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बस्ती की महादेवा विधानसभा का दिलचस्प इतिहास, जो बना विधायक उसकी बनी सकरार - पूर्व विधायक दूधराम

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर पूरे प्रदेश के साथ जिले में भी सियासी हलचल तेज हो गई है.आइये जानते हैं बस्ती जिले की महादेवा विधानसभा सीट 311 में चुनावी समीकरण क्या हैं?

महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
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Published : Oct 3, 2021, 8:26 PM IST

बस्तीः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर पूरे प्रदेश के साथ जिले में भी सियासी हलचल तेज हो गई है. वहीं, बस्ती जिले की महादेवा विधानसभा सीट पर 2022 में होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं ने अब अपनी अपनी दावेदारी ठोक दी है. बसपा सपा और कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है. लेकिन बीजेपी के मौजूदा विधायक रवि सोनकर खुद को एक बार फिर इस विधानसभा का बीजेपी प्रत्याशी मानकर क्षेत्र में वोट मांगने पहुंच रहे हैं. महादेवा विधानसभा सीट को लेकर एक ऐसी मान्यता है कि यहां से विधायक चुना जाता है, प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनती है.

महादेवा विधानसभा के जनप्रतिनिधि.
महादेवा विधानसभा के जनप्रतिनिधि.

महादेवा विधानसभा का चुनावी इतिहास
बता दें कि महादेवा विधानसभा 311 की सीट सुरक्षित सीट है और किंग मेकर वोटरों के तौर पर सबसे अधिक पिछड़ी जाति के है. इसके बाद दलित वोटरों की भूमिका इस विधानसभा के चुनाव में बेहद अहम मानी जाती है. इन्हीं दो जातियों की अधिक भागीदारी की बदौलत इस विधानसभा का विधायक चुना जाता है और उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुंचकर इन का प्रतिनिधित्व करता है.

महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.

बता दें कि वर्ष 2002 में जब सपा से रामकरण आर्य ने इस सीट से विजय हासिल किया था तब उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनी थी. रामकरण ने दूधराम को भारी मतों से हराया था. इसके बाद वर्ष 2007 में बसपा के दूधराम ने सपा के राम करन आर्य को शिकस्त दी थी, तब बसपा की सरकार बनी थी. इसके बाद 2012 विधानसभा चुनाव में सपा के रामकरण आर्य एक बार फिर बसपा के दूध राम को हराया और सपा की सरकार बन गई. वहीं, 2017 में बीजेपी से रवि सोनकर ने सपा के टिकट पर लड़ रहे रामकरण आर्य को हरा दिया और यूपी में बीजेपी सत्ता में आ गई.

महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
विधायक रवि सोनकर का रिपोर्ट कार्ड
वर्ष 2017 में मतदाताओं ने युवा नेता और पूर्व सांसद कल्पनाथ सोनकर के बेटे रवि सोनकर को विधायक चुना. आमजन की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश में लगे विधायक के प्रयास से सरयू नदी की धारा को मोड़ने की परियोजना मंजूर हुई, जो क्षेत्र की जनता के लिए बड़ी उपलब्धि है. पिछले 2 साल से बाढ़ से तबाही कम जरूर हुई है लेकिन विकास के अन्य क्षेत्र का पिछड़ापन दूर नहीं हो पाया है. यह जरूर है कि ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के साथ महापुरुषों को सम्मान मिला है, सड़क नाली पानी और बिजली की व्यवस्था को पटरी पर लाने में ही विधायक के कार्यकाल के साढ़े 4 साल बीत गए. विधायक ने ऐतिहासिक धरोहरों को न केवल सहेजा बल्कि महापुरुषों के बारे में भी युवाओं को जानने समझने का अवसर दिया है. विधायक रवि सोनकर ने अपनी निधि से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बिगुल फूंकने वाले नगर के राजा उदय प्रताप सिंह के अलावा 8 महापुरुषों की याद में स्मृति द्वार बनवाए हैं. विधायक निधि में 8 करोड़ रुपये मिले जिसमें से 5 करोड़ विकास कार्य किए जा चुके हैं. जबकि 3 करोड़ के कार्य कराने के लिए प्रस्ताव तैयार कराए जा रहे हैं. वहीं, कछुआर घाट पर पुल निर्माण का वादा अभी भी अधूरा है.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.

इसे भी पढ़ें-UP Election 2022: बस्ती के हर्रैया विधानसभा का इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने के आसार

ये हैं प्रमुख समस्याएं
त्रेता युगीन मोक्षेश्वर नाथ धाम, बौद्ध कालीन अष्टकोणीय और बाबा बेहिलनाथ का मंदिर भी यही है. दोआबा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. अधिकांश गांव मुख्य सड़कों से अब तक नहीं जुड़ पाए हैं. यह क्षेत्र शिक्षा स्वास्थ्य उद्योग और परिवहन सुविधाओं में भी पीछे हैं. कुआनो, मनोरमा के किनारे बसे क्षेत्र के 52 गांवों के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है. क्षेत्र में तीन प्रमुख नदियां होने के बाद भी यहां ना तो नौकायन केंद्र है और ना ही पर्यटन स्थल. विधायक के प्रयास से बनकटी पीएचसी को सीएचसी का दर्जा मिला है. शादी और अन्य कार्यक्रमों के लिए 9 उत्सव वाटिका विधायक निधि से बनाई गई है लेकिन खेल के लिए कोई मैदान अभी तक नहीं उपलब्ध हो सका है.

