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अधूरा पड़ा करोंड़ो की लागत से बना सरकारी ब्रिज, ग्रामीणों ने बनाया 5 हजार का अस्थाई पुल - Villagers built temporary bridge in basti

बस्ती जिले के बहादुर ब्लॉक के कचुरे घाट पर 8 करोड़ की लागत से बना पुल अब सिर्फ शो पीस बनकर रह गया है. बताया जा रहा है कि किसानों कि जमीन अधिग्रहण का कार्य नहीं किये जाने के कारण पुल का एप्रोच नहीं बन सका. लोगों ने खुद पैसा खर्च कर और श्रमदान कर पक्के पुल के बगल मिट्टी पाट कर नया रास्ता बना दिया.

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अधूरा पड़ा करोंड़ो की लागत से बना पुल
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Published : Dec 1, 2019, 3:21 PM IST

बस्ती: जिले के बहादुर ब्लॉक के कचूरे घाट पर सेतु निगम की तरफ से 2018 में 8 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया गया था. लेकिन यह पुल सिर्फ शो-पीस बनकर रह गया है. सरकार ने 8 करोड़ खर्च कर इस पुल का निर्माण तो करा दिया लेकिन उपयोग में न होने के कारण ग्रामीणों ने लगभग 8 हजार खर्च कर एक अस्थाई पुल बना दिया और अब इसी पुल से लोगों का आना जाना होता है.

लोगों का कहना किसानों कि जमीन अधिग्रहित नहीं होने के कारण अधूरा रह गया पुल
लोगों का कहना है कि सरकार ने करोड़ों खर्च कर दिए लेकिन किसानों कि जमीन अधिग्रहण का काम नहीं हो पाया, जिससे पुल का एप्रोच यानि पहुंच मार्ग नहीं बन सका. पुल का निर्माण पूरा होने का इंतजार करते करते जब लोग थक गए तब उन्होंने खुद पैसा खर्च कर और श्रमदान कर पक्के पुल के बगल मिट्टी पाट कर नया रास्ता बना दिया.

अधूरा पड़ा करोंड़ो की लागत से बना पुल.

अधूरा पड़ा सेतु निर्माण का कार्य
जिले के बहादुरपुर ब्लॉक मुख्यालय से सटे मनोरमा नदी (मनवर) के कचूरे-नौली घाट पर पानी की धारा के बीच से ग्रामीणों ने रास्ता निकाल लिया और सरकारी तंत्र की अव्यवस्था को चुनौती देते हुए अपने आवागमन का जरिया ढूंढ़ लिया, जबकि करोड़ों की लागत से पुल बनने के बावजूद अभी तक एप्रोच न बन पाना सेतु निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने लगा है.

2018 में किया गया था शिलान्यास
पहले नाव फिर बाद में बांस-बल्ली के पुल के सहारे मनोरमा नदी पार कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले ग्रामीणों की खुशी का उस दिन कोई ठिकाना नहीं था, जब 29 अप्रैल 2018 को क्षेत्रीय विधायक रवि सोनकर ने कचूरे-नौली घाट पर भूमिपूजन कर पुल का शिलान्यास किया था.

क्षेत्रीय विधायक रवि सोनकर ने जनता को समर्पित किया था पुल
इस दौरान रवि सोनकर ने दावा किया था कि साल भीतर यह पुल जनता को समर्पित कर दिया जाएगा और तकरीबन पांच दर्जन गांवों के लोगों को ब्लॉक व मंडल मुख्यालय पहुंचना आसान हो जाएगा. पुल तो नाबार्ड वित्त पोषित आरआईडी 23 योजना के तहत सेतु निगम ने समय सीमा के अंदर तैयार कर दिया, लेकिन एप्रोच के लिए जमीन की रजिस्ट्री न हो पाने के कारण दर्जनों गांवों का आवागमन बाधित हो गया.

ग्रामीणों ने बनाया अस्थाई पुल
ग्रामीणों को बाजार व ब्लॉक जगहों पर पहुंचने के लिए कुसौरा बाजार होकर तकरीबन 15 किलोमीटर की अधिक दूरी तय करनी पड़ती थी. कचूरे गांव के लोगों ने क्षेत्र की इस गंभीर समस्या को देखते हुए क्षेत्रीय जनता और कुछ समाजसेवियों की मदद से पक्के पुल के बगल मिट्टी पाट कर नया रास्ता बना दिया. नदी का जलप्रवाह न रुके, लिहाजा पानी निकालने के लिए ह्यूमपाइप लगा दिया गया.

