ETV Bharat / state

बस्ती: अदृश्य शक्तियों से भरा चंदो ताल नगर - बस्ती से खबर

उत्तर प्रदेश के बस्ती में चंदो ताल एक ऐसा नगर है जो कई रहस्यों और गौरवमयी इतिहास को अपने गर्भ में समेटे हुए है. चंदो ताल के बारे में प्रचलित कहानियां लोगों को इसकी तरफ आकर्षित करती हैं. कुछ लोग यहां किसी अदृश्य शक्ति होने का भी दावा करते हैं.

etv bharat
अदृश्य शक्तियों से भरा चंदो ताल नगर.
author img

By

Published : Jan 5, 2020, 3:10 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 6:12 PM IST

बस्ती: कई रहस्यों और गौरवमई इतिहास को अपने गर्भ में समेटे चंदो ताल हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है. चंदो ताल के बारे में प्रचलित कहानियां लोगों को इसके बारे में जानने के लिए प्रेरित करती है. मान्यता है कि इस जगह पर कभी वैभवशाली नगर हुआ करता था. जिसके निशान आज भी मिलते पाए जाते हैं. कुछ लोग का तो यह भी मानना है कि यहां किसी तरह की अदृश्य शक्ति निवास करती है.

अदृश्य शक्तियों से भरा चंदो ताल नगर.

चंदो ताल का रहा है गौरवमयी इतिहास
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर कलवारी रोड पर विशाल जलाशय के रूप में अपने गौरवमयी इतिहास को समेटे चंदो ताल, गोरखपुर के रामगढ़ ताल, संतकबीरनगर के बखिरा ताल की तरह आकर्षण का केंद्र रहा है. यह ताल 5 किलोमीटर लंबी और 4 किलोमीटर चौड़ी है. गजेटियर के अनुसार 17वीं शताब्दी में यहां राजभरों का राज्य चंद्र नगर के नाम से विकसित हुआ.

खुदाई के दौरान मिलते हैं प्रमाण
विकसित सभ्यता का प्रमाण खुदाई के दौरान लोगों को मिलते हैं. माना जाता है कि झील के आसपास की जगह से मछुआरों और कुछ अन्य लोगों को प्राचीन समय के बने हुए आभूषण और ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए थे. कुछ समय बाद यहां प्राकृतिक आपदा से यह जगह एक झील के रूप में बदल गई.

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह किसी प्रकार की कोई अदृश्य शक्ति है. आज भी कभी-कभी कई घड़े दिखाई देते हैं. ऐसा माना जाता है कि उसमें सोना चांदी आभूषण है लेकिन उसे कोई हासिल नहीं कर सका है. लोगों का मानना है कि यह चीजें यहां पहले रहे नगर के लोगों की है.

कई जगह राजभरों का जिक्र आता है, और कहीं ऐसा माना जाता है कि यहां थारू जाति के लोगों का निवास था. साथ ही ऐसा भी मान्यता है कि सन 1857 में राजा नगर उदय प्रताप नारायण सिंह ने राजभरों को हराकर यहां कब्जा कर लिया और घुड़साल और आवास का निर्माण कराया. जिनका अवशेष आज भी मिलता है.
राजेंद्र नाथ त्रिपाठी,साहित्यकार

बस्ती: कई रहस्यों और गौरवमई इतिहास को अपने गर्भ में समेटे चंदो ताल हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है. चंदो ताल के बारे में प्रचलित कहानियां लोगों को इसके बारे में जानने के लिए प्रेरित करती है. मान्यता है कि इस जगह पर कभी वैभवशाली नगर हुआ करता था. जिसके निशान आज भी मिलते पाए जाते हैं. कुछ लोग का तो यह भी मानना है कि यहां किसी तरह की अदृश्य शक्ति निवास करती है.

अदृश्य शक्तियों से भरा चंदो ताल नगर.

चंदो ताल का रहा है गौरवमयी इतिहास
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर कलवारी रोड पर विशाल जलाशय के रूप में अपने गौरवमयी इतिहास को समेटे चंदो ताल, गोरखपुर के रामगढ़ ताल, संतकबीरनगर के बखिरा ताल की तरह आकर्षण का केंद्र रहा है. यह ताल 5 किलोमीटर लंबी और 4 किलोमीटर चौड़ी है. गजेटियर के अनुसार 17वीं शताब्दी में यहां राजभरों का राज्य चंद्र नगर के नाम से विकसित हुआ.

