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जुगाड़ के पुल के सहारे जिंदगी, जान जोखिम में डालकर गुजरते हैं लोग

बस्ती जिले के कुदरहा ब्लॉक के तिघरा घाट में एक जुगाड़ का पुल हादसों को दावत दे रहा. गांव और आस-पास के लोग हर रोज अपनी जान हथेली पर लेकर इस पुल से गुजरते हैं. सालों से पुलिया के निर्माण के लिए यहां के लोग अधिकारियों और नेताओं से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन आज तक इनकी पुकार को किसी ने नहीं सुना. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

लोगों की पुकार कब सुनेगी सरकार...
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Published : Jan 24, 2021, 2:40 PM IST

Updated : Jan 24, 2021, 3:27 PM IST

बस्ती : सरकार दावा करती है कि विकास गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा. मगर बस्ती जिले के एक गांव में विकास अपना रास्ता भूल गया है. इस गांव के लोग नदी को पार करने के लिए अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं. बिजली के खंभे को पुल बनाकर ग्रामीण उसका प्रयोग कर रहे है. इस पुल पर चलना किसी खतरे से कम नहीं है. मगर मजबूरी में ग्रामीणों को इस जुगाड़ के पूल से आना जाना पड़ रहा.

लोगों की पुकार कब सुनेगी सरकार...

जुगाड़ के पुल के सहारे चल रही जिंदगी

दरअसल, हम बात कर रहे हैं बस्ती जिले के कुदरहा ब्लॉक के तिघरा घाट की. यहां मनोरमा नदी के ऊपर लोगों ने एक जुगाड़ का पुल बना रखा है. मनोरमा नदी के ऊपर बना जुगाड़ का पुल तिघरा घाट ब्लॉक और मुख्य मार्ग को सीधे जोड़ता है. दर्जन भर गांव के लोगों का इस रास्ते से आना जाना रहता है. अधिकारियों और नेताओं से बार-बार कहने के बावजूद यहां अभी तक पुलिया का निर्माण नहीं हो सका.

जुगाड़ के पुल के सहारे जिंदगी

किसी अनहोनी का बना रहता है डर

आप को बता दें कि विद्यालय में पढ़ने जाने वाले बच्चों को जुगाड़ के पुल से ही जाना पड़ता है, जिससे बच्चों के परिजन किसी हनहोनी को लेकर हमेशा डरे रहते हैं. बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है. नदी में पूरी तरह से पानी भर जाता है. जुगाड़ की पुलिया भी पूरी तरह डूब जाती है. रास्ता बंद हो जाता है, जिससे बच्चों का स्कूल तक जाना बंद हो जाता है. दूसरी तरफ रास्ता बंद होने से इलाके के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

बरसात के दिनों में डूब जाती है पुलिया

नदी में साइफन के ऊपर टूटे बिजली के पोल को इस्तेमाल कर बनाई गई पुलिया पर लोगों की जिंदगी रोज चल रही है. अनहोनी कब हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. लेकिन अव्यवस्था और सरकारी की बेरुखी के कारण लोग आज भी खतरों से खेल नदी को पार कर रहे हैं. आप को जानकर हैरानी होगी कि इस जुगाड़ की पुलिया की चौड़ाई महज दो फिट है. इस पर साईकिल तो दूर पैदल चलना मुश्किल है. फिर भी साइकिल और मोटरसाइकिल से यात्रा हो रही है. ग्रामीण लालू निषाद, दीपक सिंह, मनीराम यादव और अंकित सिंह का कहना है कि नदी का जलस्तर बढ़ते ही पुलिया डूब जाती है, बावजूद इसके जिम्मेदारों ने कभी उन लोगों की सुध नहीं ली.

सिर्फ चुनाव के वक्त दिखाई देते हैं नेता

इलाके के लोगों का कहना है नेताओं से लेकर अधिकारियों तक ने कभी उन लोगों की सुध नहीं ली. सिर्फ चुनाव के समय नेता ही और अधिकारी दिखाई देते हैं, उसके बाद क्षेत्र में कोई झांकने तक नहीं आता. पुलिया के निर्माण को लेकर कई बार शिकायत की गई, लेकिन किसी ने आज तक उन लोगों की पुकार को नहीं सुना. क्षेत्र के लोगों को आज भी एक पक्के पुल की दरकार है, ताकि लोगों की परेशानियों का अंत हो सके.

