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बस्ती: कृषि यंत्री में करोड़ों के घोटाले पर घिरा कृषि विभाग, अधिकारी दे रहे गोल मोल जवाब

यूपी के बस्ती जिले में उप कृषि निदेशक कार्यालय से खलिहान पक्कीकरण योजना की पत्रावली गायब होने के बाद अब हरित क्रांति योजना की पत्रावली के भी गायब होने का मामला सामने आया है. अधिकारी उस समय हरकत में आए, जब डीएम ने इस पर उप कृषि निदेशक से जबाव-तलब किया.

two files missing from office of deputy director of agriculture in basti
बस्ती में उप कृषि निदेशक कार्यालय से दो पत्रावली गायब.
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Published : Feb 4, 2020, 2:13 AM IST

बस्ती: अभी उप कृषि निदेशक कार्यालय में ‘खलिहान पक्कीकरण’ योजना की पत्रावली गायब होने का मामला चल ही रहा था कि ‘हरित क्रांति योजना' की पत्रावली गायब होने का मामला सामने आ गया है. दोनों योजनाओं की पत्रावली में करोड़ों रुपये के अनुदान का राज छिपा हुआ है. दावा किया जा रहा है कि जांच और कार्रवाई से बचने के लिए ही पत्रावली को गायब कर दिया गया है. उस पर अधिकारी बहाना यह बना रहे हैं कि पत्रावली लिपिक अपने साथ ले गए हैं और वापस मंगाने के लिए लिखा-पढ़ी की जा रही है.

कृषि मंत्री ने आरोपों को नकारा.

डीएम ने उप कृषि निदेशक से मांगा जवाब
खलिहान पक्कीकरण योजना की पत्रावली गायब हुए छह माह से अधिक का समय हो गया, मगर विभाग के अधिकारी मुकदमा दर्ज कराने के बजाए लिखा-पढ़ी में पड़े हुए हैं. इसी बात से विभागीय अधिकारियों की सक्रियता और पत्रावली के प्रति संवेदनशीलता का पता लगाया जा सकता है. अधिकारी उस समय हरकत में आए, जब डीएम ने इस पर उप कृषि निदेशक से जबाव-तलब किया.

डीएम को दिया गया यह जवाब
जिला विकास अधिकारी के जरिए डीएम को जबाव दिया गया, जिसमें पत्रावली के गायब होने की बात को ही नकार दिया गया गया और सिर्फ इतना कहा गया कि पत्रावली लिपिक अपने साथ बहराइच लेकर चले गए हैं. अब सवाल उठता है कि अनुदान जैसे महत्वपूर्ण पत्रावली अगर कार्यालय से छह माह से अधिक समय से गायब हैं या फिर लिपिक लेकर चले गए तो विभागीय अधिकारी क्या कर रहे हैं?

उप कृषि निदेशक ने लिपिक को लिखा पत्र
‘हरितक्रांति योजना' में कृषि यंत्रों पर दिए गए करोड़ों के अनुदान वाली पत्रावली तत्कालीन वरिष्ठ सहायक वीरेंद्र नाथ दूबे की अभिरक्षा में था. इनका भी तबादला छह माह से अधिक हुए श्रावस्ती हो गया. वीरेन्द्र नाथ दूबे अपने साथ अनुदान वाली पत्रावली भी ले गए, ताकि गोलमाल का राज न खुल सके. अब जरा उप कृषि निदेशक के उस पत्र पर नजर डालिए, जो उन्होंने 28 जनवरी 2020 को वरिष्ठ सहायक को डीडीए श्रावस्ती के जरिए लिपिक को लिखा.

