बरेली: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बरेली शहर को चमकाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन बरेली के वार्ड नंबर 65 में देश की धरोहर माने जाने वाले महान नायकों का जमकर अपमान हो रहा है. दरअसल, शहर में एक ऐसा पार्क है, जहां महापुरुषों की मूर्तियों तक पहुंचना भी नामुमकिन है, क्योंकि वहां पर गंदगी बेहिसाब है. यह पार्क वर्षों से अपनी बदहाली बयां कर रहा है, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है.
पार्क में महापुरुषों की नहीं किसी को सुध
वार्ड नंबर 65 के पार्क में महापुरुषों की प्रतिमाएं लगी तो हैं, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है. आलम यह है कि किसी भी महापुरुष की जयंती का मौका हो या फिर चाहे अन्य कोई राष्ट्रीय पर्व यहां कोई नहीं आता, क्योंकि इसकी एक बड़ी वजह यह है कि जिस स्थान पर सभी महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित हैं, वहां न सिर्फ गंदगी है बल्कि वो पार्क किसी गंदे तलाब के स्वरूप में है.
हो रहा देश के महापुरुषों का घोर अपमान
इतना ही नहीं बरेली वासी वार्ड नंबर 65 के इस स्थान को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कॉलोनी के नाम से जानते हैं. स्थानीय लोग खासे नाराज हैं. स्थानीय निवासी युवा समाजसेवी मनसिज त्रिपाठी बताते हैं कि करीब तीन वर्ष से वो लगातार नगर निगम के अफसरों की चौखट पर पहुंचकर महापुरुषों के साथ हो रहे अपमान के बारे में अवगत कराते आ रहे हैं, लेकिन यहां कोई सुधार नहीं हो पाया.
धर्मस्थल भी है पार्क में लेकिन गंदगी में रहना हुआ मजबूरी
स्थानीय लोगों का कहना है कि नरकीय जीवन हो गया है. पार्क में ही भगवान भोलेनाथ का मन्दिर भी है. स्थानीय लोग और मन्दिर के पुजारी कहते हैं कि महापुरुषों से लोग प्रेरणा लेते और मन्दिर में विशेष पूजा करते हैं, लेकिन इस पार्क में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
इसे भी पढ़ें-पक्की सड़क के इंतजार में बरेली गांव के लोग, दलदल भरे रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं ग्रामीण
लोगों में है रोष
स्थानीय लोग नाराज हैं. सभी कहते हैं कि किसी ने आज तक यहां सुध नहीं ली. महापुरुषों की प्रतिमाएं जर्जर होने लगी हैं. महापुरुषों की प्रतिमाओं के आसपास जलाशय बन गया है. बड़ी बड़ी घास उग गई है, लेकिन यहां किसी का ध्यान कभी नहीं जाता. लोग बताते हैं कि पार्क के एक कोने पर विद्युत ट्रांसफार्मर रखा हैं. कई बार तो पार्क में करंट भी उतर आता है. कई हादसे भी हो चुके हैं.
स्थानीय निवासी कहते हैं कि हर स्तर पर जतन कर लिए. लेकिन न हालात सुधरे न किसी ने सुध ली. अब तो लोग यहां तक कहते हैं कि जो भी नेता मंत्री या अधिकारी देशभक्त खुद को कहता हो वो यहां आकर इन महापुरुषों तक पहुंचकर भी दिखा दे. क्योंकि गंदगी और गंदे तालाब की शक्ल ले चुके पार्क में जाना आसान नहीं है.