बस्ती: आपने किराए पर मकान देते हुए तो देखा होगा. लेकिन, यूपी में सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी किराए पर रखे जा रहे हैं. इसका जीता जागता उदाहरण यूपी के बस्ती के बहादुरपुर ब्लॉक में देखने को मिला. सरकार प्राइमरी स्कूल के टीचरों को 50 से 60 हजार रुपये सैलरी दे रही है और ये अध्यापक खुद शिक्षण कार्य करने के बजाय 1500-2500 में बेरोजगार टीचर को किराए पर पढ़ाने के लिए रख रहे हैं. यूपी सरकार में बच्चों के भविष्य को लेकर खिलवाड़ हो रहा है.
ईटीवी भारत को जानकारी मिली कि बहादुरपुर ब्लॉक के भरवलिया गांव में बने प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक अपनी जगह एक प्राइमरी के टीचर को रखकर पाठन का काम करवा रहे हैं. मतलब जिन्हें सरकार ने 70 हजार रुपये की मोटी तनख्वाह देकर गरीब बच्चों के भविष्य को सुधारने का जिम्मा दिया है, वे एकांत में स्कूल होने का फायदा उठाकर सरकार की आंख में धूल झोंक रहे हैं.
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इस प्राइमरी स्कूल में तैनात प्रधानाध्यापक सुनील पाठक ने गांव की एक लड़की को 2500 रुपये में अपनी जगह किराए पर पढ़ाने के लिए रखा है और इसके बदले वे खुद विद्यालय नहीं आते. बल्कि, अपने निजी कामों में व्यस्त रहकर ड्यूटी कर रहे हैं. सालों से उनका यही खेल चल रहा है. लेकिन, किसी भी शिक्षा अधिकारी को इस नटवरलाल गुरुजी पर शक तक नहीं हुआ. कागजों में तो गुरुजी रोज स्कूल आते हैं और पढ़ाते भी हैं. मगर हकीकत कुछ और ही है. किराए पर टीचर को रखकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
अब इस मामले के खुलासे से बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. दो दिन पहले बीएसए का ट्रांसफर हो गया और जैसे ही नए बीएसए आए तो उन्होंने आते ही इस मामले को संज्ञान में लेकर कार्यवाही शुरू कर दी. जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने भी इस मामले में रिपोर्ट तलब की है. बहरहाल नटवरलाल शिक्षक सुनील पाठक के कारनामे से पूरा शिक्षा विभाग शर्मसार है और उनके ऊपर गाज गिरना तय माना जा रहा है.
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