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शिक्षक दिवस विशेष: कान्वेंट को मात दे रहा बस्ती का यह सरकारी स्कूल - प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट बस्ती

किसी भी व्यक्ति के जीवन में पथप्रदर्शक के रूप में एक शिक्षक की भूमिका अहम होती है. हर शिक्षक की कोशिश होती है कि वह अपने छात्रों के जीवन में बदलाव ला सके. आज 5 सितम्बर यानि शिक्षक दिवस पर हम ऐसे ही एक शिक्षक डॉक्टर सर्वेष्ट मिश्रा की बात करेंगे, जो अपने नवाचार और मेहनत से आज जिला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में शिक्षकों के लिए रोल मॉडल हैं.

national award winner teacher sarvesht special story
प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट.
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Published : Sep 5, 2020, 8:36 PM IST

बस्ती: प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा और सुविधा की बात करें तो हम कहीं पीछे खड़े नजर आते हैं. इतना ही नहीं, धीरे-धीरे यह धारणा भी बनी कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो ही नहीं सकता, लेकिन बस्ती जिले के प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट की बेहतर सुविधाओं और पढ़ाई से प्रदेश भर में एक अलग पहचान बन गई है. यह सब इस स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉक्टर सर्वेष्ट के अथक परिश्रम की बदौलत हो सका है. इस स्कूल में बच्चे प्रोजेक्टर और बिजली-पंखे की सुविधा में बैठकर पढ़ाई करते है. डॉ. सर्वेष्ट को इनके बेहतर कार्य के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है.

देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

स्कूल में मिल रही कान्वेंट जैसी सुविधा
प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट आज प्रधानाध्यापक डॉक्टर सर्वेष्ट की कर्मठता के कारण किसी कान्वेंट स्कूल से अधिक सुविधाओं से लैश हो गया है. बच्चों की संख्या भी 300 हो चुकी है. लॉकडाउन के दौरान लगभग 100 बच्चों ने इस विद्यालय में एडमिशन लिया है. विद्यालय में स्मार्ट क्लास, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, सीट बेंच, बिजली, पंखे, सोलर लाइट, सभी कमरों में हवाइट बोर्ड, टीएलएम कार्नर, वॉल पुट्टी, प्लास्टिक पेंट, रंग बिरंगी पेंटिंग से सजी दीवारें, पेड़-पौधों और फूलों से सुसज्जित परिसर लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि यह कोई सरकारी स्कूल है या प्राइवेट स्कूल. इस स्कूल में बच्चों को न केवल गतिविधि आधारित शिक्षा देने की व्यवस्था है, बल्कि पुस्तकालय, व्यक्तित्व निर्माण केन्द्र, खेल सामग्री, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आर्ट क्राफ्ट सिखाने की भी व्यवस्था है.

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बच्चों को पढ़ाते डॉक्टर सर्वेष्ट मिश्रा.

सोशल मीडिया पर भी बनाई पहचान
प्राथमिक विद्यालय में बाल अखबार का प्रकाशन किया जाता है. बच्चों में कम्पटीशन की भावना विकसित करने के लिए स्टार ऑफ द मंथ छात्र-छात्राओं व शिक्षकों के चयन किए जाने का कार्य होता है. प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट का सोशल मीडिया व इंटरनेट पर पर भी अपनी अलग पहचान है. विद्यालय का खुद का फेसबुक पेज, ट्वीटर पर हैश टैग 'एमपीएस मूड़घाट' के नाम से उपलब्ध है. विद्यालय की वेबसाइट बनने की प्रक्रिया में है. स्कूल के स्मार्ट क्लास में केवल बच्चों को पढ़ाया ही नहीं जाता, बल्कि विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, रसोईयों और शिक्षकों के प्रशिक्षण का काम भी किया जाता है.

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प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट.

ऑनलाइन चल रही क्लास
डाॅ. सर्वेष्ट ने विद्यालय में सारी सुविधाएं अपने स्वयं के पैसे खर्च कर और जनसहयोग से विकसित किया है. लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद चल रहे थे तो उस दौरान भी डॉक्टर सर्वेष्ट और उनकी टीम ने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण कार्य कराया. उन्होंने ऑनलाइन के माध्यम से एक डिजिटल क्लास विकसित करके उसमें बच्चों और उनके शिक्षकों को सीधे जोड़ा. इससे स्कूल में न होते हुए भी बच्चे शिक्षा से वंचित नहीं रहे. अभी भी ऑनलाइन शिक्षण की यह प्रक्रिया चल रही है.