आरोपी लिपिक से उप कृषि निदेशक की ओर से यह निवेदन किया गया है कि अगर आप पत्रावली वापस कर दें तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी. उप कृषि निदेशक 26 जुलाई 2019 से ही पत्राचार के जरिए पत्रावली ले जाने या फिर गायब कर देने वाले लिपिक से निवेदन के लहजे में पत्रावली मांग रहे हैं. यह वही प्रसन्न होने वाले ‘साहब’ हैं, जो हाल ही में तंत्रमंत्र के जरिए कमिश्नर और डीएम का तबादला करवाने के लिए एक बाबा का सहारा लेने के कारण चर्चा में आ चुके हैं.

...कैसे गायब हो रही फाइल
उप निदेशक कृषि कार्यालय से एक नहीं दो-दो अनुदान वाली पत्रावली गायब हो जाती है और विभागीय अधिकारी कोई कार्रवाई के बजाए पत्रावली ले जाने या गायब कर देने वाले लिपिक से पत्रावली वापस करने की याचना कर रहे है. अब इस मामले में डीएम से कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.

कृषि मंत्री ने आरोपों को नकारा
इस मामले में बीजेपी नेता हरीश सिंह ने शासन में शिकायत की है. वहीं उप कृषि निदेशक संजय कुमार त्रिपाठी ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि फाइल गायब नहीं है, कार्यालय में रखी है. हालांकि वे अपने उस पत्र का जवाब नहीं दे सके, जिसमें अधिकारी खुद बाबू से फाइल वापस करने का निवेदन कर रहे हैं. वहीं यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने विभाग पर लगे आरोपों को सिरे से नकार दिया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं है.

ये भी पढ़ें: बस्ती महोत्सव: समापन मंच पर दिखा 1857 का नजारा, पीनाज मसानी ने सुरों से सजाई शाम

बस्ती: अभी उप कृषि निदेशक कार्यालय में ‘खलिहान पक्कीकरण’ योजना की पत्रावली गायब होने का मामला चल ही रहा था कि ‘हरित क्रांति योजना' की पत्रावली गायब होने का मामला सामने आ गया है. दोनों योजनाओं की पत्रावली में करोड़ों रुपये के अनुदान का राज छिपा हुआ है. दावा किया जा रहा है कि जांच और कार्रवाई से बचने के लिए ही पत्रावली को गायब कर दिया गया है. उस पर अधिकारी बहाना यह बना रहे हैं कि पत्रावली लिपिक अपने साथ ले गए हैं और वापस मंगाने के लिए लिखा-पढ़ी की जा रही है.

कृषि मंत्री ने आरोपों को नकारा.

डीएम ने उप कृषि निदेशक से मांगा जवाब
खलिहान पक्कीकरण योजना की पत्रावली गायब हुए छह माह से अधिक का समय हो गया, मगर विभाग के अधिकारी मुकदमा दर्ज कराने के बजाए लिखा-पढ़ी में पड़े हुए हैं. इसी बात से विभागीय अधिकारियों की सक्रियता और पत्रावली के प्रति संवेदनशीलता का पता लगाया जा सकता है. अधिकारी उस समय हरकत में आए, जब डीएम ने इस पर उप कृषि निदेशक से जबाव-तलब किया.

डीएम को दिया गया यह जवाब
जिला विकास अधिकारी के जरिए डीएम को जबाव दिया गया, जिसमें पत्रावली के गायब होने की बात को ही नकार दिया गया गया और सिर्फ इतना कहा गया कि पत्रावली लिपिक अपने साथ बहराइच लेकर चले गए हैं. अब सवाल उठता है कि अनुदान जैसे महत्वपूर्ण पत्रावली अगर कार्यालय से छह माह से अधिक समय से गायब हैं या फिर लिपिक लेकर चले गए तो विभागीय अधिकारी क्या कर रहे हैं?