बस्ती : सरकार दावा करती है कि विकास गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा. मगर बस्ती जिले के एक गांव में विकास अपना रास्ता भूल गया है. इस गांव के लोग नदी को पार करने के लिए अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं. बिजली के खंभे को पुल बनाकर ग्रामीण उसका प्रयोग कर रहे है. इस पुल पर चलना किसी खतरे से कम नहीं है. मगर मजबूरी में ग्रामीणों को इस जुगाड़ के पूल से आना जाना पड़ रहा.

लोगों की पुकार कब सुनेगी सरकार...

जुगाड़ के पुल के सहारे चल रही जिंदगी

दरअसल, हम बात कर रहे हैं बस्ती जिले के कुदरहा ब्लॉक के तिघरा घाट की. यहां मनोरमा नदी के ऊपर लोगों ने एक जुगाड़ का पुल बना रखा है. मनोरमा नदी के ऊपर बना जुगाड़ का पुल तिघरा घाट ब्लॉक और मुख्य मार्ग को सीधे जोड़ता है. दर्जन भर गांव के लोगों का इस रास्ते से आना जाना रहता है. अधिकारियों और नेताओं से बार-बार कहने के बावजूद यहां अभी तक पुलिया का निर्माण नहीं हो सका.

जुगाड़ के पुल के सहारे जिंदगी

किसी अनहोनी का बना रहता है डर

आप को बता दें कि विद्यालय में पढ़ने जाने वाले बच्चों को जुगाड़ के पुल से ही जाना पड़ता है, जिससे बच्चों के परिजन किसी हनहोनी को लेकर हमेशा डरे रहते हैं. बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है. नदी में पूरी तरह से पानी भर जाता है. जुगाड़ की पुलिया भी पूरी तरह डूब जाती है. रास्ता बंद हो जाता है, जिससे बच्चों का स्कूल तक जाना बंद हो जाता है. दूसरी तरफ रास्ता बंद होने से इलाके के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

बरसात के दिनों में डूब जाती है पुलिया

नदी में साइफन के ऊपर टूटे बिजली के पोल को इस्तेमाल कर बनाई गई पुलिया पर लोगों की जिंदगी रोज चल रही है. अनहोनी कब हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. लेकिन अव्यवस्था और सरकारी की बेरुखी के कारण लोग आज भी खतरों से खेल नदी को पार कर रहे हैं. आप को जानकर हैरानी होगी कि इस जुगाड़ की पुलिया की चौड़ाई महज दो फिट है. इस पर साईकिल तो दूर पैदल चलना मुश्किल है. फिर भी साइकिल और मोटरसाइकिल से यात्रा हो रही है. ग्रामीण लालू निषाद, दीपक सिंह, मनीराम यादव और अंकित सिंह का कहना है कि नदी का जलस्तर बढ़ते ही पुलिया डूब जाती है, बावजूद इसके जिम्मेदारों ने कभी उन लोगों की सुध नहीं ली.

सिर्फ चुनाव के वक्त दिखाई देते हैं नेता

इलाके के लोगों का कहना है नेताओं से लेकर अधिकारियों तक ने कभी उन लोगों की सुध नहीं ली. सिर्फ चुनाव के समय नेता ही और अधिकारी दिखाई देते हैं, उसके बाद क्षेत्र में कोई झांकने तक नहीं आता. पुलिया के निर्माण को लेकर कई बार शिकायत की गई, लेकिन किसी ने आज तक उन लोगों की पुकार को नहीं सुना. क्षेत्र के लोगों को आज भी एक पक्के पुल की दरकार है, ताकि लोगों की परेशानियों का अंत हो सके.

Last Updated : Jan 24, 2021, 3:27 PM IST
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