बस्तीः सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर शनिवार को एक कार्यक्रम में तीन बार के विधायक और सपा के कद्दावर नेता राम ललित चौधरी को अपनी पार्टी की सदस्यता दिलाई. पूर्व विधायक के साथ सैकड़ों समर्थकों ने सुभासपा का दामन थाम लिया. ओपी राजभर ने राम ललित चौधरी को पार्टी का उपाध्यक्ष घोषित किया है.
कार्यक्रम के बाद गठबंधन के सवाल पर ओपी राजभर ने मीडिया को जवाब देते हुए कहा कि 'देखिए 2024 का चुनाव समझौते से ही लड़ा जाएगा, अभी हम अकेले उस हैसियत में नहीं हैं कि लोकसभा का चुनाव अपने दम पर लड़ सकें. आज की तारीख में न कोई किसी का दोस्त है न दुश्मन है. बड़े नेता सब एक हैं. हमने बीजेपी के साथ अपने विचारों से समझौता किया. जब हमारे विचार से बात नहीं मिली तो बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लखनऊ में समझौता कराने आए, बात नहीं बनी तो हमने मंत्री पद से रिजाइन दे दिया. मेरा यह कदम शायद उत्तर प्रदेश की राजनीती में पहला कदम था. हमने सपा से गठबंधन किया लेकिन सपा ने हमारे साथ धोखा किया. चुनाव से पहले हम को बहकाते रहे जब चरणबद्ध चुनाव आया तो हमको 12 रिजर्व सीट दे दिया और उसपर भी अपना कंडीडेट दे दिया, उनकी मंशा थी की सरकार तो हमारी बन रही है. फ्री बिजली, फ्री शिक्षा, जातिगत जनगणना की बात पर चुनाव लड़ रहा था तो साजिश चली कि जब इसके पास विधायक नहीं रहेंगें तो लड़ नहीं सकेगा. लेकिन अखिलेश यादव को यह नहीं मालूम था की पूरे रामायण में हनुमान जी अकेले थे.'
वहीं कांग्रेस को लेकर भी ओपी राजभर का प्यार देखने को मिला. उन्होंने कहा कि 'हो सकता है राहुल गांधी जी सत्ता में आ जाएं.कोई भी राजनीतिक दल जब आंदोलन चलाते हैं तो कोई न कोई नाम रखते हैं. चाहे सावधान यात्रा चल रहा हो, चाहे भारत जोड़ो यात्रा, उसी के बहाने लोगों के बीच जाकर लोग अपनी विचारधारा बताते हैं. पहले कांग्रेस जनता के बीच थी तो उनकी सरकार थी. जब जनता से हट गई तो कांग्रेस चली गई. फिर यूपी में सपा, बसपा और कांशीराम जी जनता के बीच आए तो उनकी सरकार बनी. फिर वो पार्टी जनता से हट गई और पार्टी खत्म हो गई. मुलायम सिंह जी जनता के बीच थे तो उनकी सरकार बनी. जनता से हटे सरकार चली गई. बीजेपी जनता के बीच चली गई, आज उस की सरकार है. राहुल गांधी जनता के बीच जा रहे हैं तो उनकी सरकार बन सकती है.'
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