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बस्ती में रक्षाबंधन होगा खास, भाइयों की कलाई पर सजेगी 'प्रेरणा राखी' - महिलाएं बना रहीं राखी

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं राखी बना रही हैं. इस मिशन का मकसद महिलाओं को उनके कौशल के हिसाब से प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना है.

भाइयों की कलाई पर सजेगी 'प्रेरणा राखी'
भाइयों की कलाई पर सजेगी 'प्रेरणा राखी'
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Published : Jul 29, 2020, 5:27 PM IST

बस्ती: भाई-बहन के अटूट रिश्ते का त्योहार रक्षाबन्धन इस बार जिले के लिए खास होगा. इस बार भाइयों की कलाई पर प्रेरणा राखी सजेगी. इस राखी की खास बात ये है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इसे तैयार किया जा रहा है. यह राखी बुधवार से आम लोगों के लिए उपलब्ध रहेगी.

भाइयों की कलाई पर सजेगी 'प्रेरणा राखी'
ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बन रही राखियां

दरअसल महिलाओं को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूह बनाया जाता है. इसमें महिलाओं को उनके कौशल के हिसाब से प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जाता है. इसी कड़ी में बस्ती जिला प्रशासन ने अनूठी पहल करते हुए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिलाया है, जो कि ब्लॉक सदर और गौर में पिछले एक हफ्ते से चल रहा था.

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मिलेगी मदद
ईटीवी भारत की टीम ने प्रशिक्षण ले रही महिलाओं से बात की. उन्होंने जिला प्रशासन खासकर सीडीओ सरनीत कौर ब्रोका का आभार जताते हुए कहा कि राखी बनाने की इस कला से उन्हें आत्मनिर्भर बनने में और मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने राखी बनाने में लगने वाले समान को मुहैया कराया है. हमें सिर्फ मेहनत करनी है. उन्होंने बताया कि राखी के बिकने से आमदनी होगी वो महिला स्वंय सहायता समूह के एकाउंट में भेज दिया जाएगा. महिलाओं ने बताया कि अब हमें आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है, अब हम इस काबिल हैं कि अपने दम पर पैसा कमा सकें.


वहीं प्रशिक्षक आलोक शुक्ला से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. ये महिलाएं क्रोसिए की सहायता से रेशम की डोरी से बनी राखियां तैयार कर रही है. इस काम में लगने वाले सभी सामान की उपलब्धता जिला प्रशासन करा रहा है. उन्होंने बताया कि राखी तैयार होने के बाद गांधी कला भवन में मेले का आयोजन किया जाएगा, जिससे राखियों को बेचा जा सके और महिलाओं को भी इससे फायदा मिले. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब इस तरह महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.

बस्ती: भाई-बहन के अटूट रिश्ते का त्योहार रक्षाबन्धन इस बार जिले के लिए खास होगा. इस बार भाइयों की कलाई पर प्रेरणा राखी सजेगी. इस राखी की खास बात ये है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इसे तैयार किया जा रहा है. यह राखी बुधवार से आम लोगों के लिए उपलब्ध रहेगी.

भाइयों की कलाई पर सजेगी 'प्रेरणा राखी'
ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बन रही राखियां

दरअसल महिलाओं को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूह बनाया जाता है. इसमें महिलाओं को उनके कौशल के हिसाब से प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जाता है. इसी कड़ी में बस्ती जिला प्रशासन ने अनूठी पहल करते हुए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिलाया है, जो कि ब्लॉक सदर और गौर में पिछले एक हफ्ते से चल रहा था.

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मिलेगी मदद
ईटीवी भारत की टीम ने प्रशिक्षण ले रही महिलाओं से बात की. उन्होंने जिला प्रशासन खासकर सीडीओ सरनीत कौर ब्रोका का आभार जताते हुए कहा कि राखी बनाने की इस कला से उन्हें आत्मनिर्भर बनने में और मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने राखी बनाने में लगने वाले समान को मुहैया कराया है. हमें सिर्फ मेहनत करनी है. उन्होंने बताया कि राखी के बिकने से आमदनी होगी वो महिला स्वंय सहायता समूह के एकाउंट में भेज दिया जाएगा. महिलाओं ने बताया कि अब हमें आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है, अब हम इस काबिल हैं कि अपने दम पर पैसा कमा सकें.


वहीं प्रशिक्षक आलोक शुक्ला से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. ये महिलाएं क्रोसिए की सहायता से रेशम की डोरी से बनी राखियां तैयार कर रही है. इस काम में लगने वाले सभी सामान की उपलब्धता जिला प्रशासन करा रहा है. उन्होंने बताया कि राखी तैयार होने के बाद गांधी कला भवन में मेले का आयोजन किया जाएगा, जिससे राखियों को बेचा जा सके और महिलाओं को भी इससे फायदा मिले. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब इस तरह महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.

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