बस्तीः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर पूरे प्रदेश के साथ जिले में भी सियासी हलचल तेज हो गई है. वहीं, बस्ती जिले की महादेवा विधानसभा सीट पर 2022 में होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं ने अब अपनी अपनी दावेदारी ठोक दी है. बसपा सपा और कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है. लेकिन बीजेपी के मौजूदा विधायक रवि सोनकर खुद को एक बार फिर इस विधानसभा का बीजेपी प्रत्याशी मानकर क्षेत्र में वोट मांगने पहुंच रहे हैं. महादेवा विधानसभा सीट को लेकर एक ऐसी मान्यता है कि यहां से विधायक चुना जाता है, प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनती है.

महादेवा विधानसभा के जनप्रतिनिधि.
महादेवा विधानसभा के जनप्रतिनिधि.

महादेवा विधानसभा का चुनावी इतिहास
बता दें कि महादेवा विधानसभा 311 की सीट सुरक्षित सीट है और किंग मेकर वोटरों के तौर पर सबसे अधिक पिछड़ी जाति के है. इसके बाद दलित वोटरों की भूमिका इस विधानसभा के चुनाव में बेहद अहम मानी जाती है. इन्हीं दो जातियों की अधिक भागीदारी की बदौलत इस विधानसभा का विधायक चुना जाता है और उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुंचकर इन का प्रतिनिधित्व करता है.

महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.

बता दें कि वर्ष 2002 में जब सपा से रामकरण आर्य ने इस सीट से विजय हासिल किया था तब उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनी थी. रामकरण ने दूधराम को भारी मतों से हराया था. इसके बाद वर्ष 2007 में बसपा के दूधराम ने सपा के राम करन आर्य को शिकस्त दी थी, तब बसपा की सरकार बनी थी. इसके बाद 2012 विधानसभा चुनाव में सपा के रामकरण आर्य एक बार फिर बसपा के दूध राम को हराया और सपा की सरकार बन गई. वहीं, 2017 में बीजेपी से रवि सोनकर ने सपा के टिकट पर लड़ रहे रामकरण आर्य को हरा दिया और यूपी में बीजेपी सत्ता में आ गई.

महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
विधायक रवि सोनकर का रिपोर्ट कार्ड
वर्ष 2017 में मतदाताओं ने युवा नेता और पूर्व सांसद कल्पनाथ सोनकर के बेटे रवि सोनकर को विधायक चुना. आमजन की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश में लगे विधायक के प्रयास से सरयू नदी की धारा को मोड़ने की परियोजना मंजूर हुई, जो क्षेत्र की जनता के लिए बड़ी उपलब्धि है. पिछले 2 साल से बाढ़ से तबाही कम जरूर हुई है लेकिन विकास के अन्य क्षेत्र का पिछड़ापन दूर नहीं हो पाया है. यह जरूर है कि ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के साथ महापुरुषों को सम्मान मिला है, सड़क नाली पानी और बिजली की व्यवस्था को पटरी पर लाने में ही विधायक के कार्यकाल के साढ़े 4 साल बीत गए. विधायक ने ऐतिहासिक धरोहरों को न केवल सहेजा बल्कि महापुरुषों के बारे में भी युवाओं को जानने समझने का अवसर दिया है. विधायक रवि सोनकर ने अपनी निधि से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बिगुल फूंकने वाले नगर के राजा उदय प्रताप सिंह के अलावा 8 महापुरुषों की याद में स्मृति द्वार बनवाए हैं. विधायक निधि में 8 करोड़ रुपये मिले जिसमें से 5 करोड़ विकास कार्य किए जा चुके हैं. जबकि 3 करोड़ के कार्य कराने के लिए प्रस्ताव तैयार कराए जा रहे हैं. वहीं, कछुआर घाट पर पुल निर्माण का वादा अभी भी अधूरा है.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
महादेवा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.

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ये हैं प्रमुख समस्याएं
त्रेता युगीन मोक्षेश्वर नाथ धाम, बौद्ध कालीन अष्टकोणीय और बाबा बेहिलनाथ का मंदिर भी यही है. दोआबा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. अधिकांश गांव मुख्य सड़कों से अब तक नहीं जुड़ पाए हैं. यह क्षेत्र शिक्षा स्वास्थ्य उद्योग और परिवहन सुविधाओं में भी पीछे हैं. कुआनो, मनोरमा के किनारे बसे क्षेत्र के 52 गांवों के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है. क्षेत्र में तीन प्रमुख नदियां होने के बाद भी यहां ना तो नौकायन केंद्र है और ना ही पर्यटन स्थल. विधायक के प्रयास से बनकटी पीएचसी को सीएचसी का दर्जा मिला है. शादी और अन्य कार्यक्रमों के लिए 9 उत्सव वाटिका विधायक निधि से बनाई गई है लेकिन खेल के लिए कोई मैदान अभी तक नहीं उपलब्ध हो सका है.

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