बस्ती: परिषदीय विद्यालयों को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित करने की कवायद तेज हो गई है. कायाकल्प योजना और बालू खनन से सरकार को बड़ा फायदा हुआ है. लिहाजा मुनाफे के कुछ फीसदी से सरकार ने जिले के 20 प्राइमरी स्कूलों को जीर्णोध्दार करने के लिए चयनित किया है, ताकि इन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में परिवर्तित किया जा सके. इसके लिए सरकार ने भारी बजट भी जारी किया है.
बजट आते ही बालू खनन क्षेत्र के प्राथमिक स्कूलों में निर्माण कार्य शुरू हो गया, लेकिन भ्रष्टाचारियों के लिए यह योजना भी कमाई का जरिया बन गई. जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से कागजों पर स्कूलों का कायाकल्प किया जा रहा है. विद्यालय के मरम्म्त में पुराने सामान को नए के तौर पर उपयोग में लाया जा रहा है. पुरानी निर्माण सामाग्री को नई सामाग्री की जगह इस्तेमाल कर बजट का बंदरबांट किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो के जरिए इजरगढ़ प्राइमरी स्कूल की मरम्म्त में घटिया और पुरानी सामाग्री इस्तेमाल किए जाने का खुलासा हुआ है.
ग्रामीणों का कहना है कि कायाकल्प योजना के तहत इस स्कूल में निर्माण कार्य के नाम पर पहले ही एक लाख रुपये का गबन किया जा चुका है. खनिज विभाग इस स्कूल को मॉडल स्कूल में बदलने का कार्य कर रहा है, लेकिन जिम्मेदार अपनी जेबे भरने में लगे हुए हैं.
बेसिक शिक्षा विभाग के एसडीआई से ग्रामीणों ने कई बार शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन नहीं उठा. सरकार ने खनिज नीति के मुताबिक जिन प्राइमरी स्कूलों को चुना है, उनमें अगर बजट का 50 फीसदी भी खर्च कर दिया जाता है तो ये स्कूल किसी कॉन्वेंट स्कूल से देखने में कम नहीं लगेंगे, क्योंकि इस योजना के तहत प्राइमरी स्कूलों में टाइल्स से लेकर हाईटेक क्लासरूम, टॉयलेट और प्रिंसिपल रूम सहित बिल्डिंग निर्माण का कार्य होना है, लेकिन भ्रष्टाचारी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं. बीएसए अरुण कुमार ने मामले की जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही है.