खुदाई के दौरान मिलते हैं प्रमाण
विकसित सभ्यता का प्रमाण खुदाई के दौरान लोगों को मिलते हैं. माना जाता है कि झील के आसपास की जगह से मछुआरों और कुछ अन्य लोगों को प्राचीन समय के बने हुए आभूषण और ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए थे. कुछ समय बाद यहां प्राकृतिक आपदा से यह जगह एक झील के रूप में बदल गई.

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह किसी प्रकार की कोई अदृश्य शक्ति है. आज भी कभी-कभी कई घड़े दिखाई देते हैं. ऐसा माना जाता है कि उसमें सोना चांदी आभूषण है लेकिन उसे कोई हासिल नहीं कर सका है. लोगों का मानना है कि यह चीजें यहां पहले रहे नगर के लोगों की है.

कई जगह राजभरों का जिक्र आता है, और कहीं ऐसा माना जाता है कि यहां थारू जाति के लोगों का निवास था. साथ ही ऐसा भी मान्यता है कि सन 1857 में राजा नगर उदय प्रताप नारायण सिंह ने राजभरों को हराकर यहां कब्जा कर लिया और घुड़साल और आवास का निर्माण कराया. जिनका अवशेष आज भी मिलता है.
राजेंद्र नाथ त्रिपाठी,साहित्यकार

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: कई रहस्यों और गौरवमई इतिहास को अपने गर्भ में समेटे चंदो ताल हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है. चंदो ताल के बारे में प्रचलित कहानियां अनायास ही इसकी तरफ आकर्षित करती हैं. मान्यता है कि इस जगह कभी वैभवशाली नगर हुआ करता था, जिसके निशान आज भी मिलते हैं. कुछ लोग यहां किसी अदृश्य शक्ति का भी दावा करते हैं.

दरअसल जनपद मुख्यालय से 10 किलोमीटर कलवारी रोड पर विशाल जलाशय के रूप में अपने गौरवमयी इतिहास को समेटे चंदो ताल, गोरखपुर के रामगढ़ ताल, संतकबीरनगर के बखिरा ताल की तरह आकर्षण का केंद्र रहा है. यह ताल 5 किलोमीटर लंबी और 4 किलोमीटर चौड़ी है. गजेटियर के अनुसार 17वीं शताब्दी में यहां राजभरों का राज्य चंद्र नगर के नाम से विकसित हुआ. विकसित सभ्यता का प्रमाण खुदाई के दौरान लोगों को मिलता है. माना जाता है कि झील के आसपास की जगह से मछुआरों व कुछ अन्य लोगों को प्राचीन समय के बने हुए आभूषण और ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए थे. कुछ समय बाद यहां प्राकृतिक आपदा से यह जगह एक झील के रूप में बदल गई.




Body:वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि यह किसी प्रकार की कोई अदृश्य शक्ति है. आज भी कभी-कभी कई घड़े दिखाई देते हैं. ऐसा माना जाता है कि उसमें सोना चांदी आभूषण है लेकिन उसे कोई हासिल नहीं कर सका है. लोगों का मानना है कि यह चीजें यहां पहले रहे नगर के लोगों की है. साथ ही साहित्यकार राजेंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि कई जगह राजभरों का जिक्र आता है और कहीं ऐसा माना जाता है कि यहां थारू जाति के लोगों का निवास था. साथ ही ऐसा भी मान्यता है कि सन 1857 में राजा नगर उदय प्रताप नारायण सिंह ने राजभरों को हराकर यहां कब्जा कर लिया और घुड़साल और आवास का निर्माण कराया. जिनका अवशेष आज भी मिलता है. उन्होंने बताया कि अभी भी नेपाल से थारू जाति के लोग यहां आते हैं और अवशेषों की तलाश करते हैं. मान्यता है कि ऐसी अमूल्य चीजें हैं जिसे थारू के अलावा कोई और हासिल नहीं कर पाएगा और अगर करता भी है तो उसका वंश खत्म हो जाएगा. राजेंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि सरकार को इस अमूल्य धरोहर की तरफ ध्यान देना चाहिए और इसे संभालना चाहिए.

बाइट.....स्थानीय, राधेश्याम
बाइट....स्थानीय, राजाराम
बाइट.....राजेंद्र नाथ तिवारी, साहित्यकार


Conclusion:
Last Updated : Jan 5, 2020, 6:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.