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बस्ती: 3 साल से गन्ना किसानों को नहीं मिला भुगतान

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Published : Jul 12, 2020, 6:48 PM IST

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में किसानों को करीब तीन सालों से बकाए का भुगतान नहीं मिला है. किसानों का आरोप है कि जिले के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन महज आश्वासन के कुछ नहीं मिला.

गन्ना किसानों के नहीं मिल रहा भुगतान
गन्ना किसानों के नहीं मिल रहा भुगतान

बस्ती: मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देने का दावा किया था, लेकिन सरकार के लाख दावों के बाद भी गन्ना किसानों को राहत मिलती नहीं दिख रही है. हालात यह हैं कि किसानों को अपनी फसल का भुगतान तक समय से नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने इसके लिए मिल पर धरना-प्रदर्शन किया, हाईवे जाम हुआ, चिमनी तक पर चढ़े, लेकिन किसानों को सिर्फ आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला. जिले की चीनी मिलों पर अरबों रुपये बकाया गन्ना मूल्य सरकारी दावों और आश्वासनों की जमीनी हकीकत बताने के लिए काफी है.

गन्ना किसानों के नहीं मिला बकाया भुगतान.

आलाधिकारियों ने किसानों को दिया आश्वासन
फेनिल ग्रुप की 2018 में बंद हुई वाल्टरगंज चीनी मिल पर 2016-17 और 2017-18 का लगभग 65 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य और कर्मचारियों का वेतन बकाया है. किसान लगभग तीन साल से अपने बकाए के भुगतान के लिए जिले के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक से कई बार गुहार लगा चुके हैं. किसानों ने कई बार अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर अपना विरोध भी जताया, लेकिन जिले के आलाधिकारियों ने सिर्फ आश्वासन देकर उनसे अपना पीछा छुड़ा लिया. जब ईटीवी भारत ने किसानों से इस बाबत बात की तो उनका दर्द और सरकार के प्रति गुस्सा छलक कर सामने आ गया.

किसानों का छलका दर्द
किसानों ने बताया कि तीन साल हो गए हैं, लेकिन मिल प्रबन्धन हो या प्रशासन किसी ने भी भुगतान का प्रयास नहीं किया. उन्होंने कहा कि वह किसानी पर ही निर्भर हैं. उनकी मुख्य पैदावार भी गन्ना है, लेकिन मिल बन्द होने और भुगतान फंसने की वजह से अब गन्ने की खेती भी कम होने लगी है. किसानों ने कहा कि किसी के घर में शादी है, किसी को बच्चों को पढ़ना है, किसी को इलाज कराना है ऐसे में बिना भुगतान के ये सब कैसे होगा. किसानों ने कहा कि उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों ने कहा कि अगर सरकार का एक रुपया भी किसी पर रह जाए तो बकायेदार को जेल तक हो जाती है. यहां हमारा तीन साल से उधार लेकर यह लोग बैठे हैं कोई सुनने वाला नहीं है. किसानों ने कहा कि कर्मचारियों की स्थिति भी काफी दयनीय हो गयी है. पैसा न होने से परिवार में बच्चों से लेकर बूढ़े तक सब परेशान हैं. किसानों ने कहा कि जब तक बकाया मिल न जाए तब तक सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते क्योंकि अब तक तो उन्हें सिर्फ बहकाया ही गया है.

नीलामी प्रक्रिया के बाद होगा भुगतान
जिला गन्ना अधिकारी रंजीत निराला ने बताया कि जिले की बस्ती और वाल्टरगंज चीनी मिल एक ही समूह की संपत्ति हैं. दोनों मिलों पर किसानों श्रमिकों और सरकारी विभागों का रुपया लंबे समय से बकाया है. उन्होंने बताया है कि वाल्टरगंज चीनी मिल पर 55 करोड़ 78 लाख रुपये गन्ने का दाम बकाया है. 10 करोड़ 70 लाख रुपए श्रमिकों का, इसके अलावा 40 लाख रुपए बिजली के बिल का बकाया है. उन्होंने बताया कि चीनी मिल के 8 प्लांट का मूल्यांकन 25 करोड़ 88 लाख किया गया है. नीलामी की प्रक्रिया पूरा कर बकाया भुगतान किया जाएगा.

