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बस्तीः घाघरा नदी में कटान से परेशान हैं किसान

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में घाघरा नदी में जलस्तर बढ़ने से हो रही कटान के चलते किनारे बसे ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे किसानों के फसल और उनकी खेती को भारी नुकसान हो रहा है.

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Published : Aug 4, 2019, 11:39 AM IST

किसानों की फसल नदी में समाती जा रही

बस्ती: जिले के घाघरा नदी में बढ़ते जलस्तर ने किसानों की नींद उड़ा रखी है. नदी में भीषण कटान की वजह से किसानों के खेत नदी की धारा में विलीन होते जा रहें है. जिला प्रशासन कटान से हो रहे नुकसान को देखते हुए उन 41 किसानों की सूची बनाई, जिनके खेत नदी में विलीन हो गए हैं.

जानकारी देते एडीएम.

उफान पर हैं घाघरा नदी-
किसानों की फसल नदी में समाती जा रही है. वहीं कुछ किसानों में इतनी दहशत है कि कटान के डर से अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं. पीड़ित किसानों को राहत देने के लिए जिला प्रशासन ने निरीक्षण के अलावा अभी तक कोई पहल नहीं की है.

कटान बनी किसानों के लिए मुसीबत-
दुबौलिया ब्लॉक के माझा इलाके के गांव में नदी में भीषण कटान हो रहा है. किसान कुछ कर नहीं पा रहे हैं. किसानों का कहना है खेत में उगाई गई सब्जियों से रोजी-रोटी चलती थी. लागत भी नहीं निकल पाई थी. इससे पहले ही ज्यादातर खेत नदी की कटान में विलीन हो गए हैं. बचा-कुचा खेत भी कटान की वजह से नदी में समाता जा रहा है.

किसानों के खेत नदी में विलीन हो गए हैं. अभी तक 41 किसान ऐसे पाए गए हैं, जिनके खेत नदी में विलीन हो गए हैं. उन सभी किसानों को जिला प्रशासन स्तर से मुआवजा दिया जाएगा.
-रमेश चन्द्र, एडीएम

बस्ती: जिले के घाघरा नदी में बढ़ते जलस्तर ने किसानों की नींद उड़ा रखी है. नदी में भीषण कटान की वजह से किसानों के खेत नदी की धारा में विलीन होते जा रहें है. जिला प्रशासन कटान से हो रहे नुकसान को देखते हुए उन 41 किसानों की सूची बनाई, जिनके खेत नदी में विलीन हो गए हैं.

जानकारी देते एडीएम.

उफान पर हैं घाघरा नदी-
किसानों की फसल नदी में समाती जा रही है. वहीं कुछ किसानों में इतनी दहशत है कि कटान के डर से अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं. पीड़ित किसानों को राहत देने के लिए जिला प्रशासन ने निरीक्षण के अलावा अभी तक कोई पहल नहीं की है.

कटान बनी किसानों के लिए मुसीबत-
दुबौलिया ब्लॉक के माझा इलाके के गांव में नदी में भीषण कटान हो रहा है. किसान कुछ कर नहीं पा रहे हैं. किसानों का कहना है खेत में उगाई गई सब्जियों से रोजी-रोटी चलती थी. लागत भी नहीं निकल पाई थी. इससे पहले ही ज्यादातर खेत नदी की कटान में विलीन हो गए हैं. बचा-कुचा खेत भी कटान की वजह से नदी में समाता जा रहा है.

किसानों के खेत नदी में विलीन हो गए हैं. अभी तक 41 किसान ऐसे पाए गए हैं, जिनके खेत नदी में विलीन हो गए हैं. उन सभी किसानों को जिला प्रशासन स्तर से मुआवजा दिया जाएगा.
-रमेश चन्द्र, एडीएम

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: ईटीवी भारत पर प्रमुखता से खबर दिखाये जाने के बाद बस्ती जिले का जिलाप्रशासन कुम्भकर्णी नीद से उठा और जिले में घाघरा की कटान से हो रहे नुकसान को देखते हुए 41 किसानों की सूची बनाई. जिसकी अभी तक खेत और फसलें नदी में विलीन हो चुकी हैं.

घाघरा नदी के बढ़ते जल स्तर ने किसानों की नींद उड़ा दी है. भीषण कटान की वजह से किसानों का खेत नदी की धाराओं में विलीन हो रहें है तो वहीं कुछ किसानों के खेत नदी की धारा में विलीन हो चुके हैं.

Body:किसानों की खड़ी फसल उन की आंखों के सामने ही नदी में समाती जा रही है. वही कुछ में इतनी दहशत है कि कटान के डर से अपना पक्का मकान तोड़ कर मटेरियल सुरक्षित जगहों पर ले जा रहे हैं. पीड़ित किसानों को राहत देने के लिए जिला प्रशासन ने निरीक्षण के अलावा अभी तक कोई पहल नहीं की थी.

घाघरा नदी इस वक्त भीषण कटान कर रही है. जिन किसानों का खेत नदी के किनारे है उन का खेत नदी में विलीन होता जा रहा है. किसानों ने खेत में इस समय परवल, लौकी आदि की खेती की है, लेकिन भीषण कटान की वजह से फसल समेत खेत नदी में विलीन होता जा रहा है.

दुबौलिया ब्लाक के माझा इलाके के दर्जनों गांवों में भीषण कटान हो रही है, लेकिन बेबस किसान कुछ कर नहीं पा रहे हैं. किसानों का कहना है उसी खेती में उगाये गयी सब्जियों को बेच कर उन की रोजी-रोटी चलती थी. आज उन किसानों की लागत भी नही निकल पाई थी कि उनके ज्यादातर खेत सब्जी सहित नदी की कटान में विलीन हो गए है. बचा-कुचा खेत भी कटान की वजह से नदी में समाता जा रहा है, ऐसे में उन के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है.

Conclusion:आप को बता दें घाघरा नदी हर साल अपनी दिशा बदलती है. जिसकी वजह से हजारों बीघा जमीन कट कर नदी में समा जाती है. नदी को डायवर्ट करने के लिए तमाम ठोकर बनाए गए हैं और इस बार ड्रेजिंग सिस्टम से भी नदी की धारा मोड़ने के लिए पिछले 6 महीने से काम चल रहा था. लेकिन उस का भी कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है.

वहीँ एडीएम रमेश चन्द्र ने बताया कि किसानों की जमीन नदी में विलीन हो चुकी हैं, उनकी सूची तैयार कर ली गयी है. जिसमे अभी तक 41 किसान ऐसे पाए गए हैं जिनकी फसलें और खेत नदी में विलीन हो चुके हैं. उन सभी किसानों को जिला प्रशासन स्तर से उचित मुआवजा दिया जायेगा.

बाइट- रमेश चन्द्र.... अपर जिलाधिकारी, बस्ती
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