बस्ती: कोरोना ने पूरे विश्व में जब तबाही मचाई तो भारत की संयुक्त परिवार की पुरानी सभ्यता फिर उभरकर सामने आ गई. घर-परिवार छोड़कर कभी शहर गए लोगों का बंद कमरे में जब मन भर गया तो गांव का आंगन याद आया. जिसके बाद पूरा का पूरा कुनबा अपने गांव आने को मजबूर हो उठा. घर का आंगन एक बार फिर नए-पुराने परिवार के सदस्यों से खिल उठा. खासकर बच्चों के लिए जो गांव से बिल्कुल अछूते थे, उन्हें तो ऐसा लगा कि जैसे खुला आसमां मिल गया. बड़ों के अनुभव, गांव के किस्से-कहानी से हर कोई दो-चार हो रहा है.
ये भी पढ़ें- औरैया सड़क हादसा: घायलों को सैफई ट्रामा सेंटर में कराया गया भर्ती
ईटीवी भारत से खास बातचीत में फतेह बहादुर पाल ने बताया कि काफी समय बाद गांव पर पूरा परिवार इकट्ठा हुए है. उन्होंने बताया कि काफी अच्छा लग रहा है. अब हर साल समय निकाल गांव जरूर आएंगे. वहीं उनके छोटे भाई कृष्ण कुमार पाल ने बताया कि पूरा परिवार महाराष्ट्र रहता है. अकेले अच्छा नहीं लगता है, लेकिन काफी दिन बाद पूरा परिवार एकजुट हुए हैं. घर गुलजार हो गया है.
उन्होंने कहा कि हम एकजुट होकर रहकर एक नया संदेश समाज को देंगे. साथ ही परिवार की सबसे बड़ी सदस्य विजय बहादुर पाल और उनके भाइयों की 80 वर्षीय माता जी ने कहा कि मां का दिल तो अपने बच्चों को साथ देखना चाहता है, लेकिन काम की वजह से बच्चों को दूर रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कोरोना ने सबको एकजुट कर दिया है. इस महामारी में सभी लोग स्वस्थ और एकजुट रहें.