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बस्ती: प्रशासन की सख्ती का दिखा असर, बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर तक नहीं पहुंचे भक्त - पूर्वांचल का सबसे बड़ा कांवड़ मेला

कोरोना को लेकर कांवड़ यात्रा रोकने के आदेश का असर जनपद में देखने को मिला. प्रशासन की सख्ती की वजह से दर्शन करने आ रहे भक्तों को मायूस होकर वापस जाना पड़ा. कोरोना को लेकर जिला प्रशासन ने अपने आसपास मंदिरों में पूजा अर्चना की अपील की थी.

बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर तक नहीं पहुंचे भक्त
बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर तक नहीं पहुंचे भक्त
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Published : Jul 6, 2020, 10:50 PM IST

बस्ती: कोरोना की महामारी को लेकर इस बार कांवड़ यात्रा रोकने के आदेश दिए गए हैं. इसका असर जनपद में देखने को मिला. सावन के पहले सोमवार पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए प्रशासन की सख्ती की वजह से भदेश्वर नाथ मन्दिर में दर्शन करने आ रहे भक्तों को मायूस होकर वापस जाना पड़ा. कोरोना को लेकर जिला प्रशासन ने अपने आसपास मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पूजा अर्चना की अपील की थी.
भदेश्वरनाथ में लगता है पूर्वांचल का सबसे बड़ा कांवड़ मेला
दरअसल सावन के महीने में लाखों भक्त बाबा भदेश्वर नाथ मन्दिर पर पहुंचते हैं. हालांकि पूरे प्रदेश में पहले ही कावंड़ यात्रा पर रोक लगा दी गयी थी. जिसको लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा. भक्तों को भदेश्वर नाथ मंदिर पहुंचने से रोकने के लिए जगह जगह बैरियर लगाए गए थे. मन्दिर पर भी भारी पुलिस बल मौजूद था. भदेश्वरनाथ में पूर्वांचल का सबसे बड़ा कांवड़ मेला लगता है. पूरे मंडल के श्रद्धालु अयोध्या के नए घाट से सरयू का जल भरकर कांवड़ के रूप में भदेश्वरनाथ आते हैं. इसके लिए आईजी आशुतोष कुमार ने जनता से अपील की थी कि जलाभिषेक अपने आस-पास के शिव मन्दिर में करें. साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करने का भी निर्देश दिया गया था.
मंदिरों के गर्भगृह एक बार में केवल 5 श्रद्धालुओं को जल चढ़ाने का निर्देश

अयोध्या जिला प्रशासन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जनपद की सभी सीमाओं को सील कर दिया था क्योंकि श्रद्धालु सरयू नदी में जल लेने जाते हैं और वहां से भदेश्वर नाथ पहुंचते हैं. बस्ती जिले में कुल 56 शिव मन्दिर है. प्रशासन ने अन्य मन्दिरों में भी गर्भगृह में एक बार में केवल 5 श्रद्धालुओं को जल चढाने का निर्देश दिया है. जिला प्रशासन का आदेश है कि बस्ती जिले में किसी भी स्थान पर मेले, शिविर, भण्डारा, जलपान स्थल का आयोजन नहीं होगा.

पुजारी ने बताया कि पहली बार जब है कि भक्त भोलेनाथ से दूर रहे. कोरोना महामारी की वजह से जिला प्रशासन ने बैरिकेडिंग कर के मंदिर में रोक लगा दी थी. फिर भी कुछ आस-पास के लोग भदेश्वर नाथ पहुंचे और जल चढ़ाया.

बस्ती: कोरोना की महामारी को लेकर इस बार कांवड़ यात्रा रोकने के आदेश दिए गए हैं. इसका असर जनपद में देखने को मिला. सावन के पहले सोमवार पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए प्रशासन की सख्ती की वजह से भदेश्वर नाथ मन्दिर में दर्शन करने आ रहे भक्तों को मायूस होकर वापस जाना पड़ा. कोरोना को लेकर जिला प्रशासन ने अपने आसपास मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पूजा अर्चना की अपील की थी.
भदेश्वरनाथ में लगता है पूर्वांचल का सबसे बड़ा कांवड़ मेला
दरअसल सावन के महीने में लाखों भक्त बाबा भदेश्वर नाथ मन्दिर पर पहुंचते हैं. हालांकि पूरे प्रदेश में पहले ही कावंड़ यात्रा पर रोक लगा दी गयी थी. जिसको लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा. भक्तों को भदेश्वर नाथ मंदिर पहुंचने से रोकने के लिए जगह जगह बैरियर लगाए गए थे. मन्दिर पर भी भारी पुलिस बल मौजूद था. भदेश्वरनाथ में पूर्वांचल का सबसे बड़ा कांवड़ मेला लगता है. पूरे मंडल के श्रद्धालु अयोध्या के नए घाट से सरयू का जल भरकर कांवड़ के रूप में भदेश्वरनाथ आते हैं. इसके लिए आईजी आशुतोष कुमार ने जनता से अपील की थी कि जलाभिषेक अपने आस-पास के शिव मन्दिर में करें. साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करने का भी निर्देश दिया गया था.
मंदिरों के गर्भगृह एक बार में केवल 5 श्रद्धालुओं को जल चढ़ाने का निर्देश

अयोध्या जिला प्रशासन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जनपद की सभी सीमाओं को सील कर दिया था क्योंकि श्रद्धालु सरयू नदी में जल लेने जाते हैं और वहां से भदेश्वर नाथ पहुंचते हैं. बस्ती जिले में कुल 56 शिव मन्दिर है. प्रशासन ने अन्य मन्दिरों में भी गर्भगृह में एक बार में केवल 5 श्रद्धालुओं को जल चढाने का निर्देश दिया है. जिला प्रशासन का आदेश है कि बस्ती जिले में किसी भी स्थान पर मेले, शिविर, भण्डारा, जलपान स्थल का आयोजन नहीं होगा.

पुजारी ने बताया कि पहली बार जब है कि भक्त भोलेनाथ से दूर रहे. कोरोना महामारी की वजह से जिला प्रशासन ने बैरिकेडिंग कर के मंदिर में रोक लगा दी थी. फिर भी कुछ आस-पास के लोग भदेश्वर नाथ पहुंचे और जल चढ़ाया.

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