सेतु निगम अधिकारी का कहना जल्द पूरे किए जाएंगे अधूरे काम
सेतु निगम के अधिकारी राकेश कुमार ने इस बारे में बताया कि पूल बन रहा है और किसानों कि जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया की जा रही है, बहोत जल्द अप्रोच का काम पूरा कर लिया जाएगा और ये पूल लोगों के आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा.

बस्ती: जिले के बहादुर ब्लॉक के कचूरे घाट पर सेतु निगम की तरफ से 2018 में 8 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया गया था. लेकिन यह पुल सिर्फ शो-पीस बनकर रह गया है. सरकार ने 8 करोड़ खर्च कर इस पुल का निर्माण तो करा दिया लेकिन उपयोग में न होने के कारण ग्रामीणों ने लगभग 8 हजार खर्च कर एक अस्थाई पुल बना दिया और अब इसी पुल से लोगों का आना जाना होता है.

लोगों का कहना किसानों कि जमीन अधिग्रहित नहीं होने के कारण अधूरा रह गया पुल
लोगों का कहना है कि सरकार ने करोड़ों खर्च कर दिए लेकिन किसानों कि जमीन अधिग्रहण का काम नहीं हो पाया, जिससे पुल का एप्रोच यानि पहुंच मार्ग नहीं बन सका. पुल का निर्माण पूरा होने का इंतजार करते करते जब लोग थक गए तब उन्होंने खुद पैसा खर्च कर और श्रमदान कर पक्के पुल के बगल मिट्टी पाट कर नया रास्ता बना दिया.

अधूरा पड़ा करोंड़ो की लागत से बना पुल.

अधूरा पड़ा सेतु निर्माण का कार्य
जिले के बहादुरपुर ब्लॉक मुख्यालय से सटे मनोरमा नदी (मनवर) के कचूरे-नौली घाट पर पानी की धारा के बीच से ग्रामीणों ने रास्ता निकाल लिया और सरकारी तंत्र की अव्यवस्था को चुनौती देते हुए अपने आवागमन का जरिया ढूंढ़ लिया, जबकि करोड़ों की लागत से पुल बनने के बावजूद अभी तक एप्रोच न बन पाना सेतु निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने लगा है.

2018 में किया गया था शिलान्यास
पहले नाव फिर बाद में बांस-बल्ली के पुल के सहारे मनोरमा नदी पार कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले ग्रामीणों की खुशी का उस दिन कोई ठिकाना नहीं था, जब 29 अप्रैल 2018 को क्षेत्रीय विधायक रवि सोनकर ने कचूरे-नौली घाट पर भूमिपूजन कर पुल का शिलान्यास किया था.

क्षेत्रीय विधायक रवि सोनकर ने जनता को समर्पित किया था पुल
इस दौरान रवि सोनकर ने दावा किया था कि साल भीतर यह पुल जनता को समर्पित कर दिया जाएगा और तकरीबन पांच दर्जन गांवों के लोगों को ब्लॉक व मंडल मुख्यालय पहुंचना आसान हो जाएगा. पुल तो नाबार्ड वित्त पोषित आरआईडी 23 योजना के तहत सेतु निगम ने समय सीमा के अंदर तैयार कर दिया, लेकिन एप्रोच के लिए जमीन की रजिस्ट्री न हो पाने के कारण दर्जनों गांवों का आवागमन बाधित हो गया.

ग्रामीणों ने बनाया अस्थाई पुल
ग्रामीणों को बाजार व ब्लॉक जगहों पर पहुंचने के लिए कुसौरा बाजार होकर तकरीबन 15 किलोमीटर की अधिक दूरी तय करनी पड़ती थी. कचूरे गांव के लोगों ने क्षेत्र की इस गंभीर समस्या को देखते हुए क्षेत्रीय जनता और कुछ समाजसेवियों की मदद से पक्के पुल के बगल मिट्टी पाट कर नया रास्ता बना दिया. नदी का जलप्रवाह न रुके, लिहाजा पानी निकालने के लिए ह्यूमपाइप लगा दिया गया.

