बस्ती: गुजरात के मोरबी में हुए हादसे के बाद अब पुलो को लेकर सरकार गंभीर हो गई है. इसी कड़ी में लगातार जर्जर हो चुके पुलों की मॉनिटरिंग (Monitoring of Dilapidated Bridges) की जा रही है और उन्हें ठीक करने के लिए सरकार लगातार प्रयास भी कर रही है. मगर बस्ती जनपद में एक ऐसा पूल है, जो कि खुलेआम हादसों को दावत दे रहे है.
दरअसल, सदर तहसील के बैजूपुरवा गांव में बन रहे पूल की गति रुक सी गई है. पिछले एक साल से इस पूल का काम बंद हो गया है, जिस वजह से करोड़ों की लागत से बन रहा सेतु निगम का यह पुल हवा में झूल रहा है. मगर कहते है न हिंदुस्तान में जुगाड़ की कमी नहीं है, तो गांव के कुछ जुगाड़ वाले इंजीनियरों ने हवा में झूल रहे पूल के दोनों तरफ सरिए का जाल बनाकर चढ़ने और उतरने के लिए अप्रोच बना लिया है और फिर अपनी जान को जोखिम में डाल इस पूल से आवागमन करने को मजबूर है. वर्ष 2021 में सेतु निगम की तरफ से 13.78 करोड़ की लागत से सैंकड़ो गांव के लोगो को राहत पहुंचाने के लिए निर्माण कार्य शुरू हुआ, समय बीता और पूल का काम होता रहा, पूल का काम लगभग पूरा हो चुका है. मगर पुल पर चढ़ने और उतरने के लिए अप्रोच मार्ग का काम नहीं हो पाया.
अप्रोच बनाने के लिए जिस जमीन को अधिग्रहण करना था. उसको लेकर किसान मुआवजे पर विवाद करने लगे, किसानों से सेतु निगम (Farmers to Setu Nigam) के अधिकारी कई बार बात किए मगर मुआवजे की राशि को लेकर बात नहीं बनी, और एक साल से पूल हवा में झूलने को मजबूर है, इतना ही नहीं पूल का काम पूरा ना होने की वजह से आम लोग खुद आगे आए और सरकारी सिस्टम को चैलेंज करने अधूरे पूल का अप्रोच मार्ग खुद जुगाड़ से बनाया और अब इसी के सहारे वे आवागमन कर रहे है. इस पूल के बनने से आस पास के गांव के लोगो की दूरी 10 से 15 किलोमीटर कम हो जाएगी और आसानी से लोग बस्ती मुख्यालय आने के लिए अपने गांव से निकलकर सीधा कुवानों नदी पर बन रहे इस पूल का प्रयोग कर सकेंगे.
वहीं, सदर तहसील के एसडीएम शैलेश दुबे से जब पूल का काम न होने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि किसानों से मुआवजे को लेकर लगातार बात की जा रही है, लगभग 6 से 8 किसान है, जिनकी जमीन पूल के अप्रोच मार्ग में आ रही है. मुआवजे को लेकर किसान अपनी बात कर रहे है. किसान सर्किल रेट से अधिक मुआवजा चाहते है, जिनसे बात करके विवाद का हल निकाला जाएगा और जल्द ही पूल का अप्रोच मार्ग पूरा करवाया जाएगा.
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