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बस्ती: मेडिकल कॉलेज को शव की दरकार, प्रशासन बेपरवाह

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Published : Aug 18, 2019, 7:46 PM IST

उत्तर प्रदेश के बस्ती में मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के छात्रों को पहले ही सत्र में परेशानी हो रही है. एनॉटमी विषय की पढ़ाई के लिए शव की जरूरत होती है, जबकि प्रशासन लावारिश शव की व्यवस्था नहीं कर पाया है. इसके लिए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य कई बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

बस्ती मेडिकल कॉलेज.

बस्ती: मेडिकल कॉलेज बस्ती में एमबीबीएस छात्रों को पढ़ाई के लिए पहले ही सत्र में दिक्कते शुरू हो गई हैं. छात्रों को पढ़ने के लिए एक लावारिश लाश की दरकार है, लेकिन स्थानीय जिला प्रशासन संज्ञान नहीं ले रहा है. एनॉटमी विषय की पढ़ाई शव के बगैर हो ही नहीं सकती. इसके लिए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

जानकारी देते मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य नवनीत कुमार.


दरअसल, उच्च चिकित्सा इकाई की कमी से बेहाल बस्ती मंडल मुख्यालय पर अक्टूबर 2016 में तत्कालीन केंद्र स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मेडिकल कॉलेज की नींव रखी थी. करीब 198 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में लगभग कार्य पूरा हो चुका है. इसमें चिकित्सा इकाई के रूप में ओपेक कैली चिकित्सालय का अधिग्रहण किया गया, जिसके बाद इस साल जुलाई से एमबीबीएस की 100 सीटों पर प्रवेश शुरू हुआ. वहीं एक अगस्त से पढ़ाई भी शुरू हो गई.

पढ़ें- ईटीवी भारत की पहल के बाद मुमकिन हुई वतन वापसी, सुनिए तीनों युवकों का दर्द


एनॉटमी विषय की पढ़ाई शव के बिना नहीं हो सकती है. एनॉटमी में छात्रों को शरीर के अंग का विच्छेदन कर समझाया जाता है. प्रवेश प्रक्रिया शुरु होने से पहले ही जून में ही प्राचार्य नवनीत कुमार ने लावारिस लाश के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा था, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं हो सकी. प्राचार्य नवनीत कुमार ने बताया कि कई बार जिला प्रशासन को पत्र लिख चुका हूं. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन शायद ये नहीं समझ पा रहा है कि बॉडी को किस तरह हैंडओवर किया जाए, इस वजह से समय लग रहा है. हालांकि फिर पत्र लिखा गया है, जल्द ही शव की व्यवस्था हो जानी चाहिए.

बस्ती: मेडिकल कॉलेज बस्ती में एमबीबीएस छात्रों को पढ़ाई के लिए पहले ही सत्र में दिक्कते शुरू हो गई हैं. छात्रों को पढ़ने के लिए एक लावारिश लाश की दरकार है, लेकिन स्थानीय जिला प्रशासन संज्ञान नहीं ले रहा है. एनॉटमी विषय की पढ़ाई शव के बगैर हो ही नहीं सकती. इसके लिए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

जानकारी देते मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य नवनीत कुमार.


दरअसल, उच्च चिकित्सा इकाई की कमी से बेहाल बस्ती मंडल मुख्यालय पर अक्टूबर 2016 में तत्कालीन केंद्र स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मेडिकल कॉलेज की नींव रखी थी. करीब 198 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में लगभग कार्य पूरा हो चुका है. इसमें चिकित्सा इकाई के रूप में ओपेक कैली चिकित्सालय का अधिग्रहण किया गया, जिसके बाद इस साल जुलाई से एमबीबीएस की 100 सीटों पर प्रवेश शुरू हुआ. वहीं एक अगस्त से पढ़ाई भी शुरू हो गई.

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एनॉटमी विषय की पढ़ाई शव के बिना नहीं हो सकती है. एनॉटमी में छात्रों को शरीर के अंग का विच्छेदन कर समझाया जाता है. प्रवेश प्रक्रिया शुरु होने से पहले ही जून में ही प्राचार्य नवनीत कुमार ने लावारिस लाश के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा था, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं हो सकी. प्राचार्य नवनीत कुमार ने बताया कि कई बार जिला प्रशासन को पत्र लिख चुका हूं. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन शायद ये नहीं समझ पा रहा है कि बॉडी को किस तरह हैंडओवर किया जाए, इस वजह से समय लग रहा है. हालांकि फिर पत्र लिखा गया है, जल्द ही शव की व्यवस्था हो जानी चाहिए.

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: मेडिकल कॉलेज बस्ती में एमबीबीएस छात्रों को पढ़ाई के लिए पहले ही सत्र में दिक्कत शुरू हो गयी है. छात्रों को पढ़ने के लिए एक लावारिश लाश की दरकार है लेकिन स्थानीय जिला प्रशासन संज्ञान नहीं ले रहा है.

एनॉटमी विषय की पढ़ाई शव के बगैर हो ही नहीं सकती. इसके लिए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ नवनीत कुमार आधा दर्जन बार जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं. लेकिन सुनवाई नही हुई. प्रिंसिपल एक बार फिर पत्र लिखेंगे.




Body:दरअसल उच्च चिकित्सा इकाई की कमी से बेहाल बस्ती मंडल मुख्यालय पर अक्टूबर 2016 में तत्कालीन केंद्र स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मेडिकल कॉलेज की नींव रखी थी. करीब 198 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में लगभग कार्य पूरा हो चुका है.

इसमें चिकित्सा इकाई के रूप में ओपेक कैली चिकित्सालय का अधिग्रहण किया गया. जिसके बाद इस साल जुलाई से एमबीबीएस की 100 सीटों पर प्रवेश शुरू हुआ. वहीं एक अगस्त से पढ़ाई भी शुरू हो गई.

पहले वर्ष में मेडिकल कॉलेज लखनऊ से आए प्रोफ़ेसर डॉक्टर ज्ञान प्रकाश मिश्रा, एनॉटमी, प्रोफ़ेसर डॉक्टर मनोज कुमार, फिजियोलॉजी, प्रोफ़ेसर डॉक्टर मनीष मिश्रा, बायो केमेस्ट्री और एसोसिएट प्रोफ़ेसर डाक्टर प्रेम केसरवानी कम्युनिटी मेडिसिन पढ़ा रहे हैं.




Conclusion:एनॉटमी विषय की पढ़ाई शव के बिना नहीं हो सकती है. एनॉटमी में छात्रों को शरीर के अंग का विच्छेदन कर समझाया जाता है. प्रवेश प्रक्रिया शुरु होने से पहले ही जून में ही प्राचार्य नवनीत कुमार ने लावारिस लाश के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा था लेकिन कोई व्यवस्था नही हो सकी.

प्राचार्य नवनीत कुमार ने कहा कि कई बार जिला प्रशासन को लिखा जा चुका है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन शायद ये नही समझ पा रहा है कि बॉडी को किस तरह हैंडओवर किया जाए, इस वजह से समय लग रहा है. हालांकि फिर पत्र लिखा गया है, जल्द ही शव की व्यवस्था हो जानी चाहिए.

बाइट....प्राचार्य नवनीत कुमार
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