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बस्ती: प्रधान ने बना दिया अपने ही परिजनों का मनरेगा जॉब कार्ड, लाखों रुपये का किया गबन - प्रधान ने किया घोटाला

उत्तर प्रदेश में योजनाओं का बंटाधार कैसे होता है, इसकी ताजा मिसाल है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना. बस्ती जिले में एक प्रधान ने अपने ही परिवार के 6 सदस्यों के नाम 13 जॉब कार्ड जारी कर दिए और मनरेगा के लाखों रुपये का बंदरबाट कर दिया.

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शिकायतकर्ता ने डीएम को लिखा पत्र.
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Published : Sep 27, 2020, 7:29 PM IST

बस्ती: केंद्र सरकार मनरेगा जैसी योजना के जरिये देश के गांव में लोगों को रोजगार देने और उनके जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास कर रही है. वहीं जिन कंधों पर इस योजना को गरीबों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी है, वही इसको पलीता लगा रहे हैं.

ऐसा ही एक मामला कप्तानगंज विकास खण्ड के कौड़ी कोल गांव का प्रकाश में आया है. यहां आरोप है कि प्रधान, प्रधान पति महेंद्र चौधरी और उसके भाई की तिकड़ी ने ऐसी चकरी घुमाई की मनरेगा योजना धरी की धरी रह गई. जो पैसा केंद्र ने गरीब जनता के लिए भेजा था वह इन तीनों ने बंदरबाट कर लिया. जब इसकी भनक विकास वाले बाबु और ब्लॉक के अधिकारियों को हुई तो प्रधान पति महेंद्र ने सिक्कों की ऐसी खनक सुनाई की क्या अधिकारी और क्या बाबू सब साथ हो लिए.

दरअसल शिकायतकर्ता घूरे ने डीएम को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि कौडिकोल के प्रधान पति महेंद्र चौधरी ने मनरेगा में खुद के नाम से तो पैसा निकाला ही, अपने भाई को भी बराबर की हिस्सेदारी दे दी. प्रधान जी इतने पर ही नहीं रुके, भ्रातृत्व धर्म निभाते हुए अपने ही गांव के एक परिवार के 6 सदस्यों के नाम 13 जॉब कार्ड जारी कर दिए और मिल बांटकर मनरेगा के लाखों रुपये का बंदरबाट कर लिया. जब इसकी शिकायत गांव के जागरूक व्यक्ति ने की तो ब्लॉक में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में एक ही परिवार में जारी 13 जॉब कार्ड को काटकर 7 कर दिया और बकायदा इसकी जानकारी शिकायतकर्ता डाक बाबू के माध्यम से दे दी. बहरहाल थक हारकर शिकायतकर्ता ने अपने गांव के नटवरलाल प्रधान की शिकायत जिलाधिकारी से की है. इस पर एसडीएम विनय सिंह ने जांच और एक रिपोर्ट तैयार कर ली है.

बस्ती: केंद्र सरकार मनरेगा जैसी योजना के जरिये देश के गांव में लोगों को रोजगार देने और उनके जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास कर रही है. वहीं जिन कंधों पर इस योजना को गरीबों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी है, वही इसको पलीता लगा रहे हैं.

ऐसा ही एक मामला कप्तानगंज विकास खण्ड के कौड़ी कोल गांव का प्रकाश में आया है. यहां आरोप है कि प्रधान, प्रधान पति महेंद्र चौधरी और उसके भाई की तिकड़ी ने ऐसी चकरी घुमाई की मनरेगा योजना धरी की धरी रह गई. जो पैसा केंद्र ने गरीब जनता के लिए भेजा था वह इन तीनों ने बंदरबाट कर लिया. जब इसकी भनक विकास वाले बाबु और ब्लॉक के अधिकारियों को हुई तो प्रधान पति महेंद्र ने सिक्कों की ऐसी खनक सुनाई की क्या अधिकारी और क्या बाबू सब साथ हो लिए.

दरअसल शिकायतकर्ता घूरे ने डीएम को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि कौडिकोल के प्रधान पति महेंद्र चौधरी ने मनरेगा में खुद के नाम से तो पैसा निकाला ही, अपने भाई को भी बराबर की हिस्सेदारी दे दी. प्रधान जी इतने पर ही नहीं रुके, भ्रातृत्व धर्म निभाते हुए अपने ही गांव के एक परिवार के 6 सदस्यों के नाम 13 जॉब कार्ड जारी कर दिए और मिल बांटकर मनरेगा के लाखों रुपये का बंदरबाट कर लिया. जब इसकी शिकायत गांव के जागरूक व्यक्ति ने की तो ब्लॉक में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में एक ही परिवार में जारी 13 जॉब कार्ड को काटकर 7 कर दिया और बकायदा इसकी जानकारी शिकायतकर्ता डाक बाबू के माध्यम से दे दी. बहरहाल थक हारकर शिकायतकर्ता ने अपने गांव के नटवरलाल प्रधान की शिकायत जिलाधिकारी से की है. इस पर एसडीएम विनय सिंह ने जांच और एक रिपोर्ट तैयार कर ली है.

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