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बस्ती: मनमानी फीस लेने के बावजूद डॉक्टर मरीजों को नहीं देते बिल, आखिर कब होगी कार्रवाई

हमारे समाज में डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है, लेकिन यूपी के बस्ती जनपद में प्राइवेट डॉक्टर गरीब मरीजों का जम कर शोषण कर रहे हैं. इलाज के नाम पर मनमानी फीस ले रहे हैं, लेकिन किसी को फीस का बिल नहीं देते. वहीं जिला प्रशासन भी इन पर नकेल कस पाने में असमर्थ दिख रहा है.

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बस्ती जिले में डॉक्टर मरीजों को नहीं देते फीस का बिल.
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Published : Mar 15, 2020, 5:43 PM IST

बस्ती: जनपद में प्राइवेट डॉक्टर गरीब मरीजों का जम कर शोषण कर रहे है. इलाज के नाम पर मरीजों से मनमानी फीस तो लेते हैं, लेकिन उन्हें इसका बिल नहीं देते. साथ ही इसके आड़ में करोड़ों रूपये प्रतिवर्ष इनकम टैक्स की चोरी भी कर रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन नर्सिंग होम और प्राइवेट डॉक्टरों पर नकेल नहीं कस पा रहा है. जनपद में ये खेल खुलेआम चल रहा है, मगर आज तक किसी एक पर भी कार्रवाई नहीं की गई.

मरीजों को नहीं दिया जाता फीस का बिल
दरअसल, बस्ती जनपद में 69 नर्सिंग होम पंजीकृत हैं. उनको बकायदा फर्म के रूप रजिट्रेशन कराया गया है. साथ ही नियम यह भी है कि हर जांच और कन्सल्टिंग फीस की पक्की रशीद मरीज को दी जाए. चाहे डॉक्टर की फीस एक रुपया हो या एक हजार. लेकिन ज्यादातर डॉक्टरों द्वारा जो फीस लिया जाता है, उसका बिल मरीजों को नहीं दिया जाता. सिर्फ पैसा लेकर राजिस्टर में नम्बर लगा दिया जाता है. जबकि यह नियम है कि नर्सिंग होम के नाम पर पक्की बिल मरीज को दिया जाय.

बेलगाम हुए प्राइवेट नर्सिंग होम और डॉक्टर.

जीएसटी के दायरे से बाहर हैं डॉक्टर
सरकार ने डॉक्टर की फीस व उपचार महंगा न हो और लोगों को दिक्कत न हो, इसलिये डॉक्टर को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है, लेकिन जनपद के डॉक्टर मरीजों से मुहमांगी फीस ले रहे हैं और बिल भी नहीं दे रहे.

मरीजों ने बयां की कहानी
मरीजों ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में सही इलाज न मिलने के कारण प्राइवेट में महंगा इलाज कराना पड़ता है. यहां भी मनमाना फीस वसूल किया जाता है. उन्होंने बताया कि जो डॉक्टर की फीस जमा की जाती है, उसका बिल नहीं मिलता है. फिलहाल जिला प्रशासन भी इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है. आज तक किसी डॉक्टर और नर्सिंग होम के मनमाने रवैये पर कोई कार्रवाई न होना सवाल खड़े करता है.

डिप्टी सीएमओ ने कार्रवाई का दिया आश्वासन
इस संबंध डिप्टी सीएमओ सीएल कनौजिया ने बताया कि अगर कंसल्टिंग फीस का पक्का बिल नहीं दिया जा रहा तो यह नियम विरुद्ध है. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों के फीस तय करने पर अंकुश लगाने का कोई नियम नहीं है, लेकिन फीस चाहे जितनी हो बिल देना जरूरी है. हम इस मामले की जांच करेंगे और दोषियों पर कार्रवाई करेंगे.

डिप्टी सीएमओ ने बताया कि अभी तक इस तरह का केस सामने नहीं आया है, वैसे हम समय-समय पर अल्ट्रासाउंड सेंटर और पैथोलॉजी की जांच करते हैं और ये तय करते हैं कि वो सही बिल दे रहे है या नहीं.

ये भी पढे़ं: दुबई से बस्ती लौटा कोरोना का संदिग्ध मरीज, आइसोलेशन वार्ड में भर्ती

बस्ती: जनपद में प्राइवेट डॉक्टर गरीब मरीजों का जम कर शोषण कर रहे है. इलाज के नाम पर मरीजों से मनमानी फीस तो लेते हैं, लेकिन उन्हें इसका बिल नहीं देते. साथ ही इसके आड़ में करोड़ों रूपये प्रतिवर्ष इनकम टैक्स की चोरी भी कर रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन नर्सिंग होम और प्राइवेट डॉक्टरों पर नकेल नहीं कस पा रहा है. जनपद में ये खेल खुलेआम चल रहा है, मगर आज तक किसी एक पर भी कार्रवाई नहीं की गई.

मरीजों को नहीं दिया जाता फीस का बिल
दरअसल, बस्ती जनपद में 69 नर्सिंग होम पंजीकृत हैं. उनको बकायदा फर्म के रूप रजिट्रेशन कराया गया है. साथ ही नियम यह भी है कि हर जांच और कन्सल्टिंग फीस की पक्की रशीद मरीज को दी जाए. चाहे डॉक्टर की फीस एक रुपया हो या एक हजार. लेकिन ज्यादातर डॉक्टरों द्वारा जो फीस लिया जाता है, उसका बिल मरीजों को नहीं दिया जाता. सिर्फ पैसा लेकर राजिस्टर में नम्बर लगा दिया जाता है. जबकि यह नियम है कि नर्सिंग होम के नाम पर पक्की बिल मरीज को दिया जाय.

बेलगाम हुए प्राइवेट नर्सिंग होम और डॉक्टर.

जीएसटी के दायरे से बाहर हैं डॉक्टर
सरकार ने डॉक्टर की फीस व उपचार महंगा न हो और लोगों को दिक्कत न हो, इसलिये डॉक्टर को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है, लेकिन जनपद के डॉक्टर मरीजों से मुहमांगी फीस ले रहे हैं और बिल भी नहीं दे रहे.

मरीजों ने बयां की कहानी
मरीजों ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में सही इलाज न मिलने के कारण प्राइवेट में महंगा इलाज कराना पड़ता है. यहां भी मनमाना फीस वसूल किया जाता है. उन्होंने बताया कि जो डॉक्टर की फीस जमा की जाती है, उसका बिल नहीं मिलता है. फिलहाल जिला प्रशासन भी इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है. आज तक किसी डॉक्टर और नर्सिंग होम के मनमाने रवैये पर कोई कार्रवाई न होना सवाल खड़े करता है.

डिप्टी सीएमओ ने कार्रवाई का दिया आश्वासन
इस संबंध डिप्टी सीएमओ सीएल कनौजिया ने बताया कि अगर कंसल्टिंग फीस का पक्का बिल नहीं दिया जा रहा तो यह नियम विरुद्ध है. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों के फीस तय करने पर अंकुश लगाने का कोई नियम नहीं है, लेकिन फीस चाहे जितनी हो बिल देना जरूरी है. हम इस मामले की जांच करेंगे और दोषियों पर कार्रवाई करेंगे.

डिप्टी सीएमओ ने बताया कि अभी तक इस तरह का केस सामने नहीं आया है, वैसे हम समय-समय पर अल्ट्रासाउंड सेंटर और पैथोलॉजी की जांच करते हैं और ये तय करते हैं कि वो सही बिल दे रहे है या नहीं.

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