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बस्ती: किसानों ने एसडीएम पर जबरन सड़क बनाने का लगाया आरोप

यूपी के बस्ती जिले में सड़क निर्माण का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसका जिक्र भूलेख में ही नहीं हैं. इसके बावजूद 49 लाख की लागत से सड़क का निर्माण कराया जा रहा है. किसानों की माने तो निर्माण कार्य के दौरान किसानों ने आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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लोक निर्माण विभाग.
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Published : Sep 15, 2020, 3:36 AM IST

बस्ती: जिले के वाल्टरगंज से बभनान मार्ग का एक मामला सामने आया है. भूलेख में सड़क का जिक्र कहीं भी नहीं है. बावजूद इसके 49 लाख की सड़क का निर्माण किया जा रहा है. आज से 35 साल पहले पक्की सड़क लगभग तीन मीटर की बनाई गई थी, जिसका चौड़ीकरण किया जा रहा है. किसानों की माने तो निर्माण कार्य के दौरान किसानों ने आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. 25 किलोमीटर की सड़क में 500 मीटर सड़क का कार्य विवादित है. इस वजह से निर्माण कार्य रुका हुआ है.

वाल्टरगंज थाना क्षेत्र के भरौली बाबू से चाईबारी तक किसानों ने आरोप लगाया कि सदर एसडीएम आशा राम ग्रमीणों से वार्ता करने पहुंचे थे. ग्रमीणों से बातचीत के दौरान मुआवजा न मिलने तक सड़क पर निर्माण कार्य रोकने के लिए सिफारिश की. साथ ही यह अवगत कराया कि सड़क का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा सिद्धार्थ कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार विकास जैन के माध्यम से कराया जा रहा है. इस सड़क का अभिलेखों में कहीं पक्की सड़क का जिक्र नहीं है. इस मामले में उच्च न्यायालय में वाद दाखिल है. इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से दस्तावेज मांगे गए, लेकिन विभाग के पास कोई दस्तावेज नहीं है. अभी तक कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है. किसानों ने सदर एसडीएम पर जबरन जमीन पर सड़क बनाने का गंभीर आरोप लगाया है.

शिकायतकर्ता संजय सिंह ने बताया कि पीडब्लूडी के पास कोई दस्तावेज नहीं है, ताकि सड़क का प्रमाण हो. वहीं अभिलेखों में किसानों के नाम खेत के नंबर दर्ज हैं. इस मामले में पूर्व एसडीएम श्री प्रकाश शुक्ला द्वारा किसानों का हित देखते हुए सड़क कार्य को रोक दिया गया था. वहीं अब हाल ही में आए एसडीएम के द्वारा काम कराने का दबाव बनाया जा रहा है. इस बात की शिकायत कमिश्नर अनिल सागर से की गई. सड़क निर्माण में 6 से अधिक किसानों की जमीन पर निर्माण कराया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि प्रशासन उनके साथ जबरदस्ती कर रहा है.

कमिश्नर अनिल सागर ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के द्वारा जो रोड बनी है उसे पटरी पर ही निर्माण करना चाहिए. अगर जमीन की जरूरत पड़ती है तो उस दशा में लैंड एक्विजीशन का प्रोसेस करना चाहिए. ये प्रकरण संज्ञान में आया है. जिलाधिकारी के माध्यम से जांच कराई जाएगी. अगर पीडब्लूडी पटरी से बाहर जमीन ले रही है तो उसे उचित मुआवजा दिया जाएगा.

बस्ती: जिले के वाल्टरगंज से बभनान मार्ग का एक मामला सामने आया है. भूलेख में सड़क का जिक्र कहीं भी नहीं है. बावजूद इसके 49 लाख की सड़क का निर्माण किया जा रहा है. आज से 35 साल पहले पक्की सड़क लगभग तीन मीटर की बनाई गई थी, जिसका चौड़ीकरण किया जा रहा है. किसानों की माने तो निर्माण कार्य के दौरान किसानों ने आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. 25 किलोमीटर की सड़क में 500 मीटर सड़क का कार्य विवादित है. इस वजह से निर्माण कार्य रुका हुआ है.

वाल्टरगंज थाना क्षेत्र के भरौली बाबू से चाईबारी तक किसानों ने आरोप लगाया कि सदर एसडीएम आशा राम ग्रमीणों से वार्ता करने पहुंचे थे. ग्रमीणों से बातचीत के दौरान मुआवजा न मिलने तक सड़क पर निर्माण कार्य रोकने के लिए सिफारिश की. साथ ही यह अवगत कराया कि सड़क का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा सिद्धार्थ कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार विकास जैन के माध्यम से कराया जा रहा है. इस सड़क का अभिलेखों में कहीं पक्की सड़क का जिक्र नहीं है. इस मामले में उच्च न्यायालय में वाद दाखिल है. इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से दस्तावेज मांगे गए, लेकिन विभाग के पास कोई दस्तावेज नहीं है. अभी तक कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है. किसानों ने सदर एसडीएम पर जबरन जमीन पर सड़क बनाने का गंभीर आरोप लगाया है.

शिकायतकर्ता संजय सिंह ने बताया कि पीडब्लूडी के पास कोई दस्तावेज नहीं है, ताकि सड़क का प्रमाण हो. वहीं अभिलेखों में किसानों के नाम खेत के नंबर दर्ज हैं. इस मामले में पूर्व एसडीएम श्री प्रकाश शुक्ला द्वारा किसानों का हित देखते हुए सड़क कार्य को रोक दिया गया था. वहीं अब हाल ही में आए एसडीएम के द्वारा काम कराने का दबाव बनाया जा रहा है. इस बात की शिकायत कमिश्नर अनिल सागर से की गई. सड़क निर्माण में 6 से अधिक किसानों की जमीन पर निर्माण कराया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि प्रशासन उनके साथ जबरदस्ती कर रहा है.

कमिश्नर अनिल सागर ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के द्वारा जो रोड बनी है उसे पटरी पर ही निर्माण करना चाहिए. अगर जमीन की जरूरत पड़ती है तो उस दशा में लैंड एक्विजीशन का प्रोसेस करना चाहिए. ये प्रकरण संज्ञान में आया है. जिलाधिकारी के माध्यम से जांच कराई जाएगी. अगर पीडब्लूडी पटरी से बाहर जमीन ले रही है तो उसे उचित मुआवजा दिया जाएगा.

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