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बस्ती: सरयू नदी अपने उफान पर, फिर उजड़ सकते हैं गरीबों के आशियाने

सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे स्थित सभी गांववासी परेशान हैं. बस्ती जिले के बीडी बांध पर सरयू नदी के जलस्तर का दबाव बढ़ता जा रहा है. अभी तक प्रशासन इसको लेकर सचेत नहीं हुआ है.

बांध टूटने से बच्चों को स्कूल जाने में भी परेशानी
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Published : Jul 14, 2019, 11:47 PM IST

बस्ती: जिले के अतिसंवेदनशील बीडी बांध पर सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से दबाव बढ़ता जा रहा है. बांधों पर अनुरक्षण कार्य की प्रगति जहां काफी लचर है वहीं तटबंध की सुरक्षा के लिए भी कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं. केंद्रीय जल आयोग की मानें तो नदी का जलस्तर अभी लगातार बढ़ रहा है लेकिन इन गांवों की सुरक्षा के लिए अब तक कोई कार्य नहीं हुआ है.

सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर से परेशान गांववासी

बाढ़ से संकट में हैं गांव-

  • नदी के किनारे 4 गांव कल्यानपुर ,भरथापुर, केशवपुर और पड़ाव का अस्तित्व खतरे में है.
  • प्राथमिक विद्यालय सीतारामपुर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय कल्यानपुर व गौरियानय के शव दाह गृह का अस्तित्व भी खतरे में है.
  • विक्रमजोत विकास खंड के तटबंध विहीन गांवों के अस्तित्व पर संकट मडराने लगा है.
  • प्रशासनिक उदासीनता के चलते सरयू नदी के किनारे बसे इन गांवों को हर वर्ष बाढ़ की पीड़ा झेलनी पड़ती है.
  • वर्ष 2018 की बाढ़ में सहजौरा पाठक गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो गया.
  • इस बार बाढ़ से बचने के लिये प्रशासन के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया है.
  • ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने इस बार कोई व्यवस्था नहीं की तो हमारे घर नदी की धारा में समा जायेंगे.

अतिसंवेदनशील तटबंध कल्याणपुर गांव के पास और दूसरा कटरिया चांदपुर व चांदपुर गौरा तटबंध है. बाढ़ विभाग के अधिकारी लगातार बंधो का निरीक्षण कर रहे है. जहां तटबंध होता है उसकी सुरक्षा के लिए सरकार धन मुहैया कराती है. तटबंध विहीन गांवों की सुरक्षा के लिए धन मिलेगा तो वहां भी कार्य कराया जाएगा. विक्रमजोत-लालपुर तटबंध बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. धन मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.
डीएम राजशेखर

बस्ती: जिले के अतिसंवेदनशील बीडी बांध पर सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से दबाव बढ़ता जा रहा है. बांधों पर अनुरक्षण कार्य की प्रगति जहां काफी लचर है वहीं तटबंध की सुरक्षा के लिए भी कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं. केंद्रीय जल आयोग की मानें तो नदी का जलस्तर अभी लगातार बढ़ रहा है लेकिन इन गांवों की सुरक्षा के लिए अब तक कोई कार्य नहीं हुआ है.

सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर से परेशान गांववासी

बाढ़ से संकट में हैं गांव-

  • नदी के किनारे 4 गांव कल्यानपुर ,भरथापुर, केशवपुर और पड़ाव का अस्तित्व खतरे में है.
  • प्राथमिक विद्यालय सीतारामपुर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय कल्यानपुर व गौरियानय के शव दाह गृह का अस्तित्व भी खतरे में है.
  • विक्रमजोत विकास खंड के तटबंध विहीन गांवों के अस्तित्व पर संकट मडराने लगा है.
  • प्रशासनिक उदासीनता के चलते सरयू नदी के किनारे बसे इन गांवों को हर वर्ष बाढ़ की पीड़ा झेलनी पड़ती है.
  • वर्ष 2018 की बाढ़ में सहजौरा पाठक गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो गया.
  • इस बार बाढ़ से बचने के लिये प्रशासन के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया है.
  • ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने इस बार कोई व्यवस्था नहीं की तो हमारे घर नदी की धारा में समा जायेंगे.