सेतु निगम अधिकारी का कहना जल्द पूरे किए जाएंगे अधूरे काम
सेतु निगम के अधिकारी राकेश कुमार ने इस बारे में बताया कि पूल बन रहा है और किसानों कि जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया की जा रही है, बहोत जल्द अप्रोच का काम पूरा कर लिया जाएगा और ये पूल लोगों के आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा.

Intro:रिपोर्ट - सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो - 9889557333

स्लग - सिस्टम को चिढ़ाता करोड़ों का पूल 

एंकर - विकास के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो गए लेकिन आज ये विकास सरकारी सिस्टम को मुंह चिढाता नजर आ रहा है, बहादुर ब्लॉक के कचुरे घाट पर सेतु निगम की तरफ से 2018 में 8 करोड़ की लागत से पूल का निर्माण कराया लेकिन ये पूल आज शोपीस बनकर रह गया है, हालत ऐसी है की सरकार ने 8 करोड़ खर्च कर इस पूल का निर्माण कराया लेकिन अनुपयोगी  होने के कारण ग्रामीणों ने महज 8 हज़ार खर्च कर एक अस्थाई पूल बना दिया और अब इसी पूल से लोगो का आना जाना होता है, लोगो का कहना है कि सरकार ने करोड़ों खर्च कर दिए लेकिन किसानों कि जमीन अधिग्रहित नहीं किया जिससे पूल का अप्रोच नहीं बन सका, पूल का निर्माण पूरा होने का इंतजार करते करते जब लोग थक गए तब उन लोगो ने खुद पैसा खर्च कर और श्रमदान कर पूल के नीचे जुगाड वाला पूल बना दिया।

जिले के बहादुरपुर ब्लॉक मुख्यालय से सटे मनोरमा नदी (मनवर) के कचूरे-नौली घाट पर पानी की धारा के बीच से ग्रामीणों ने रास्ता निकाल लिया। सरकारी तंत्र की अव्यवस्था को चुनौती देते हुए अपने आवागमन का जरिया ढूंढ़ लिया। जबकि आठ करोड़ की लागत से पुल बनने के बावजूद अभी तक एप्रोच न बन पाना सेतु निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने लगा है। पहले नाव फिर बाद में बांस-बल्ली के पुल के सहारे मनोरमा नदी पार कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले ग्रामीणों की खुशी का उस दिन कोई ठिकाना नहीं था, जब 29 अप्रैल 2018 को क्षेत्रीय विधायक रवि सोनकर ने कचूरे-नौली घाट पर भूमिपूजन कर पुल का शिलान्यास किया था।


Body:इस दौरान सोनकर ने दावा किया था कि साल भीतर यह पुल जनता को समर्पित कर दिया जाएगा और तकरीबन पांच दर्जन गांवों के लोगों को ब्लॉक व मंडल मुख्यालय पहुंचना आसान हो जाएगा। पुल तो नाबार्ड वित्त पोषित आरआईडी 23 योजना के तहत सेतु निगम ने समय सीमा के अंदर तैयार कर दिया लेकिन एप्रोच के लिए जमीन की रजिस्ट्री न हो पाने के कारण दर्जनों गांवों का आवागमन बाधित हो गया। ग्रामीणों को बाजार व ब्लॉक आदि जगहों पर पहुंचने के लिए कुसौरा बाजार होकर तकरीबन 15 किलोमीटर की अधिक दूरी तय करनी मजबूरी हो गई। कचूरे गांव के लोग क्षेत्र की इस गंभीर समस्या को देखते हुए क्षेत्रीय जनता और कुछ समाजसेवियों की मदद से पक्के पुल के बगल मिट्टी पाट कर नया रास्ता बना दिया। नदी का जलप्रवाह न रुके, लिहाजा पानी निकालने के लिए ह्यूमपाइप लगा दिया गया।


Conclusion:सेतु निगम के अधिकारी राकेश कुमार ने इस बारे में बताया कि पूल बन रहा है और किसानों कि जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया की जा रही है, बहोत जल्द अप्रोच का काम पूरा कर लिया जाएगा और ये पूल लोगो के आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा।

बाइट - राहगीर
बाइट - ग्रामीण
बाइट - स्थानीय
बाइट - राकेश कुमार,,,,सेतु निगम, सहायक अभियंता

ptc,,,,satish srivastava


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