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भगवान ने नहीं दिए हाथ तो आलोक कुमार पैरों से लिख रहा अपनी किस्मत

बस्ती के रामनगर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय के कक्षा 6 के दिव्यांग छात्र आलोक कुमार अपनी किस्मत अपने हाथों से नहीं बल्कि पैरों की उंगलियों से लिख रहा है. छात्र का सपना डॉक्टर बनने के है, जिसके लिए सीएम से उसने पढाई में मदद की गुहार लगाई है.

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Published : Nov 4, 2022, 8:22 PM IST

बस्ती: सफलता उन्हीं को मिलती है, जो मंजिल तक पहुंचने के लिए हर मुश्किल को पार करने का हौसला रखते हैं. इस तरह के सुविचार हम रोज अपने जीवन में पढ़ते और सुनते हैं. जी हां अपनी लगन से कुछ ऐसा ही साबित कर रहे हैं. बस्ती के रहने वाले कक्षा 6 के छात्र आलोक कुमार. महज 11 साल की उम्र में आलोक के हौंसलों की उड़ान को देख कर आप खुद दांतो तले उंगली दबा लेंगे, क्योंकि वह अपनी किस्मत अपने हाथों से नहीं बल्कि पैरों की उंगलियों से लिख रहा है.

भगवान ने नहीं दिए हाथ तो पैरों से लिख रहा किस्मत की इबारत

दरअसल, रामनगर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय (Primary Schools of Ramnagar Block) के कक्षा 6 के छात्र आलोक कुमार, पैदाइशी दोनों हाथों से दिव्यांग हैं. लेकिन उस बच्चे के जज्बे को देख कर हर कोई हैरान रह जाता है. दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद आलोक अपने हौंसलें को कभी कम नहीं होने देता है. इसी के बदौलत सामान्य बच्चों की तरह बिना हाथ के अपना पूरा काम खुद करता है. खुद से साईकिल चला कर स्कूल जाता है, बल्कि पैर से फर्राटेदार कापी पर लिखता भी है, जिसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि वह पैरों से लिखता है.

दिव्यांग छात्र आलोक बचपन से होनहार है. चार बहनों में एकलौता भाई है. आलोक जब धीरे-धीरे बड़ा होने लगा और उस की उम्र स्कूल जाने की हो गई तो गांव के अन्य बच्चों को स्कूल जाते देख उस का भी मन स्कूल जाने को करने लगा, उसी के बाद आलोक ने स्कूल जा कर पढ़ने की जिद्द ठानी और अपने पैरों से लिखना सीखना शुरू किया, फिर घर वालों ने बच्चे का एडमिशन करा दिया और अपने हौंसलों की वजह से बच्चा आज सामन्य बच्चों की तरह स्कूल में पढ़ रहा है

वहीं, नन्हा आलोक का सपना पढ़ लिख कर डाक्टर बनना है. लेकिन पिता की दोनों किडनी खराब है. खेत बेच कर पिता का इलाज चल रहा है. इसी के चलते बच्चे ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपनी पढाई में मदद की गुहार लगाई है, जिससे वह पढ लिख कर डाक्टर बन सके और अपने सपने को साकार कर सके.

यह भी पढ़ें- अखिलेश यादव बोले, प्रदेश अराजकता की चपेट में, स्कूल छोड़ रहीं बच्चियां

बस्ती: सफलता उन्हीं को मिलती है, जो मंजिल तक पहुंचने के लिए हर मुश्किल को पार करने का हौसला रखते हैं. इस तरह के सुविचार हम रोज अपने जीवन में पढ़ते और सुनते हैं. जी हां अपनी लगन से कुछ ऐसा ही साबित कर रहे हैं. बस्ती के रहने वाले कक्षा 6 के छात्र आलोक कुमार. महज 11 साल की उम्र में आलोक के हौंसलों की उड़ान को देख कर आप खुद दांतो तले उंगली दबा लेंगे, क्योंकि वह अपनी किस्मत अपने हाथों से नहीं बल्कि पैरों की उंगलियों से लिख रहा है.

भगवान ने नहीं दिए हाथ तो पैरों से लिख रहा किस्मत की इबारत

दरअसल, रामनगर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय (Primary Schools of Ramnagar Block) के कक्षा 6 के छात्र आलोक कुमार, पैदाइशी दोनों हाथों से दिव्यांग हैं. लेकिन उस बच्चे के जज्बे को देख कर हर कोई हैरान रह जाता है. दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद आलोक अपने हौंसलें को कभी कम नहीं होने देता है. इसी के बदौलत सामान्य बच्चों की तरह बिना हाथ के अपना पूरा काम खुद करता है. खुद से साईकिल चला कर स्कूल जाता है, बल्कि पैर से फर्राटेदार कापी पर लिखता भी है, जिसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि वह पैरों से लिखता है.

दिव्यांग छात्र आलोक बचपन से होनहार है. चार बहनों में एकलौता भाई है. आलोक जब धीरे-धीरे बड़ा होने लगा और उस की उम्र स्कूल जाने की हो गई तो गांव के अन्य बच्चों को स्कूल जाते देख उस का भी मन स्कूल जाने को करने लगा, उसी के बाद आलोक ने स्कूल जा कर पढ़ने की जिद्द ठानी और अपने पैरों से लिखना सीखना शुरू किया, फिर घर वालों ने बच्चे का एडमिशन करा दिया और अपने हौंसलों की वजह से बच्चा आज सामन्य बच्चों की तरह स्कूल में पढ़ रहा है

वहीं, नन्हा आलोक का सपना पढ़ लिख कर डाक्टर बनना है. लेकिन पिता की दोनों किडनी खराब है. खेत बेच कर पिता का इलाज चल रहा है. इसी के चलते बच्चे ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपनी पढाई में मदद की गुहार लगाई है, जिससे वह पढ लिख कर डाक्टर बन सके और अपने सपने को साकार कर सके.

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