उप कृषि निदेशक ने लिपिक को लिखा पत्र
‘हरितक्रांति योजना' में कृषि यंत्रों पर दिए गए करोड़ों के अनुदान वाली पत्रावली तत्कालीन वरिष्ठ सहायक वीरेंद्र नाथ दूबे की अभिरक्षा में था. इनका भी तबादला छह माह से अधिक हुए श्रावस्ती हो गया. वीरेन्द्र नाथ दूबे अपने साथ अनुदान वाली पत्रावली भी ले गए, ताकि गोलमाल का राज न खुल सके. अब जरा उप कृषि निदेशक के उस पत्र पर नजर डालिए, जो उन्होंने 28 जनवरी 2020 को वरिष्ठ सहायक को डीडीए श्रावस्ती के जरिए लिपिक को लिखा.

आरोपी लिपिक से उप कृषि निदेशक की ओर से यह निवेदन किया गया है कि अगर आप पत्रावली वापस कर दें तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी. उप कृषि निदेशक 26 जुलाई 2019 से ही पत्राचार के जरिए पत्रावली ले जाने या फिर गायब कर देने वाले लिपिक से निवेदन के लहजे में पत्रावली मांग रहे हैं. यह वही प्रसन्न होने वाले ‘साहब’ हैं, जो हाल ही में तंत्रमंत्र के जरिए कमिश्नर और डीएम का तबादला करवाने के लिए एक बाबा का सहारा लेने के कारण चर्चा में आ चुके हैं.

...कैसे गायब हो रही फाइल
उप निदेशक कृषि कार्यालय से एक नहीं दो-दो अनुदान वाली पत्रावली गायब हो जाती है और विभागीय अधिकारी कोई कार्रवाई के बजाए पत्रावली ले जाने या गायब कर देने वाले लिपिक से पत्रावली वापस करने की याचना कर रहे है. अब इस मामले में डीएम से कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.

कृषि मंत्री ने आरोपों को नकारा
इस मामले में बीजेपी नेता हरीश सिंह ने शासन में शिकायत की है. वहीं उप कृषि निदेशक संजय कुमार त्रिपाठी ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि फाइल गायब नहीं है, कार्यालय में रखी है. हालांकि वे अपने उस पत्र का जवाब नहीं दे सके, जिसमें अधिकारी खुद बाबू से फाइल वापस करने का निवेदन कर रहे हैं. वहीं यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने विभाग पर लगे आरोपों को सिरे से नकार दिया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं है.

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Intro:रिपोर्ट - सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो -9889557333

स्लग - कृषि विभाग में करोड़ों का घोटाला, बाबू फाइल लेकर फरार !

