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बस्ती: मेहमान पक्षियों ने चंदो ताल से किया किनारा, जलकुम्भी और सिल्ट से पटा ताल

यूपी के बस्ती में स्थित ऐतिहासिक चंदों ताल आज सरकारी उपेक्षा का शिकार बनकर रह गया है. कभी यहां पक्षियों के चहचहाने की आवाजें गूंजती थी, लेकिन अब इसमें सिर्फ जलकुंभी और सिल्ट बची है. जिम्मेदारों का कहना है कि हमने शासन से बजट की मांग की है.

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मेहमान पक्षियों ने चंदो ताल से किया किनारा.
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Published : Jan 14, 2020, 8:06 AM IST

Updated : Jan 16, 2020, 7:22 AM IST

बस्ती: शहर से 15 किलोमीटर दूर प्राचीन ताल चंदो ठंड के मौसम में कभी मेहमान पक्षियों से गुलजार हुआ करता था, लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि मेहमान पक्षियों ने इससे किनारा कर लिया है. अब चंदो ताल जलकुंभी और सिल्ट से घिर गया है. सरकार और वन विभाग सिर्फ इसको संवारने के दावे करते हैं. नेशनल वेटलैंड की सूची में शामिल इस स्थल को विकसित करने की योजना कई बार बनी, लेकिन हर बार बजट की कमी और सरकारी अनदेखी इन योजनाओं पर भारी पड़ गई.

मेहमान पक्षियों ने चंदो ताल से किया किनारा.

मेहमान पक्षियों का टूटा मोह

  • वन विभाग के कप्तानगंज रेंज में स्थित 730.85 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला चंदो ताल पोखरनी में स्थित है.
  • समय के साथ ताल का स्वरूप बदल गया है.
  • सिल्ट और जलकुंभी के चलते ताल की गहराई भी कम हो गई.
  • पांच साल पहले चंदो ताल को नेशनल वेटलैंड की सूची में केंद्र सरकार ने शामिल किया था.

इसके बाद ताल बचाने के लिए छिटपुट प्रयास हुए, लेकिन जलकुंभी और सिल्ट जस की तस रही. विदेशी पक्षियों के कलरव से गुजरने वाला ताल उपेक्षा के चलते सिमट गया, जिसके कारण पक्षियों ने भी यहां से अच्छा कहीं और ही जाना समझा. धन अभाव के चलते वन विभाग की तरफ से इसको संवारने के लिए किया गया हर प्रयास विफल साबित हो गया.

ऐतिहासिक है चंदो ताल
वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि सरकार को चंदो ताल की ऐतिहासिकता को देखते हुए उसे संवारने की जरूरत है. यहां बहुतायत संख्या में विदेशी पक्षी ठंड के मौसम में आते हैं, लेकिन उनके लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है. उनकी सुरक्षा और बसेरा के लिए भी समुचित व्यवस्था होना आवश्यक है.

क्या बोले जिम्मेदार
वहीं डीएफओ नवीन शाक्य ने बताया कि इस बार विदेशी पक्षियों की संख्या बहुत कम है. इसका कारण ताल में जलकुंभी और सिल्ट है. शासन से ताल के लिए बजट की मांग की गई है, जो पूरी भी हो गई है. हम ताल में सिल्ट को हटाकर पानी की गहराई बढ़ाएंगे. साथ ही जलकुंभी को हटाकर पानी साफ कराया जाएगा. हालांकि ताल काफी बड़ा है इसलिए पूरा तो नहीं लेकिन कुछ हिस्सा जरूर पक्षियों के हिसाब से बेहतर कर दिया जाएगा. ताकि मेहमान पक्षियों की संख्या में कमी न आए. उन्हें यहां बेहतर माहौल मिल सके.

बस्ती: शहर से 15 किलोमीटर दूर प्राचीन ताल चंदो ठंड के मौसम में कभी मेहमान पक्षियों से गुलजार हुआ करता था, लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि मेहमान पक्षियों ने इससे किनारा कर लिया है. अब चंदो ताल जलकुंभी और सिल्ट से घिर गया है. सरकार और वन विभाग सिर्फ इसको संवारने के दावे करते हैं. नेशनल वेटलैंड की सूची में शामिल इस स्थल को विकसित करने की योजना कई बार बनी, लेकिन हर बार बजट की कमी और सरकारी अनदेखी इन योजनाओं पर भारी पड़ गई.

मेहमान पक्षियों ने चंदो ताल से किया किनारा.

मेहमान पक्षियों का टूटा मोह

  • वन विभाग के कप्तानगंज रेंज में स्थित 730.85 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला चंदो ताल पोखरनी में स्थित है.
  • समय के साथ ताल का स्वरूप बदल गया है.
  • सिल्ट और जलकुंभी के चलते ताल की गहराई भी कम हो गई.
  • पांच साल पहले चंदो ताल को नेशनल वेटलैंड की सूची में केंद्र सरकार ने शामिल किया था.

