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आल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन

बरेली में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कुर्बानी को याद करने के लिए भारत कि आजादी में मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान विषय पर एक सेमीनार का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता खानकाहे कादरीया के गद्दीनशीन सूफी अब्दुर रहमान कादरी ने की.

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बरेली में कार्यशाला का आयोजन
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Published : Mar 11, 2021, 7:17 PM IST

बरेली: जिले में बुधवार को आल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन हुआ. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कुर्बानी को याद करने के लिए यह आयोजन किया गया. इसका विषय 'भारत की आजादी में मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियो का योगदान' था. 10 मार्च को मौलाना शौकत अली और मौलाना ओबैदुल्ला सिंधी पैदा हुए थे. उनकी यादों को ताजा करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इसे भी पढ़ें- शिक्षकों ने सीखे गणित के आसान और प्रभावी शिक्षण के गुर


स्वतंत्रता सेनानी किए गए याद
कार्यक्रम की अध्यक्षता खानकाहे कादरीया के गद्दीनशीन पीरे तरीकत हजरत सूफी अब्दुर रहमान कादरी ने की. इस मौके पर इस्लामिक वेलफेयर रिसर्च सेंटर के संस्थापक मौलाना शहायुद्दीन रजवी ने कहा कि मौलाना शौकत अली भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे. वक्ताओं ने कहा कि वह खिलाफत तहरीक के अहम मेंबर और कौमी लीडर थे.

मौलाना शौकत अली का जन्म 10 मार्च 1873 में रामपुर में हुआ था और तालीम अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में पाई थी. मौलाना शौकत अली ने आगरा और अवध की सिविल सर्विस में 1913 तक काम किया. बलकान जग के बाद हिन्दुस्तान लौटे और अपने छोटे भाई मोहम्मद अली जौहर की भरपूर मदद की. उनकी मदद से मोहम्मद अली जौहर ने उर्दू का अखबार हमदर्द और अंग्रेजी का अखबार कामरेड निकाला.

मौलाना शौकत अली ने दिया था महात्मा गांधी का साथ
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि अखबार में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मजामीन शाया करने और तहरीक त नवालात में गांधीजी की भरपूर हिमायत करने पर मौलाना मो. अली को 14 सितंबर 1921 से 29 अगस्त 1923 तक लगातार जेल में रहना पड़ा. खिलाफत तहरीक के 30 मेंबर मौलाना शौकत अली के कंधे से कंधा मिलाकर शामिल रहे थे.

उन्होंने पहली और दूसरी गोल मेज कांफ्रेंस में फ्रांस और लंदन में भी शिरकत की थी. 1931 में मौलाना मो. अली के इंतेकाल के बाद उन्होंने आलमी मुस्लिम कॉमस येरूशलन में मुनअकिद कराई. मौलाना शौकत अली ने 1936 में आल इंडिया मुस्लिम लीग की शुमूलियत अख्तियार की और हिन्दुस्तान की आजादी की तहरीक में भरपूर हिस्सा लिया. मौलाना उन नेताओं में से थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को उसकी बुलंदी पर पहुंचाया.


मौलाना उमर रजा फारुकी ने अल्लामा फजले हक खैरावादी, मौलाना रजा अली खां, बरेलवी इफिज रहमत खां बरेलवी के नाम पर हुकुमत से डाक टिकट जारी करने के लिए तलब किया है. पीरे तरीकत सूफी अब्दुर रहमान कादरी ने देश में अमन और खुशहाली के लिए दुआ की. प्रोग्राम का संचालन खलील कादरी ने किया. मौलाना शोएब रजा, मौलाना अब्दुल वाहिद हाफिज मुजाहिद, शेख इब्राहिम, मोहसीन अली, नूर आलम आदि लोग मौजूद रहे.

बरेली: जिले में बुधवार को आल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन हुआ. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कुर्बानी को याद करने के लिए यह आयोजन किया गया. इसका विषय 'भारत की आजादी में मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियो का योगदान' था. 10 मार्च को मौलाना शौकत अली और मौलाना ओबैदुल्ला सिंधी पैदा हुए थे. उनकी यादों को ताजा करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

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स्वतंत्रता सेनानी किए गए याद
कार्यक्रम की अध्यक्षता खानकाहे कादरीया के गद्दीनशीन पीरे तरीकत हजरत सूफी अब्दुर रहमान कादरी ने की. इस मौके पर इस्लामिक वेलफेयर रिसर्च सेंटर के संस्थापक मौलाना शहायुद्दीन रजवी ने कहा कि मौलाना शौकत अली भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे. वक्ताओं ने कहा कि वह खिलाफत तहरीक के अहम मेंबर और कौमी लीडर थे.

मौलाना शौकत अली का जन्म 10 मार्च 1873 में रामपुर में हुआ था और तालीम अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में पाई थी. मौलाना शौकत अली ने आगरा और अवध की सिविल सर्विस में 1913 तक काम किया. बलकान जग के बाद हिन्दुस्तान लौटे और अपने छोटे भाई मोहम्मद अली जौहर की भरपूर मदद की. उनकी मदद से मोहम्मद अली जौहर ने उर्दू का अखबार हमदर्द और अंग्रेजी का अखबार कामरेड निकाला.

मौलाना शौकत अली ने दिया था महात्मा गांधी का साथ
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि अखबार में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मजामीन शाया करने और तहरीक त नवालात में गांधीजी की भरपूर हिमायत करने पर मौलाना मो. अली को 14 सितंबर 1921 से 29 अगस्त 1923 तक लगातार जेल में रहना पड़ा. खिलाफत तहरीक के 30 मेंबर मौलाना शौकत अली के कंधे से कंधा मिलाकर शामिल रहे थे.

उन्होंने पहली और दूसरी गोल मेज कांफ्रेंस में फ्रांस और लंदन में भी शिरकत की थी. 1931 में मौलाना मो. अली के इंतेकाल के बाद उन्होंने आलमी मुस्लिम कॉमस येरूशलन में मुनअकिद कराई. मौलाना शौकत अली ने 1936 में आल इंडिया मुस्लिम लीग की शुमूलियत अख्तियार की और हिन्दुस्तान की आजादी की तहरीक में भरपूर हिस्सा लिया. मौलाना उन नेताओं में से थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को उसकी बुलंदी पर पहुंचाया.


मौलाना उमर रजा फारुकी ने अल्लामा फजले हक खैरावादी, मौलाना रजा अली खां, बरेलवी इफिज रहमत खां बरेलवी के नाम पर हुकुमत से डाक टिकट जारी करने के लिए तलब किया है. पीरे तरीकत सूफी अब्दुर रहमान कादरी ने देश में अमन और खुशहाली के लिए दुआ की. प्रोग्राम का संचालन खलील कादरी ने किया. मौलाना शोएब रजा, मौलाना अब्दुल वाहिद हाफिज मुजाहिद, शेख इब्राहिम, मोहसीन अली, नूर आलम आदि लोग मौजूद रहे.

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