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जबरदस्त है परवीन का पढ़ाई प्लान, 'टीचरजी' बन बच्चे बढ़ा रहे ज्ञान - bareilly mohalla pathshala

बरेली जिले की सबीना परवीन कोरोना काल के दौरान अपने मास्टर प्लान से बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रही हैं. सबीना बच्चों की टीम बनाकर मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से बच्चों को शिक्षित कर रही हैं. सबीना 2015 में बेहतर शिक्षण कार्य करने के लिए राष्ट्रपति पुरष्कार से सम्मानित भी हो चुकी हैं.

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Jul 9, 2021, 8:20 PM IST

बरेली: कोरोनाकाल ने बच्चों की शिक्षा को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. हमारे देश में डिजिटल संसाधनों के माध्यम से पढ़ाई एक चुनौती बनी है कहीं संसाधन की कमी तो कहीं नेट की रफ्तार ने बच्चों की शिक्षा पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है. इन सभी समस्याओं को देखते हुए जिले की सबीना परवीन ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है. राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सबीना ने टीम बनाकर बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं. सबसे खास बात यह है कि इस टीम में जो टीचर हैं वह कोई और नहीं बल्कि बच्चे खुद बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं..

सबीना परवीन कांधरपुर सरकारी स्कूल के छात्र छात्राओं को अलग अलग स्थानों पर मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रही हैं. सबीना बताती हैं कि कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए 35 बच्चों की टीम तैयार की है. इस टीम में ऐसे बच्चे हैं जो उनके सरकारी स्कूल के आसपास के गांव के थे. उसके बाद उन सभी से ये जाना गया कि उनमें से कितने बच्चे टीचर बनना चाहते हैं, या कितने बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है. इस काम में बच्चों ने बढ़ चढ़कर रुचि दिखाई और आज 35 छात्र छात्राएं इस टीम में जुड़े हैं जो अलग अलग स्थानों पर सैंकड़ों छात्र छात्राओं को पढ़ाई करा रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट
सबीना बताती हैं कि बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए बच्चों को अपने भाई बहनों को पढ़ाने के लिए कहा इसके बाद कक्षा 8 के बच्चों को कहा कि 6,7 के और कक्षा 7 के बच्चे को कहा कि कक्षा 6 के बच्चों को पढ़ाएं. इस अभियान में 35 बच्चे जुड़े और इसमें एक बच्चे 10 से 15 बच्चों को पढ़ाते हैं. इसमें बच्चों को बोर्ड, चॉक, डस्टर भी उपलब्ध कराया गया है. जिससे बच्चे इंटरेस्ट लेकर पढ़ा सकें.
etv bharat
शिक्षक बन बच्चे दे रहे बच्चों को शिक्षा
टीचर बने बच्चों का कहना है कि टीचर बनना उनको अच्छा लगता है. वो कहते हैं कि उन्हें खुशी होती है अपने से छोटे भाई बहनों को पढ़ाते हैं. बच्चे बहुत उत्साह से पढ़ रहे हैं. पढ़ाई करने आई माही का कहना है कि हमारी पढ़ाई बहुत अच्छी चल रही है हमारी बड़ी दीदी हमे पढ़ाती हैं. मोबाईल न होने पर व स्कूल न खुलने पर भी पढ़ाई का कोई नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि उनके पड़ोस के सभी बच्चे एक साथ पढ़ाई कर रहे हैं. जहां दीदी उनलोग को पढ़ाती हैं.
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मोहल्ला पाठशाला में बच्चे ले रहे शिक्षा

मोहल्ला पाठशाला में पढ़ाने वाली ईशा का कहना है कि पहले सभी अभिभावक डर रहे थे कि बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, लेकिन हमारी बड़ी मैम ने प्लान बनाया और हमें स्कूल बुलाकर सभी सामान उपलब्ध कराया. हमारे यहां अब 10 से 15 बच्चे रोज पढ़ने आते हैं. इससे बच्चों के मामा पिता के साथ साथ बच्चे भी खुश हैं और पढ़ाई में दिलचस्पी ले रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-कोरोना काल में मानवता की मिसाल बने आशु वैद, अनाथ बच्चों को दे रहे मुफ्त में शिक्षा


बेहतर शिक्षण कार्य करने के लिए 2015 में सबीना को राष्ट्रपति पुरष्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है. सबीना कहती हैं कि उन्होंने कोरोना काल के दौरान बच्चों की तकलीफ को समझकर यह निर्णय लिया था. अक्षर ज्ञान से लेकर हर वो पाठ बच्चों को मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है जो कि उनकी किताबों में है . आपदा में अवसर के तौर पर सबीना परवीन की टीचर टीम बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रही है. जिसमें सभी बच्चे बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.