बस्ती: मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देने का दावा किया था, लेकिन सरकार के लाख दावों के बाद भी गन्ना किसानों को राहत मिलती नहीं दिख रही है. हालात यह हैं कि किसानों को अपनी फसल का भुगतान तक समय से नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने इसके लिए मिल पर धरना-प्रदर्शन किया, हाईवे जाम हुआ, चिमनी तक पर चढ़े, लेकिन किसानों को सिर्फ आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला. जिले की चीनी मिलों पर अरबों रुपये बकाया गन्ना मूल्य सरकारी दावों और आश्वासनों की जमीनी हकीकत बताने के लिए काफी है.

गन्ना किसानों के नहीं मिला बकाया भुगतान.

आलाधिकारियों ने किसानों को दिया आश्वासन
फेनिल ग्रुप की 2018 में बंद हुई वाल्टरगंज चीनी मिल पर 2016-17 और 2017-18 का लगभग 65 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य और कर्मचारियों का वेतन बकाया है. किसान लगभग तीन साल से अपने बकाए के भुगतान के लिए जिले के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक से कई बार गुहार लगा चुके हैं. किसानों ने कई बार अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर अपना विरोध भी जताया, लेकिन जिले के आलाधिकारियों ने सिर्फ आश्वासन देकर उनसे अपना पीछा छुड़ा लिया. जब ईटीवी भारत ने किसानों से इस बाबत बात की तो उनका दर्द और सरकार के प्रति गुस्सा छलक कर सामने आ गया.

किसानों का छलका दर्द
किसानों ने बताया कि तीन साल हो गए हैं, लेकिन मिल प्रबन्धन हो या प्रशासन किसी ने भी भुगतान का प्रयास नहीं किया. उन्होंने कहा कि वह किसानी पर ही निर्भर हैं. उनकी मुख्य पैदावार भी गन्ना है, लेकिन मिल बन्द होने और भुगतान फंसने की वजह से अब गन्ने की खेती भी कम होने लगी है. किसानों ने कहा कि किसी के घर में शादी है, किसी को बच्चों को पढ़ना है, किसी को इलाज कराना है ऐसे में बिना भुगतान के ये सब कैसे होगा. किसानों ने कहा कि उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों ने कहा कि अगर सरकार का एक रुपया भी किसी पर रह जाए तो बकायेदार को जेल तक हो जाती है. यहां हमारा तीन साल से उधार लेकर यह लोग बैठे हैं कोई सुनने वाला नहीं है. किसानों ने कहा कि कर्मचारियों की स्थिति भी काफी दयनीय हो गयी है. पैसा न होने से परिवार में बच्चों से लेकर बूढ़े तक सब परेशान हैं. किसानों ने कहा कि जब तक बकाया मिल न जाए तब तक सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते क्योंकि अब तक तो उन्हें सिर्फ बहकाया ही गया है.

नीलामी प्रक्रिया के बाद होगा भुगतान
जिला गन्ना अधिकारी रंजीत निराला ने बताया कि जिले की बस्ती और वाल्टरगंज चीनी मिल एक ही समूह की संपत्ति हैं. दोनों मिलों पर किसानों श्रमिकों और सरकारी विभागों का रुपया लंबे समय से बकाया है. उन्होंने बताया है कि वाल्टरगंज चीनी मिल पर 55 करोड़ 78 लाख रुपये गन्ने का दाम बकाया है. 10 करोड़ 70 लाख रुपए श्रमिकों का, इसके अलावा 40 लाख रुपए बिजली के बिल का बकाया है. उन्होंने बताया कि चीनी मिल के 8 प्लांट का मूल्यांकन 25 करोड़ 88 लाख किया गया है. नीलामी की प्रक्रिया पूरा कर बकाया भुगतान किया जाएगा.

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