रहते हैं, बल्कि मां से उनका भावनात्मक लगाव भी बढ़ता है. हर मां को बच्चों के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान के महत्व को समझना होगा. उन्होंने कहा कि स्तनपान को लेकर जागरुकता के लिए 1 अगस्त से 7 अगस्त में विश्व स्तनपान सप्ताह(World Breastfeeding Week) घोषित किया गया है, जिसका फायदा दिख रहा है. 2005 में स्तनपान कराने का अनुपात देश मे 46 फीसद था जो बढ़कर 64 फीसद हो गया है. उन्होंने बताया कि मां को दूध नहीं उतरने पर बच्चे को सीने से लगाएं. बच्चे के स्पर्श मात्र से मां को दूध उतरना शुरू हो जाता है. बच्चों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए हर मां को स्तनपान कराना चाहिए. मां का दूध सर्वोत्तम आहार के साथ बच्चे के लिए अमृत के समान है. आज अधिकतर महिलाएं आधुनिक बनने और सुंदर दिखने के चक्कर में अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराकर उनकी जिंदगी और स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही हैं, लेकिन स्तनपान कराने से महिलाओं की सुंदरता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. स्तनपान कराने से पहले व बाद में स्तनों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए. प्रसव के तुरंत बाद जो महिलाएं बच्चों को स्तनपान कराना शुरू कर देती हैं उन्हें गर्भाशय और स्तन कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.

बच्चों को कितना दूध पिलाना चाहिए

जन्म से लेकर 6 महीने तक बच्चों को हर डेढ़ घंटे से तीन घंटे के अंतराल में दूध पिलाते रहना चाहिए. इसे इस तरह से भी कहा जा सकता है कि जितनी जरूरत उतना दूध. छह महीने तक बच्चे को पानी ग्राइप वाटर या घुट्टी की जरूरत नहीं होती है. बच्चे का पेट अच्छे से भरा होगा तभी वह कम रोएगा और आराम से सो पाएगा. यदि किसी कारण से बच्चा दूध पीने के बाद भी लगातार रोता है, तो इसका मतलब है उसका पेट मां के दूध से नहीं भर पा रहा है. ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए.

कोरोना और स्तनपान

डॉक्टर पीके श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना काल में लोगों के बीच भ्रांति है कि कोरोना संक्रमित या सस्पेक्टेड मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती, लेकिन संक्रमित मां भी कुछ सावधानियों के साथ शिशु को स्तनपान करा सकती हैं. स्तनपान कराने से पहले अच्छी तरह हाथ धोना चाहिए और मास्क लगाकर स्तनपान कराना चाहिए.

इसी भी पढ़ें-स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए घर से काम करने की व्यवस्था को दे बढ़ावा : केंद्र

कैसा हो जच्चा का खानपान

जच्चा यानि नई मां का खाना पोषक तत्वों से भरा होना चाहिए. पौष्टिक खाने के साथ बहुत जरूरी है कि वह आयरन और कैल्शियम परिष्टि भी ले, जो उसके शरीर में खून की कमी को दूर करेगा. साथ ही उसकी हड्डियों को भी मजबूत बनाएगा. हम भारतीयों में वैसे भी बच्चे के जन्म के उपरान्त मेथी के लड्डू और पंजीरी खिलाने की परंपरा है. लेकिन बहुत जरूरी है इस बात को समझना की जो भी खाये नई मां एक निर्धारित मात्रा में ही खाये. किसी भी चीज की अति आपके शरीर को किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचा सकती है.

स्तनपान से शिशु को होने वाले फायदे

  • अच्छा और संपूर्ण आहार होता है मां का दूध.
  • दूध में पाए जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है.
  • शिशु को रोगों से बचाता है.
  • शिशु की वृद्धि अच्छे से होती है.
  • बच्‍चों में अस्‍थमा या अन्‍य गंभीर बीमारियों का खतरा भी कम होता है.
  • बच्चों को सांस या कानों में संक्रमण का खतरा भी कम होता है.
Last Updated : Aug 6, 2021, 10:51 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.