बस्ती: कई रहस्यों और गौरवमई इतिहास को अपने गर्भ में समेटे चंदो ताल हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है. चंदो ताल के बारे में प्रचलित कहानियां लोगों को इसके बारे में जानने के लिए प्रेरित करती है. मान्यता है कि इस जगह पर कभी वैभवशाली नगर हुआ करता था. जिसके निशान आज भी मिलते पाए जाते हैं. कुछ लोग का तो यह भी मानना है कि यहां किसी तरह की अदृश्य शक्ति निवास करती है.
चंदो ताल का रहा है गौरवमयी इतिहास
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर कलवारी रोड पर विशाल जलाशय के रूप में अपने गौरवमयी इतिहास को समेटे चंदो ताल, गोरखपुर के रामगढ़ ताल, संतकबीरनगर के बखिरा ताल की तरह आकर्षण का केंद्र रहा है. यह ताल 5 किलोमीटर लंबी और 4 किलोमीटर चौड़ी है. गजेटियर के अनुसार 17वीं शताब्दी में यहां राजभरों का राज्य चंद्र नगर के नाम से विकसित हुआ.
खुदाई के दौरान मिलते हैं प्रमाण
विकसित सभ्यता का प्रमाण खुदाई के दौरान लोगों को मिलते हैं. माना जाता है कि झील के आसपास की जगह से मछुआरों और कुछ अन्य लोगों को प्राचीन समय के बने हुए आभूषण और ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए थे. कुछ समय बाद यहां प्राकृतिक आपदा से यह जगह एक झील के रूप में बदल गई.
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह किसी प्रकार की कोई अदृश्य शक्ति है. आज भी कभी-कभी कई घड़े दिखाई देते हैं. ऐसा माना जाता है कि उसमें सोना चांदी आभूषण है लेकिन उसे कोई हासिल नहीं कर सका है. लोगों का मानना है कि यह चीजें यहां पहले रहे नगर के लोगों की है.
कई जगह राजभरों का जिक्र आता है, और कहीं ऐसा माना जाता है कि यहां थारू जाति के लोगों का निवास था. साथ ही ऐसा भी मान्यता है कि सन 1857 में राजा नगर उदय प्रताप नारायण सिंह ने राजभरों को हराकर यहां कब्जा कर लिया और घुड़साल और आवास का निर्माण कराया. जिनका अवशेष आज भी मिलता है.
राजेंद्र नाथ त्रिपाठी,साहित्यकार