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चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का करोड़ों बकाया, कैसे सुधरेंगे हालात

यूपी के बरेली में गन्ना किसान खासा परेशान है. जिले के हजारों गन्ना किसानों का करोड़ों रुपया अब भी शुगर मिलों पर बकाया है. जिससे किसानों को परिवार पालने में खासा तकलीफें उठानी पड़ रही है.

गन्ना किसान.
गन्ना किसान.
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Published : Feb 9, 2021, 11:08 AM IST

बरेली: कोरोना काल में गन्ना किसानों की समस्या जैसे दबकर रह गई है. जिले के गन्ना किसानों का सैंकड़ों करोड़ रुपया शुगर मिलों पर अभी भी बकाया है. आलम ये है कि पिछले पेराई स्तर का अभी तक शत प्रतिशत भुगतान किसानों को नहीं हो पाया है. ऐसे में किसानों की स्थिति को जानने के लिए ईटीवी भारत ने गन्ना किसानों से बातचीत की.

देश और प्रदेश की राजधानी के ठीक बीचोंबीच स्थित पश्चिमी यूपी के बरेली जिले में बहुतायत में किसान गन्ने की खेती करते हैं. जिले के गन्ना किसानों के सामने वर्तमान में भी समय से शुगर मिलों द्वारा पूरा भुगतान न किए जाने की वजह से खासी दिक्कत यहां झेलनी पड़ रही है, यूं कहिए कि इस कोरोना संक्रमण के शोर-शराबे में किसानों की आवाज कहीं दब कर ही रह गई है. यही वजह है कि जनपद के गन्ना किसानों का करोड़ों रुपया अभी भी शुगर मिलों पर बकाया है.

जानकारी देते किसान.

भुगतान में लेटलतीफी से गन्ना किसान परेशान
अपनी समस्याओं को बताते गन्ना किसानों ने बताया कि न चाहते हुए भी उन्हें गन्ने की फसल को उगानी पड़ रही है. इतना ही नहीं गन्ने की फसल के जरिये किसानों को उनके घर का चूल्हा जलाने के लिए आवश्यक खर्च नहीं मिल पा रहा है. किसानों के पास रोजी-रोटी का कोई दूसरा विकल्प भी तो नहीं है. आलम यह है कि पिछले साल का बकाया अभी तक कुछ गन्ना किसानों को नहीं मिल पाया है. गन्ने के भुगतान में लेटलतीफी ने किसान की रीढ़ तोड़कर रख दी है.

जिले में कुल 4 करोड़ 13 लाख क्विंटल गन्ना की खरीद शुगर मिलों के द्वारा पिछले पेराई सत्र में की गई थी. जिसका मूल्य करीब 1,325 करोड़ रुपया था. इस पर गन्ना अधिकारी का कहना है कि पिछले वर्ष सिर्फ 10 करोड़ रुपया बकाया है, लेकिन खास बात ये है कि नवंबर माह से शुगर मिल वर्तमान पेराई सत्र के लिए संचालित थी, जबकि इस बार भी शुगर मिल प्रबंधनों के द्वारा जो किसानों का भुगतान किया जा रहा है उसकी गति भी काफी धीमी है.

पेराई सत्र के भी भुगतान में भी हो रही लेटलतीफी
पेराई सीजन का काफी पैसा लगभग हर शुगर मिल पर किसानों का बकाया बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि किसानों की कोई सुध लेने वाला नहीं है. इतना ही नहीं जिले में गन्ने की फसल उगाने वाले किसान अपने बकाया के इंतजार में अफसरों व बाबुओं से पड़ताल करते देखे जा सकते हैं. किसानों का कहना है कि वो चाहते हैं कि उनकी समस्या के प्रति सरकार गंभईर हो ताकि उन्हें समय से भुगतान हो तो वो उस पैसे से अपने घर परिवार की जरूरत पूरी की जा सकें.

जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि जिले के किसानों को इस बार शुगर मिलों के द्वारा पिछले वर्षों की तुलना में भुगतान करने में तेजी दिखाई गई है और जैसे ही उनकी चीनी का उठान होता है तत्काल किसानों के खाते में भुगतान कराया जाता है.

इसे भी पढे़ं- जानिए...मंडियों में आज क्या हैं सब्जियों के भाव

बरेली: कोरोना काल में गन्ना किसानों की समस्या जैसे दबकर रह गई है. जिले के गन्ना किसानों का सैंकड़ों करोड़ रुपया शुगर मिलों पर अभी भी बकाया है. आलम ये है कि पिछले पेराई स्तर का अभी तक शत प्रतिशत भुगतान किसानों को नहीं हो पाया है. ऐसे में किसानों की स्थिति को जानने के लिए ईटीवी भारत ने गन्ना किसानों से बातचीत की.

देश और प्रदेश की राजधानी के ठीक बीचोंबीच स्थित पश्चिमी यूपी के बरेली जिले में बहुतायत में किसान गन्ने की खेती करते हैं. जिले के गन्ना किसानों के सामने वर्तमान में भी समय से शुगर मिलों द्वारा पूरा भुगतान न किए जाने की वजह से खासी दिक्कत यहां झेलनी पड़ रही है, यूं कहिए कि इस कोरोना संक्रमण के शोर-शराबे में किसानों की आवाज कहीं दब कर ही रह गई है. यही वजह है कि जनपद के गन्ना किसानों का करोड़ों रुपया अभी भी शुगर मिलों पर बकाया है.

जानकारी देते किसान.

भुगतान में लेटलतीफी से गन्ना किसान परेशान
अपनी समस्याओं को बताते गन्ना किसानों ने बताया कि न चाहते हुए भी उन्हें गन्ने की फसल को उगानी पड़ रही है. इतना ही नहीं गन्ने की फसल के जरिये किसानों को उनके घर का चूल्हा जलाने के लिए आवश्यक खर्च नहीं मिल पा रहा है. किसानों के पास रोजी-रोटी का कोई दूसरा विकल्प भी तो नहीं है. आलम यह है कि पिछले साल का बकाया अभी तक कुछ गन्ना किसानों को नहीं मिल पाया है. गन्ने के भुगतान में लेटलतीफी ने किसान की रीढ़ तोड़कर रख दी है.

जिले में कुल 4 करोड़ 13 लाख क्विंटल गन्ना की खरीद शुगर मिलों के द्वारा पिछले पेराई सत्र में की गई थी. जिसका मूल्य करीब 1,325 करोड़ रुपया था. इस पर गन्ना अधिकारी का कहना है कि पिछले वर्ष सिर्फ 10 करोड़ रुपया बकाया है, लेकिन खास बात ये है कि नवंबर माह से शुगर मिल वर्तमान पेराई सत्र के लिए संचालित थी, जबकि इस बार भी शुगर मिल प्रबंधनों के द्वारा जो किसानों का भुगतान किया जा रहा है उसकी गति भी काफी धीमी है.

पेराई सत्र के भी भुगतान में भी हो रही लेटलतीफी
पेराई सीजन का काफी पैसा लगभग हर शुगर मिल पर किसानों का बकाया बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि किसानों की कोई सुध लेने वाला नहीं है. इतना ही नहीं जिले में गन्ने की फसल उगाने वाले किसान अपने बकाया के इंतजार में अफसरों व बाबुओं से पड़ताल करते देखे जा सकते हैं. किसानों का कहना है कि वो चाहते हैं कि उनकी समस्या के प्रति सरकार गंभईर हो ताकि उन्हें समय से भुगतान हो तो वो उस पैसे से अपने घर परिवार की जरूरत पूरी की जा सकें.

जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि जिले के किसानों को इस बार शुगर मिलों के द्वारा पिछले वर्षों की तुलना में भुगतान करने में तेजी दिखाई गई है और जैसे ही उनकी चीनी का उठान होता है तत्काल किसानों के खाते में भुगतान कराया जाता है.

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