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निजाम बदला मगर नहीं बदला हेल्थ सिस्टम, ठेले पर मरीज को खींचने को मजबूर - yogi aditiyanath

सूबे की योगी सरकार भले ही दावा करती हो कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर है और लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर मुहैया कराई जा रही है, लेकिन बस्ती जिले की यह तस्वीर बताती है कि आजादी से लेकर आज तक सिर्फ सरकारें बदली, चेहरे बदले लेकिन व्यवस्था जस की तस है, खासकर आम आदमी के लिए.

नहीं बदला हेल्थ सिस्टम
नहीं बदला हेल्थ सिस्टम
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Published : Dec 25, 2020, 3:34 AM IST

बस्ती: ये तस्वीर है उत्तर प्रदेश की, जो प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के तमाम दावों की खुलेआम पोल खोलती है. ठेले पर अपने परिजन की जान बचाने के लिए अस्पताल ले जा रहा शख्स न सिर्फ यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था पर करारा तमाचा है, बल्कि जिम्मेदारियों की संवेदनहीनता की भी पराकाष्ठा को दिखाता है. बार-बार 108 एम्बुलेंस पर कॉल करने के बाद भी कॉल रिसीव नहीं हो पाई तो मजबूर होकर उसको अपने परिजन को ठेले से खीच कर अस्पताल पहुंचाया.

निजाम बदला मगर नहीं बदला हेल्थ सिस्टम
दरअसल, बस्ती जिले के हरैया ब्लॉक क्षेत्र की तस्वीर है जो बस्ती की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रही है. इस कडाके की ठंडक में एक शख्स सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ठेले से मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचा. ये कोई पहली घटना बस्ती जिले की नहीं है. अक्सर एम्बुलेंस की उपलब्धता न होने पर, कभी 108 पर कॉल नहीं मिलने पर, कभी जागरूकता की कमी के कारण भी ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं. इसके बावजूद जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग 108 जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था को और बेहतर करने का प्रयास नहीं करते.

ठेले पर महिला को इलाज के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हरैया लेकर आए झिनकान ने बताया कि बार-बार एम्बुलेंस के लिए फोन किया गया लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ तो अपने ठेल पर लाद कर अस्पताल पहुँचाया. इतना ही नहीं, अस्पताल में स्ट्रेचर न होने पर ठेले से महिला मरीज को अस्पताल के अन्दर ओपीडी तक परिजनों के द्वारा लाया गया.

सीएचसी के अधीक्षक आरके यादव ने बताया कि एम्बुलेंस अस्पताल मे प्रयाप्त मात्रा मे उपलब्ध है, लेकिन इसकी मॉनिटरिंग लखनऊ से होने की वजह से अस्पताल की कोई भूमिका नहीं है. लेकिन तबभी अधिकतर मरीज एम्बुलेंस से ही आते हैं, हो सकता है कि नेटवर्क की समस्या के चलते तीमारदारों का फोन 108 एम्बुलेंस पर न लगा हो.

बस्ती: ये तस्वीर है उत्तर प्रदेश की, जो प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के तमाम दावों की खुलेआम पोल खोलती है. ठेले पर अपने परिजन की जान बचाने के लिए अस्पताल ले जा रहा शख्स न सिर्फ यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था पर करारा तमाचा है, बल्कि जिम्मेदारियों की संवेदनहीनता की भी पराकाष्ठा को दिखाता है. बार-बार 108 एम्बुलेंस पर कॉल करने के बाद भी कॉल रिसीव नहीं हो पाई तो मजबूर होकर उसको अपने परिजन को ठेले से खीच कर अस्पताल पहुंचाया.

निजाम बदला मगर नहीं बदला हेल्थ सिस्टम
दरअसल, बस्ती जिले के हरैया ब्लॉक क्षेत्र की तस्वीर है जो बस्ती की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रही है. इस कडाके की ठंडक में एक शख्स सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ठेले से मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचा. ये कोई पहली घटना बस्ती जिले की नहीं है. अक्सर एम्बुलेंस की उपलब्धता न होने पर, कभी 108 पर कॉल नहीं मिलने पर, कभी जागरूकता की कमी के कारण भी ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं. इसके बावजूद जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग 108 जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था को और बेहतर करने का प्रयास नहीं करते.

ठेले पर महिला को इलाज के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हरैया लेकर आए झिनकान ने बताया कि बार-बार एम्बुलेंस के लिए फोन किया गया लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ तो अपने ठेल पर लाद कर अस्पताल पहुँचाया. इतना ही नहीं, अस्पताल में स्ट्रेचर न होने पर ठेले से महिला मरीज को अस्पताल के अन्दर ओपीडी तक परिजनों के द्वारा लाया गया.

सीएचसी के अधीक्षक आरके यादव ने बताया कि एम्बुलेंस अस्पताल मे प्रयाप्त मात्रा मे उपलब्ध है, लेकिन इसकी मॉनिटरिंग लखनऊ से होने की वजह से अस्पताल की कोई भूमिका नहीं है. लेकिन तबभी अधिकतर मरीज एम्बुलेंस से ही आते हैं, हो सकता है कि नेटवर्क की समस्या के चलते तीमारदारों का फोन 108 एम्बुलेंस पर न लगा हो.

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