शिक्षिका आराधना श्रीवास्तव ने बताया कि प्रिंसिपल डॉ सर्वेष्ट के दिशा निर्देश के क्रम में हम लोग ऑनलाइन बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वाट्सएप ग्रुप के जरिए हम बच्चों से सवाल जवाब करते हैं. बच्चों के टेस्ट भी कराए जाते हैं. वहीं छात्रों ने भी कहा कि स्कूल बंद होने के बाद भी वे पढ़ाई कर पा रहे हैं.

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प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट

नजीर बना प्राथमिक विद्यालय मुड़घाट
फिलहाल आदर्श प्राथमिक विद्यालय मूडघाट आज प्रदेश के बदहाल बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के लिए एक नजीर बन गया है. इसके लिए डॉक्टर सर्वेष्ट को 2017 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. ईटीवी भारत से बातचीत में शिक्षक डाॅ. सर्वेष्ट ने बताया कि तीन साल पहले जब यहां ज्वॉइन करने पहुंचे तो बड़ी हैरानी हुई कि यहां तो समस्याओं का अंबार लगा था. उस दौरान सिर्फ विद्यालय में 19 बच्चे मिले थे. विद्यालय की दशा जर्जर और संसाधनों का घोर अभाव था. लेकिन धीरे धीरे जनसहयोग और साथी शिक्षकों के सहयोग से हमने विद्यालय में सुविधाओं को बढ़ाया. शिक्षा को लेकर नवाचार किये. धीरे धीरे बच्चों को संख्या बढ़ने लगी. लोग जुड़ने लगे और आज लगभग 40 लाख का काम विद्यालय में हो चुका है.

विद्यालय में बच्चों को हर प्रकार की सुविधा दी जा रही है. लगभग 300 बच्चों का नामांकन यहां हुआ है. हालत यह हैं कि लॉकडाउन में लगभग 100 बच्चों ने एडमिशन लिया. जगह की कमी की वजह से हमें एडमिशन बन्द करना पड़ा. आज हमारा स्कूल रोल मॉडल बनकर उभरा है. सरकार ने इसके लिए मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया, जो मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है.

-डॉक्टर सर्वेष्ट मिश्र, प्रधानाध्यापक, मुड़घाट प्राथमिक विद्यालय

25 हजार शिक्षकों को दिया जा चुका प्रशिक्षण
डॉ सर्वेष्ट मिश्र ने एडुलीडर्स की टीम बनाई है, जिसमें प्रदेश के 75 जिलों के शिक्षक ऑनलाइन जुड़े हैं. इस टीम के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था और स्कूलों को बेहतर बनाने पर काम किया जाता है. अब तक 25 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. शिक्षा विभाग डॉक्टर सर्वेष्ट को डायट, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण देने के लिए भी भेजता है.

बस्ती: प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा और सुविधा की बात करें तो हम कहीं पीछे खड़े नजर आते हैं. इतना ही नहीं, धीरे-धीरे यह धारणा भी बनी कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो ही नहीं सकता, लेकिन बस्ती जिले के प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट की बेहतर सुविधाओं और पढ़ाई से प्रदेश भर में एक अलग पहचान बन गई है. यह सब इस स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉक्टर सर्वेष्ट के अथक परिश्रम की बदौलत हो सका है. इस स्कूल में बच्चे प्रोजेक्टर और बिजली-पंखे की सुविधा में बैठकर पढ़ाई करते है. डॉ. सर्वेष्ट को इनके बेहतर कार्य के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है.

देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

स्कूल में मिल रही कान्वेंट जैसी सुविधा
प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट आज प्रधानाध्यापक डॉक्टर सर्वेष्ट की कर्मठता के कारण किसी कान्वेंट स्कूल से अधिक सुविधाओं से लैश हो गया है. बच्चों की संख्या भी 300 हो चुकी है. लॉकडाउन के दौरान लगभग 100 बच्चों ने इस विद्यालय में एडमिशन लिया है. विद्यालय में स्मार्ट क्लास, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, सीट बेंच, बिजली, पंखे, सोलर लाइट, सभी कमरों में हवाइट बोर्ड, टीएलएम कार्नर, वॉल पुट्टी, प्लास्टिक पेंट, रंग बिरंगी पेंटिंग से सजी दीवारें, पेड़-पौधों और फूलों से सुसज्जित परिसर लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि यह कोई सरकारी स्कूल है या प्राइवेट स्कूल. इस स्कूल में बच्चों को न केवल गतिविधि आधारित शिक्षा देने की व्यवस्था है, बल्कि पुस्तकालय, व्यक्तित्व निर्माण केन्द्र, खेल सामग्री, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आर्ट क्राफ्ट सिखाने की भी व्यवस्था है.

national award winner teacher sarvesht special story
बच्चों को पढ़ाते डॉक्टर सर्वेष्ट मिश्रा.

