बस्ती: राजनीति में भाषा की मर्यादा का खयाल अब न तो पक्ष के नेताओं को है और न ही विपक्ष के नेताओं को. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि सोमवार को एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) का लोकार्पण कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री को लेकर बेहद अपमानजनक टिप्पणी (derogatory remarks on prime minister) की. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (SP President Akhilesh Yadav) ने प्रधानमंत्री के वाराणसी दौरे को लेकर कहा कि आखिरी वक्त में लोग बनारस ही जाते हैं तो मोदी जी भी इसलिए वाराणसी आए हैं. ये अच्छी बात है.
अखिलेश के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में खासा घमासान (Ruckus over Akhilesh statement) मच गया. भाजपा के नेता और मंत्री अखिलेश यादव के इस टिप्पणी से बौखला गए और अब भाषा की मर्यादा लांघने की बारी उनकी थी, सो भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री व बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को पागल घोषित करते हुए कहा कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है.
अब वे अपना किसी अच्छे अस्पताल में इलाज करवाए. हरिश द्विवेदी ने अखिलेश यादव को विक्षिप्त बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पूरे विश्व में संदेश दे रहे हैं कि किस तरह से धार्मिक स्थलों का विकास हो रहा है और यही सब देखकर अखिलेश यादव डिप्रेशन में आ गए हैं. इसलिए पागलपन के दौर से गुजर रहे हैं.
वहीं, पूर्वांचल के ब्राह्मणों के बड़े व कद्दावर नेता हरिशंकर तिवारी व कुशल तिवारी के सपा में शामिल होने पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि मोदी जी गरीबों की मदद के लिए ईश्वरीय शक्ति लेकर आए हैं. हर गरीब उनमें भगवान का रूप देखता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीब और जनकल्याण के लिए तमाम योजनाएं चला रहे हैं, जिसका सीधा लाभ गरीबों को मिल रहा है. इसलिए प्रधानमंत्री गरीबों के लिए भगवान स्वरूप है.
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