बरेली: कोरोनाकाल ने बच्चों की शिक्षा को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. हमारे देश में डिजिटल संसाधनों के माध्यम से पढ़ाई एक चुनौती बनी है कहीं संसाधन की कमी तो कहीं नेट की रफ्तार ने बच्चों की शिक्षा पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है. इन सभी समस्याओं को देखते हुए जिले की सबीना परवीन ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है. राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सबीना ने टीम बनाकर बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं. सबसे खास बात यह है कि इस टीम में जो टीचर हैं वह कोई और नहीं बल्कि बच्चे खुद बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं..

सबीना परवीन कांधरपुर सरकारी स्कूल के छात्र छात्राओं को अलग अलग स्थानों पर मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रही हैं. सबीना बताती हैं कि कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए 35 बच्चों की टीम तैयार की है. इस टीम में ऐसे बच्चे हैं जो उनके सरकारी स्कूल के आसपास के गांव के थे. उसके बाद उन सभी से ये जाना गया कि उनमें से कितने बच्चे टीचर बनना चाहते हैं, या कितने बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है. इस काम में बच्चों ने बढ़ चढ़कर रुचि दिखाई और आज 35 छात्र छात्राएं इस टीम में जुड़े हैं जो अलग अलग स्थानों पर सैंकड़ों छात्र छात्राओं को पढ़ाई करा रहे हैं.

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सबीना बताती हैं कि बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए बच्चों को अपने भाई बहनों को पढ़ाने के लिए कहा इसके बाद कक्षा 8 के बच्चों को कहा कि 6,7 के और कक्षा 7 के बच्चे को कहा कि कक्षा 6 के बच्चों को पढ़ाएं. इस अभियान में 35 बच्चे जुड़े और इसमें एक बच्चे 10 से 15 बच्चों को पढ़ाते हैं. इसमें बच्चों को बोर्ड, चॉक, डस्टर भी उपलब्ध कराया गया है. जिससे बच्चे इंटरेस्ट लेकर पढ़ा सकें.
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शिक्षक बन बच्चे दे रहे बच्चों को शिक्षा
टीचर बने बच्चों का कहना है कि टीचर बनना उनको अच्छा लगता है. वो कहते हैं कि उन्हें खुशी होती है अपने से छोटे भाई बहनों को पढ़ाते हैं. बच्चे बहुत उत्साह से पढ़ रहे हैं. पढ़ाई करने आई माही का कहना है कि हमारी पढ़ाई बहुत अच्छी चल रही है हमारी बड़ी दीदी हमे पढ़ाती हैं. मोबाईल न होने पर व स्कूल न खुलने पर भी पढ़ाई का कोई नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि उनके पड़ोस के सभी बच्चे एक साथ पढ़ाई कर रहे हैं. जहां दीदी उनलोग को पढ़ाती हैं.
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मोहल्ला पाठशाला में बच्चे ले रहे शिक्षा

मोहल्ला पाठशाला में पढ़ाने वाली ईशा का कहना है कि पहले सभी अभिभावक डर रहे थे कि बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, लेकिन हमारी बड़ी मैम ने प्लान बनाया और हमें स्कूल बुलाकर सभी सामान उपलब्ध कराया. हमारे यहां अब 10 से 15 बच्चे रोज पढ़ने आते हैं. इससे बच्चों के मामा पिता के साथ साथ बच्चे भी खुश हैं और पढ़ाई में दिलचस्पी ले रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-कोरोना काल में मानवता की मिसाल बने आशु वैद, अनाथ बच्चों को दे रहे मुफ्त में शिक्षा


बेहतर शिक्षण कार्य करने के लिए 2015 में सबीना को राष्ट्रपति पुरष्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है. सबीना कहती हैं कि उन्होंने कोरोना काल के दौरान बच्चों की तकलीफ को समझकर यह निर्णय लिया था. अक्षर ज्ञान से लेकर हर वो पाठ बच्चों को मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है जो कि उनकी किताबों में है . आपदा में अवसर के तौर पर सबीना परवीन की टीचर टीम बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रही है. जिसमें सभी बच्चे बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.

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