एंकर - अभी उप कृषि निदेषक कार्यालय में ‘खलिहान पक्कीकरण’ योजना की पत्रावली गायब होने का मामला चल ही रहा था कि ‘हरितक्रांति योजना की पत्रावली गायब होने का मामला सामने आ गया है। दोनों योजनाओं की पत्रावली में करोड़ो रुपये के अनुदान का राज छिपा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि जांच और कार्रवाई से बचने के लिए ही पत्रावली को गायब कर दिया गया। उस पर अधिकारी बहाना यह बना रहे हैं कि पत्रावली लिपिक अपने साथ ले गए है, और वापस मंगाने के लिए लिखा पढ़ी की जा रही है। खलिहान पक्कीकरण योजना की पत्रावली गायब हुए छह माह से अधिक का समय हो गया, मगर विभाग के अधिकारी मुकदमा दर्ज कराने के बजाए लिखा-पढ़ी में पड़े हुए है। इसी बात से विभागीय अधिकारियों की सक्रियता और पत्रावली के प्रति संवेदनषीलता का पता लगाया जा सकता है। अधिकारी उस समय हरकत में आए जब डीएम ने इस पर उप कृषि निदेषक से जबाव-तलब किया। जिला विकास अधिकारी के जरिए डीएम को जबाव दिया गया, जिसमें पत्रावली के गायब होने की बात को ही नकार दिया गया गया और सिर्फ इतना कहा गया कि पत्रावली लिपिक अपने साथ बहराइच लेकर चले गएं हैं। अब सवाल उठता है कि अनुदान जैसे महत्वपूर्ण पत्रावली अगर कार्यालय से छह माह से अधिक समय से गायब है, या फिर लिपिक लेकर चले गए तो विभागीय अधिकारी क्या कर रहे हैे। क्यों नहीं कोई कार्रवाई की गई, इससे पता चलता है कि अनुदान के गोलमाल के उजागर होने से विभागीय अधिकारी घबड़ा रहे हैं, जबकि कृषि भवन में जेडीए का कार्यालय भी है। हालांकि डीडी संजय कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि बस्ती से बहराइच तबादला होकर गए अमन प्रताप सिंह को 28 जनवरी 20 को डीडीए बहराइच के जरिए पत्र लिखा गया है कि अगर पत्रावली वापस कर दे उन्हें बहुत प्रसन्नता होगी। अब आ जाइए ‘हरितक्रंाति’ योजना में कृषि यंत्रों पर दिए गए करोड़ों का अनुदान देने वाली पत्रावली के गायब होने का मामला। यह पत्रावली तत्कालीन वरिष्ठ सहायक वीरेंद्र नाथ दूबे की अभिरक्षा में था। इनका भी तबादला छह माह से अधिक हुए श्रावस्ती हो गया। यह ‘साहब’ अपने साथ अनुदान वाली पत्रावली भी ले गए, ताकि गोलमाल का राज न खुल सके। अब जरा डीडीए के उस पत्र पर नजर डालिए जो उन्होंने 28 जनवरी 20 को वरिष्ठ सहायक को डीडीए श्रावस्ती के जरिए लिपिक को लिखा, आरोपी लिपिक डीडीए की ओर से यह निवेदन किया गया है कि अगर आप पत्रावली वापस कर दे तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी। डीडीए 26 जुलाई 19 से ही पत्राचार के जरिए पत्रावली ले जाने या फिर गायब कर देने वाले लिपिक से निवेदन के लहजे में कर रहा है कि पत्रावली वापस करने पर प्रसन्नता होगी। लिपिक हैं कि पत्रावली वापस ही नहीं कर रहे है, और न डीडीए को प्रसन्न होने का मौका दे रहे है। यह वही प्रसन्न होने वाले ‘साहब’ है, जो हाल ही में तंत्रमंत्र के जरिए कमिष्नर और डीएम का तबादला करवाने के लिए एक बाबा का सहारा लेने के कारण चर्चा में आ चुके है।


Body:उप निदेषक कृषि कार्यालय से एक नहीं दो-दो अनुदान वाली पत्रावली गायब हो जाती है, और विभागीय अधिकारी कोई कार्रवाई के बजाए पत्रावली ले जाने या गायब कर देने वाले लिपिक से पत्रावली वापस करने की याचना कर रहे है। कहा जा रहा है कि एक बाबू की इतनी हिम्मत कि वह पत्रावली अपने साथ ले जाए और मांगने के बावजूद वापस न करे, और अधिकारी कार्रवाई करने के बजाए निवेदन करे, यह बात किसी के भी समझ से परे है। इसलिए अब इस मामले में डीएम से कार्रवाई करने की मांग की जा रही है।





Conclusion:इस मामले मै बीजेपी नेता हरीश सिंह ने शासन में शिकायत की है जब कि मामले कि जांच अभी अधर में लटकी हुई है, वहीं विभाग के विभागध्यक्ष संजय कुमार त्रिपाठी ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि फाइल गायब नहीं है, अलमीरा में रखा है, लेकिन वो अपने उस पत्र का जवाब नहीं दे सके जिसमें अधिकारी खुद बाबू से फाइल वापस करने का निवेदन कर रहे। वहीं यूपी के कृषि मंत्री ने अपने विभाग पर लगे आरोपों को सिरे से नकार दिया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं है।

बाइट - हरीश सिंह,,, शिकायतकर्ता
बाइट - संजय त्रिपाठी,,,, उप कृषि निदेशक
बाइट - सूर्य प्रताप शाही,,, कृषि मंत्री


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