बरेली: कोरोनाकाल ने बच्चों की शिक्षा को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. हमारे देश में डिजिटल संसाधनों के माध्यम से पढ़ाई एक चुनौती बनी है कहीं संसाधन की कमी तो कहीं नेट की रफ्तार ने बच्चों की शिक्षा पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है. इन सभी समस्याओं को देखते हुए जिले की सबीना परवीन ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है. राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सबीना ने टीम बनाकर बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं. सबसे खास बात यह है कि इस टीम में जो टीचर हैं वह कोई और नहीं बल्कि बच्चे खुद बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं..
सबीना परवीन कांधरपुर सरकारी स्कूल के छात्र छात्राओं को अलग अलग स्थानों पर मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रही हैं. सबीना बताती हैं कि कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए 35 बच्चों की टीम तैयार की है. इस टीम में ऐसे बच्चे हैं जो उनके सरकारी स्कूल के आसपास के गांव के थे. उसके बाद उन सभी से ये जाना गया कि उनमें से कितने बच्चे टीचर बनना चाहते हैं, या कितने बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है. इस काम में बच्चों ने बढ़ चढ़कर रुचि दिखाई और आज 35 छात्र छात्राएं इस टीम में जुड़े हैं जो अलग अलग स्थानों पर सैंकड़ों छात्र छात्राओं को पढ़ाई करा रहे हैं.
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मोहल्ला पाठशाला में पढ़ाने वाली ईशा का कहना है कि पहले सभी अभिभावक डर रहे थे कि बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, लेकिन हमारी बड़ी मैम ने प्लान बनाया और हमें स्कूल बुलाकर सभी सामान उपलब्ध कराया. हमारे यहां अब 10 से 15 बच्चे रोज पढ़ने आते हैं. इससे बच्चों के मामा पिता के साथ साथ बच्चे भी खुश हैं और पढ़ाई में दिलचस्पी ले रहे हैं.
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बेहतर शिक्षण कार्य करने के लिए 2015 में सबीना को राष्ट्रपति पुरष्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है. सबीना कहती हैं कि उन्होंने कोरोना काल के दौरान बच्चों की तकलीफ को समझकर यह निर्णय लिया था. अक्षर ज्ञान से लेकर हर वो पाठ बच्चों को मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है जो कि उनकी किताबों में है . आपदा में अवसर के तौर पर सबीना परवीन की टीचर टीम बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रही है. जिसमें सभी बच्चे बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.