अतिसंवेदनशील तटबंध कल्याणपुर गांव के पास और दूसरा कटरिया चांदपुर व चांदपुर गौरा तटबंध है. बाढ़ विभाग के अधिकारी लगातार बंधो का निरीक्षण कर रहे है. जहां तटबंध होता है उसकी सुरक्षा के लिए सरकार धन मुहैया कराती है. तटबंध विहीन गांवों की सुरक्षा के लिए धन मिलेगा तो वहां भी कार्य कराया जाएगा. विक्रमजोत-लालपुर तटबंध बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. धन मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.
डीएम राजशेखर

Intro:रिपोर्ट- सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो- 9889557333

स्लग- आ गयी बाढ़, फिर उजड़ेंगे गरीबो के आशियाने

एंकर- जिले के अति संवेदनशील बीडी बांध पर सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से दबाव बढ़ता जा रहा है। बंधों पर अनुरक्षण कार्य की प्रगति जहां काफी लचर है वहीं तटबंध की सुरक्षा के भी कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं। केंद्रीय जल आयोग की मानें तो नदी का जलस्तर अभी लगातार बढ़ रहा है। विक्रमजोत विकास खंड के तटबंध विहीन गांवों के अस्तित्व पर संकट मडराने लगा है। इन गांवों की सुरक्षा के लिए अब तक कोई कार्य नहीं हुआ है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते सरयू नदी के किनारे बसे गांवों के लोग हर वर्ष बाढ़ की पीड़ा झेलते हैं। उनके वर्ष भर की कमाई एक झटके में नदी समेट ले जाती है। घर हो या उपजाऊ जमीन सबकुछ नदी बाढ़ में बहा ले जाती है। वर्ष 2018 की बाढ़ में सहजौरा पाठक गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। नदी ने इस गांव को अपनी धारा में समेट लिया। यदि इस बार भी नदी ने अपना विकराल रूप दिखाया तो नदी के मुहाने पर बसे चार गांव कल्यानपुर,भरथापुर, केशवपुर व पड़ाव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। वर्तमान समय में नदी इन गांवों से सट कर बह रही है। इन गांवों को बचाने के लिए अब तक कोई पहल नहीं हुई। गत वर्षों तक नदी में ठोकर बना कर इन गांवों को कटान से बचाने का प्रयास होता था।


Body:पिछली बाढ़ में कई कटर व ठोकर बह गए। इस वर्ष अभी तक इन ठोकरों व कटर की मरम्मत के लिए कोई काम नहीं हुआ है। जिसके चलते इन गांवों की एक हजार से अधिक की आबादी दहशत के साए में जी रही है। प्राथमिक विद्यालय सीतारामपुर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय कल्यानपुर व गौरियानय के शव दाह गृह अस्तित्व भी खतरे में है। नदी इस जगह एक दम सटकर बह रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने इस बार कोई व्यवस्था नहीं की तो हमारे घर नदी की धारा में समा जाएंगे। जमीन तो पहले ही नदी ले जा चुकी है। अब छत भी छिन जायेगी। 





Conclusion:डीएम राजशेखर ने बताया कि अतिसंवेदनशील तटबंध कल्याणपुर गांव के पास और दूसरा कटरिया चांदपुर व चांदपुर गौरा तटबंध है, बाढ़ विभाग के अधिकारी लगातार बंधो का निरीक्षण कर रहे है। कहा कि जहां तटबंध होता है उसकी सुरक्षा के लिए सरकार धन मुहैया कराती है। तटबंध विहीन गांवों की सुरक्षा के लिए धन मिलेगा तो वहां भी कार्य कराया जाएगा। विक्रमजोत-लालपुर तटबंध बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। धन मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

बाइट- बाढ़ पीड़ित
बाइट- राज शेखर.......डीएम


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