इसके बाद ताल बचाने के लिए छिटपुट प्रयास हुए, लेकिन जलकुंभी और सिल्ट जस की तस रही. विदेशी पक्षियों के कलरव से गुजरने वाला ताल उपेक्षा के चलते सिमट गया, जिसके कारण पक्षियों ने भी यहां से अच्छा कहीं और ही जाना समझा. धन अभाव के चलते वन विभाग की तरफ से इसको संवारने के लिए किया गया हर प्रयास विफल साबित हो गया.

ऐतिहासिक है चंदो ताल
वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि सरकार को चंदो ताल की ऐतिहासिकता को देखते हुए उसे संवारने की जरूरत है. यहां बहुतायत संख्या में विदेशी पक्षी ठंड के मौसम में आते हैं, लेकिन उनके लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है. उनकी सुरक्षा और बसेरा के लिए भी समुचित व्यवस्था होना आवश्यक है.

क्या बोले जिम्मेदार
वहीं डीएफओ नवीन शाक्य ने बताया कि इस बार विदेशी पक्षियों की संख्या बहुत कम है. इसका कारण ताल में जलकुंभी और सिल्ट है. शासन से ताल के लिए बजट की मांग की गई है, जो पूरी भी हो गई है. हम ताल में सिल्ट को हटाकर पानी की गहराई बढ़ाएंगे. साथ ही जलकुंभी को हटाकर पानी साफ कराया जाएगा. हालांकि ताल काफी बड़ा है इसलिए पूरा तो नहीं लेकिन कुछ हिस्सा जरूर पक्षियों के हिसाब से बेहतर कर दिया जाएगा. ताकि मेहमान पक्षियों की संख्या में कमी न आए. उन्हें यहां बेहतर माहौल मिल सके.

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: शहर से 15 किलोमीटर दूर प्राचीन ताल चंदो, ठंड के मौसम में कभी मेहमान पक्षियों से गुलजार हुआ करता था. लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि मेहमान पक्षियों ने इससे किनारा कर लिया है. क्योंकि चंदो ताल जलकुंभी और सिल्ट से घिर गया है. सरकार और वन विभाग सिर्फ इसको संवारने के दावे करते हैं. नेशनल वेटलैंड की सूची में शामिल इस स्थल को विकसित करने की योजना कई बार बनी लेकिन हर बार बजट की कमी और सरकारी अनदेखी इसको भारी पड़ गयी.


Body:वन विभाग के कप्तानगंज रेंज में स्थित 730.85 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला चंदो ताल पोखरनी में स्थित है. समय के साथ ताल का स्वरूप बदल गया है. सिल्ट और जलकुंभी के चलते ताल की गहराई कम हो गई. 5 साल पहले चंदो ताल को नेशनल वेटलैंड की सूची में केंद्र सरकार ने शामिल किया था. इसके बाद ताल बचाने के लिए छिटपुट प्रयास हुए. मगर जलकुंभी और सिल्ट जस की तस रही. विदेशी पक्षियों के कलरव से गुजरने वाला ताल उपेक्षा के चलते सिमट गया. जिसके कारण पक्षियों ने भी यहां से अच्छा कहीं और ही जाना समझा. धन अभाव के चलते वन विभाग की तरफ से इस को संवारने के लिए किया गया हर प्रयास विफल साबित हो गया.


Conclusion:वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि सरकार को चंदो ताल की ऐतिहासिकता को देखते हुए उसे संवारने की जरूरत है. यहां बहुतायत संख्या में विदेशी पक्षी ठंड के मौसम में आते हैं लेकिन उनके लिए यह कोई व्यवस्था नहीं है. उनकी सुरक्षा और बसेरा के लिए भी समुचित व्यवस्था होना आवश्यक है.

वही डीएफओ नवीन शाक्य ने बताया कि इस बार विदेशी पक्षियों की संख्या बहुत कम है. इसका कारण ताल में जलकुंभी और सिल्ट है. डीएफओ ने बताया कि शासन से ताल के लिए बजट की मांग की गई है जो पूरा भी हो गया है. हम ताल में सिल्ट को हटाकर पानी की गहराई बढ़ाएंगे. साथ ही जलकुंभी को हटाकर पानी साफ कराया जाएगा. हालांकि ताल काफी बड़ा है इसलिए पूरा तो नहीं लेकिन कुछ हिस्सा जरूर पक्षियों के हिसाब से बेहतर कर दिया जाएगा. ताकि मेहमान पक्षियों की संख्या में कमी ना आए. उन्हें यहां बेहतर माहौल मिल सके.

बाइट......राजेंद्र नाथ त्रिपाठी, वरिष्ठ साहित्यकार
बाइट.....नवीन शाक्य, डीएफओ
Last Updated : Jan 16, 2020, 7:22 AM IST
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