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MJPRU में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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Published : Mar 7, 2021, 2:29 PM IST

यूपी के बरेली में MJPRU में रविवार को महाविद्यालय के प्राचार्यों के साथ दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में प्रत्येक महाविद्यालय में रिसर्च केंद्र स्थापित करने के मुद्दे पर चर्चा की गई.

महाविद्यालयों में रिसर्च केंद्र स्थापित करने पर हुई चर्चा.
महाविद्यालयों में रिसर्च केंद्र स्थापित करने पर हुई चर्चा.

बरेली: महात्मा ज्योतिबा फूले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (MJPRU) में रविवार को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन यूनिवर्सिटी के मिनिस्ट्रियल स्टाफ सभागार में कुलपति की अध्यक्षता में किया गया. कार्यक्रम में सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य आमंत्रित किए गए थे. कार्यशाला का विषय 'प्रवेश परीक्षा एवं शोध कार्यों में सुधार' रखा गया है.

शोध कार्यों पर हुई चर्चा
कार्यशाला में सभी प्राचार्यों को विश्वविद्यालय में स्थापित किए गए 10 डायरेक्टरेट के विषय में बताया गया. विश्वविद्यालय के डायरेक्टरेट ऑफ रिसर्च के रिसर्च कोऑर्डिनेटर प्रो. सुधीर कुमार ने कहा कि पिछली आरईटी परीक्षा साल 2019 में कराई गई थी. इसके बाद इसे फिर से शुरू किया जाना है. कहा कि शोध जैसे बड़े कार्य के लिए विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के एक छोटे से कमरे से निकलकर रिसर्च डायरेक्टरेट को विश्वविद्यालय के नेहरू केंद्र में स्थापित किया गया है. इससे न केवल छात्रों को, बल्कि शिक्षकों को भी लाभ होगा. छात्रों को स्कॉलरशिप के लिए भी नेहरू केंद्र में ही संपर्क करना होगा.

सभी कॉलेजों में रिसर्च केंद्र खोले जाने का हुआ समर्थन
चर्चा में यह तय हुआ कि भविष्य में सभी कॉलेजों को भी अपने-अपने कॉलेज में रिसर्च केंद्र की स्थापना करने चाहिए. ये कदम छात्रों के लिए हितकर होगा. शोध की संख्या नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है. इस बात पर उन्होंने विशेष बल दिया. कहा कि विश्वविद्यालय शीघ्र ही पीएचडी अर्थात् शोध कार्यों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने जा रहा है, जो अभी अपने प्रारंभिक विकास के चरण में है.

शिक्षकों के लिए बेहतर माहौल पैदा हो
विश्वविद्यालय के एंट्रेंस एग्जाम कोऑर्डिनेटर प्रो. एसके पांडे ने कहा कि यह पुरानी धारणा है कि विश्वविद्यालय का कार्य केवल एंट्रेंस कराना, शिक्षण कराना या परीक्षा लेना होता है. बल्कि यह पूरा सच नहीं है. उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है. राष्ट्र निर्माण के लिए नवाचार एवं तकनीक का इस्तेमाल करते हुए छात्रों एवं शिक्षकों के लिए बेहतर माहौल पैदा करना हमारी जिम्मेदारी है.

नए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में multi exit policy के साथ-साथ मल्टी एंट्री पॉलिसी को भी स्थान देने की बात पर बल दिया गया. विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. सुनीता पांडे और परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार सिंह ने महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय के बीच बेहतर सामंजस्य बढ़ाने की बात कही. उन्होंने भी फ्लैग्रिज्म के लिए सॉफ्टवेयर टर्निटीन का इस्तेमाल करने की सलाह सभी को दी. कहा कि अयोग्य छात्रों का विश्वविद्यालय में किसी भी प्रकार प्रवेश रुकना चाहिए. विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के द्वारा सभी शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर कार्य समयानुसार पूर्ण कर लेने से ही विश्वविद्यालय आगे बढ़ सकता है.

परीक्षा एवं शोध विषयों पर कुलपति ने मांगे सुझाव
सभी महाविद्यालय के प्राचार्यों से परीक्षा एवं शोध के विषय में अपने सुझाव देने के लिए कहा गया. एक-एक कर कई कॉलेजों के प्राचार्यों ने अपनी-अपनी बात एवं सुझाव विश्वविद्यालय के अधिकारियों के समक्ष रखे. इस दौरान कई प्राचार्यों ने कुलपति का सराहना किय कि इस विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार किसी कुलपति ने परीक्षा एवं शोध के संबंध में प्रधानाचार्य को इस प्रकार एक मंच पर बुलाकर उनके सुझाव आमंत्रित किए.