सोशल मीडिया पर भी बनाई पहचान
प्राथमिक विद्यालय में बाल अखबार का प्रकाशन किया जाता है. बच्चों में कम्पटीशन की भावना विकसित करने के लिए स्टार ऑफ द मंथ छात्र-छात्राओं व शिक्षकों के चयन किए जाने का कार्य होता है. प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट का सोशल मीडिया व इंटरनेट पर पर भी अपनी अलग पहचान है. विद्यालय का खुद का फेसबुक पेज, ट्वीटर पर हैश टैग 'एमपीएस मूड़घाट' के नाम से उपलब्ध है. विद्यालय की वेबसाइट बनने की प्रक्रिया में है. स्कूल के स्मार्ट क्लास में केवल बच्चों को पढ़ाया ही नहीं जाता, बल्कि विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, रसोईयों और शिक्षकों के प्रशिक्षण का काम भी किया जाता है.

national award winner teacher sarvesht special story
प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट.

ऑनलाइन चल रही क्लास
डाॅ. सर्वेष्ट ने विद्यालय में सारी सुविधाएं अपने स्वयं के पैसे खर्च कर और जनसहयोग से विकसित किया है. लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद चल रहे थे तो उस दौरान भी डॉक्टर सर्वेष्ट और उनकी टीम ने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण कार्य कराया. उन्होंने ऑनलाइन के माध्यम से एक डिजिटल क्लास विकसित करके उसमें बच्चों और उनके शिक्षकों को सीधे जोड़ा. इससे स्कूल में न होते हुए भी बच्चे शिक्षा से वंचित नहीं रहे. अभी भी ऑनलाइन शिक्षण की यह प्रक्रिया चल रही है.

शिक्षिका आराधना श्रीवास्तव ने बताया कि प्रिंसिपल डॉ सर्वेष्ट के दिशा निर्देश के क्रम में हम लोग ऑनलाइन बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वाट्सएप ग्रुप के जरिए हम बच्चों से सवाल जवाब करते हैं. बच्चों के टेस्ट भी कराए जाते हैं. वहीं छात्रों ने भी कहा कि स्कूल बंद होने के बाद भी वे पढ़ाई कर पा रहे हैं.

national award winner teacher sarvesht special story
प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट

नजीर बना प्राथमिक विद्यालय मुड़घाट
फिलहाल आदर्श प्राथमिक विद्यालय मूडघाट आज प्रदेश के बदहाल बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के लिए एक नजीर बन गया है. इसके लिए डॉक्टर सर्वेष्ट को 2017 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. ईटीवी भारत से बातचीत में शिक्षक डाॅ. सर्वेष्ट ने बताया कि तीन साल पहले जब यहां ज्वॉइन करने पहुंचे तो बड़ी हैरानी हुई कि यहां तो समस्याओं का अंबार लगा था. उस दौरान सिर्फ विद्यालय में 19 बच्चे मिले थे. विद्यालय की दशा जर्जर और संसाधनों का घोर अभाव था. लेकिन धीरे धीरे जनसहयोग और साथी शिक्षकों के सहयोग से हमने विद्यालय में सुविधाओं को बढ़ाया. शिक्षा को लेकर नवाचार किये. धीरे धीरे बच्चों को संख्या बढ़ने लगी. लोग जुड़ने लगे और आज लगभग 40 लाख का काम विद्यालय में हो चुका है.

विद्यालय में बच्चों को हर प्रकार की सुविधा दी जा रही है. लगभग 300 बच्चों का नामांकन यहां हुआ है. हालत यह हैं कि लॉकडाउन में लगभग 100 बच्चों ने एडमिशन लिया. जगह की कमी की वजह से हमें एडमिशन बन्द करना पड़ा. आज हमारा स्कूल रोल मॉडल बनकर उभरा है. सरकार ने इसके लिए मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया, जो मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है.

-डॉक्टर सर्वेष्ट मिश्र, प्रधानाध्यापक, मुड़घाट प्राथमिक विद्यालय

25 हजार शिक्षकों को दिया जा चुका प्रशिक्षण
डॉ सर्वेष्ट मिश्र ने एडुलीडर्स की टीम बनाई है, जिसमें प्रदेश के 75 जिलों के शिक्षक ऑनलाइन जुड़े हैं. इस टीम के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था और स्कूलों को बेहतर बनाने पर काम किया जाता है. अब तक 25 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. शिक्षा विभाग डॉक्टर सर्वेष्ट को डायट, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण देने के लिए भी भेजता है.

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