कार्यक्रम के अंतिम भाग में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह ने कहा कि हमारा काम ही हमारी पहचान है, इसलिए हमें ऐसे उत्कृष्ट उदाहरण पेश करने होंगे. इसके साथ ही कार्य भी करने होंगे, जिससे विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया जा सके.

बरेली: महात्मा ज्योतिबा फूले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (MJPRU) में रविवार को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन यूनिवर्सिटी के मिनिस्ट्रियल स्टाफ सभागार में कुलपति की अध्यक्षता में किया गया. कार्यक्रम में सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य आमंत्रित किए गए थे. कार्यशाला का विषय 'प्रवेश परीक्षा एवं शोध कार्यों में सुधार' रखा गया है.

शोध कार्यों पर हुई चर्चा
कार्यशाला में सभी प्राचार्यों को विश्वविद्यालय में स्थापित किए गए 10 डायरेक्टरेट के विषय में बताया गया. विश्वविद्यालय के डायरेक्टरेट ऑफ रिसर्च के रिसर्च कोऑर्डिनेटर प्रो. सुधीर कुमार ने कहा कि पिछली आरईटी परीक्षा साल 2019 में कराई गई थी. इसके बाद इसे फिर से शुरू किया जाना है. कहा कि शोध जैसे बड़े कार्य के लिए विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के एक छोटे से कमरे से निकलकर रिसर्च डायरेक्टरेट को विश्वविद्यालय के नेहरू केंद्र में स्थापित किया गया है. इससे न केवल छात्रों को, बल्कि शिक्षकों को भी लाभ होगा. छात्रों को स्कॉलरशिप के लिए भी नेहरू केंद्र में ही संपर्क करना होगा.

सभी कॉलेजों में रिसर्च केंद्र खोले जाने का हुआ समर्थन
चर्चा में यह तय हुआ कि भविष्य में सभी कॉलेजों को भी अपने-अपने कॉलेज में रिसर्च केंद्र की स्थापना करने चाहिए. ये कदम छात्रों के लिए हितकर होगा. शोध की संख्या नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है. इस बात पर उन्होंने विशेष बल दिया. कहा कि विश्वविद्यालय शीघ्र ही पीएचडी अर्थात् शोध कार्यों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने जा रहा है, जो अभी अपने प्रारंभिक विकास के चरण में है.

शिक्षकों के लिए बेहतर माहौल पैदा हो
विश्वविद्यालय के एंट्रेंस एग्जाम कोऑर्डिनेटर प्रो. एसके पांडे ने कहा कि यह पुरानी धारणा है कि विश्वविद्यालय का कार्य केवल एंट्रेंस कराना, शिक्षण कराना या परीक्षा लेना होता है. बल्कि यह पूरा सच नहीं है. उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है. राष्ट्र निर्माण के लिए नवाचार एवं तकनीक का इस्तेमाल करते हुए छात्रों एवं शिक्षकों के लिए बेहतर माहौल पैदा करना हमारी जिम्मेदारी है.

नए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में multi exit policy के साथ-साथ मल्टी एंट्री पॉलिसी को भी स्थान देने की बात पर बल दिया गया. विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. सुनीता पांडे और परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार सिंह ने महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय के बीच बेहतर सामंजस्य बढ़ाने की बात कही. उन्होंने भी फ्लैग्रिज्म के लिए सॉफ्टवेयर टर्निटीन का इस्तेमाल करने की सलाह सभी को दी. कहा कि अयोग्य छात्रों का विश्वविद्यालय में किसी भी प्रकार प्रवेश रुकना चाहिए. विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के द्वारा सभी शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर कार्य समयानुसार पूर्ण कर लेने से ही विश्वविद्यालय आगे बढ़ सकता है.

परीक्षा एवं शोध विषयों पर कुलपति ने मांगे सुझाव
सभी महाविद्यालय के प्राचार्यों से परीक्षा एवं शोध के विषय में अपने सुझाव देने के लिए कहा गया. एक-एक कर कई कॉलेजों के प्राचार्यों ने अपनी-अपनी बात एवं सुझाव विश्वविद्यालय के अधिकारियों के समक्ष रखे. इस दौरान कई प्राचार्यों ने कुलपति का सराहना किय कि इस विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार किसी कुलपति ने परीक्षा एवं शोध के संबंध में प्रधानाचार्य को इस प्रकार एक मंच पर बुलाकर उनके सुझाव आमंत्रित किए.

कार्यक्रम के अंतिम भाग में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह ने कहा कि हमारा काम ही हमारी पहचान है, इसलिए हमें ऐसे उत्कृष्ट उदाहरण पेश करने होंगे. इसके साथ ही कार्य भी करने होंगे, जिससे विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया जा सके.

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